राम मंदिर आंदोलन के शौर्य हैं महंत नृत्यगोपाल दास

अयोध्या, 08 जनवरी (हि.स.)। छह दिसम्बर को ‘हिन्दू शौर्य दिवस’ कहने वाले नृत्यगोपालदास ही रहे। परमहंस रामचंद्रदास के निधन के बाद नृत्यगोपाल दास राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष बने।

वह अयोध्या की मणिराम दास छावनी के छठे महंत हैं।

वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय बताते हैं कि छह दिसम्बर की घटना पर नृत्यगोपाल दास ने कहा था- ‘इसे ढहाने की न कोई साजिश थी, न किसी ने उकसाया, कारसेवकों ने अपने विवेक से इसे ढहा दिया।’ राम भक्तों के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो महंत नृत्यगोपाल दास बोले- ‘न्यायालय ने जो किया, वह अभूतपूर्व है। मंदिर के लिए लाखों रामभक्तों ने बलिदान दिया, वह भी हमारे लिए पूज्यनीय-प्रेरक हैं।

उन्होंने कहा कि 33 वर्ष पूर्व राममंदिर के लिए आंदोलन की शुरुआत करने वाला विहिप नेतृत्व भी कम अहम नहीं हैं, पर निर्णायक प्रयास करने वाली अदालत के अलावा संतों का आशीर्वाद वह ताकत बना, जिसके बूते मंदिर का आग्रह समाधान तक तब्दील होने में कामयाब हुआ।’

वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय कहते हैं कि स्मरण होगा कि महंत नृत्यगोपालदास उन चुनिंदा किरदारों में रहे हैं, जिनकी पहचान शीर्ष धर्माचार्य के साथ-साथ मंदिर आंदोलन के नायक की भूमिका में रही है। वह उस पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं, जिसने साढ़े तीन दशक पहले मंदिर आंदोलन का आगाज किया था

 

 

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