मालदीव ने तो रिश्ते ‘खराब’ कर लिए, फिर भारत सरकार ने फंड क्यों बढ़ा दिया?

भारत ने इस साल के अंतरिम बजट (interim Budget 2024) में मालदीव (maldives) को विकास के लिए सहायता 50 फीसद बढ़ाकर 400 करोड़ रुपये से ​​600 करोड़ रुपये कर दी है. इस अनुदान के लिए विदेश मंत्रालय (ministry of external affairs) ने मांग की थी.

भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष (2023-24) में मालदीव के लिए 400 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. लेकिन रिवाइज्ड बजट के अनुसार उसने पूरे साल में 770 करोड़ रुपये खर्च किए. इस हिसाब से मालदीव को डेवलपमेंटल असिस्टेंस देने के लिए आवंटित की गई रकम बीते साल की तुलना में भले 50 फीसद ज्यादा है, लेकिन बीते साल खर्च हुई कुल रकम की तुलना में राशि का आवंटन 22 फीसद कम है.

नेबरहुड पॉलिसी

दरअसल, चीन की तरह भारत की भी कई देशों को विकास में मदद देने की अपनी नीति है. इस डेवलपमेंट मॉडल के तहत भारत कई देशों को पैसे का अनुदान, कर्ज और तकनीकी सहायता मुहैया कराता है. जिस देश की जैसी जरूरतें हैं उसी आधार पर वाणिज्य से लेकर कल्चर, एनर्जी, इंजीनियरिंग, हाउसिंग आईटी, साइंस और इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्रों में भारत मदद देता है. लेकिन मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु की सरकार आने के बाद से भारत के प्रति उसका रवैया ठीक नहीं रहा है.

मुइज्जु चीन के करीबी माने जाते हैं. उन्होंने सत्ता में आने से पहले से अब तक लगातार भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर भेजने का राग अलापा है. मालदीव के साथ विवाद के बाद से भारत सरकार ने लक्षद्वीप को भारतीयों के लिए एक टूरिस्ट स्पॉट की तरह डेवलप करने की बात भी कही है. लक्षद्वीप में इन्फ्रास्ट्रक्चर के कई प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करते हुए अपने भाषण में कहा कि सरकार देश के टूरिज्म सेक्टर में निवेश करेगी. उन्होंने लक्षद्वीप का जिक्र करते हुए कहा कि लक्षद्वीप को अपने टूरिस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए सरकार का पूरा सहयोग मिलेगा.

सीतारमण ने कहा,

“घरेलू टूरिज्म के लिए बढ़ते उत्साह को देखते हुए, लक्षद्वीप सहित हमारे तमाम द्वीपों पर कनेक्टिविटी, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं के लिए प्रोजेक्ट्स शुरू किए जाएंगे. इससे रोजगार पैदा करने में भी मदद मिलेगी.”

फिर मालदीव की मदद क्यों?

घरेलू टूरिज्म पर जोर से इतर, इस बार भी विदेश मंत्रालय की मांग पर नेबरहुड पॉलिसी के तहत कई देशों की मदद के लिए भी पैसा आवंटित किया गया है. विदेश मंत्रालय को इस वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कुल 22 हजार 154 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के तहत भारत ने सबसे ज्यादा मदद भूटान को दी है. भारत ने भूटान की मदद के लिए 2 हजार 68 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं. हालांकि ये रकम भी बीते साल की तुलना में कम है. साल 2023-24 में भूटान के लिए 2 हजार 400 करोड़ रुपए आवंटित किए थे. भूटान के बाद दूसरी सबसे बड़ी मदद पाने वाला देश नेपाल है. भारत ने नेपाल के लिए 700 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं. इसके अलावा म्यांमार और अफगानिस्तान जैसे देशों को भी बीते सालों की तरह इस बार भी मदद दी जाएगी. ईरान के चाबहार पोर्ट के लिए भी बजट में 100 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *