Manoj Tiwari Birthday special : भोजपुरी सिनेमा को मनोज तिवारी ने दिलाई नयी पहचान, कभी अपनी ही पार्टी के नेता के खिलाफ लड़ा था चुनाव

मनोज तिवारी का जन्म 1 फरवरी 1971 को बनारस के कबीर नगर चौराहा कॉलोनी में हुआ था। वह 54 साल के हो गए हैं. उन्हें बचपन से ही कला में रुचि थी और उन्होंने कम उम्र से ही स्टेज शो करना शुरू कर दिया था।

कभी-कभी वह रामलीला में महिलाओं का किरदार भी निभाते थे। कभी-कभी वह नाटकों का निर्देशन भी करने लगते थे। कभी-कभी वह बैठे-बैठे ही गानों के बोल लिखने लगते थे। ईश्वर ने उसमें अदरक जैसी प्रतिभा कूट-कूट कर भरी थी। और जिस पर भगवान की कृपा होती है उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता. एक भक्ति एल्बम से उनकी किस्मत भी बदल गई. साल 1991 में मनोज तिवारी को बनारस में गंगा आरती में परफॉर्म करने के लिए बुलाया गया था. ये उनके लिए बड़ा मौका था. अब तक वह छोटे-मोटे स्टेज परफॉर्मेंस करके गुजारा कर रहे थे लेकिन इससे काम नहीं चल रहा था।

गरीबी उनका पीछा नहीं छोड़ रही थी और देव नगरी में मां सरस्वती के आशीर्वाद से वह अपने करियर की सीढ़ियां चढ़ने लगे। साल 1991 के बाद उन्हें कुछ अच्छे शोज़ मिलने लगे। वह मशहूर हो रहा था।

मनोज तिवार

साल 1995 में उन्होंने शीतला घाट पर काशी में नाम से एक एल्बम निकाला था। उनके एल्बम को काफी सराहना मिली और इसका गाना ‘बादी शेर पे सवार’ काफी लोकप्रिय हुआ। उस समय यह भक्ति गीत हर किसी की जुबान पर था और इस गाने ने मनोज तिवारी को खूब पहचान दिलाई. इसके बाद उनके भक्ति गीत लोकप्रिय हो गए। भक्ति गीतों के अलावा उन्होंने कई गाने भी गाए जो लोगों को पसंद आए।

 

 

 

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