Megapixel से कुछ नहीं होता, iPhone के आगे क्यों फेल हैं 108-200MP कैमरा फोन?

आज के टाइम में कोई भी अगर फोन खरीदता है तो खरीदने से पहले सबसे पहले उसका कैमरा ही चेक करता है. कैमरे का ज्यादा मेगापिक्सल है तो फोन खरीदने के लिए तैयार हो जाता है. लेकिन यहां समझने वाली बात ये है कि फोन में ज्यादा मेगापिक्सल का कैमरा होना जरूरी है? क्या सच में मेगापिक्सल बढ़ने से अच्छी फोटो आने की गारंटी होती है? बहरहाल अगर ऐसा सच में होता तो अब तक तो एंड्रॉइड फोन आईफोन की विकेट गिरा चुके होते.
लेकिन आईफोन के 48 मेगापिक्सल की एंड्रॉयड का 200 मेगापिक्सल मुकाबला नहीं कर सकता है. यहां जानें कि आखिर आईफोन के 48 मेगापिक्सल में ऐसी क्या क्वालिटी है जो एंड्रॉयड के 200 मेगापिक्सल में भी नहीं है. इतना फर्क क्यों है यहां समझते हैं.
कैमरा में मेगापिक्सल है कितना जरूरी?

फोन के कैमरा में मेगापिक्सल भी जरूरी है, लेकिन फोन में मेगापिक्सल ज्यादा होने से फर्क नहीं पड़ता है. मेगापिक्सल के साथ बेहतर क्वालिटी के लिए कई और फीचर्स भी जरूरी हैं. इसमें सेंसर साइज, लेंस क्वालिटी, अपर्चर साइज और इमेज प्रोसेसिंग शामिल हैं. अगर किसी फोन के कैमरा में ये सभी चीजें है तो उस फोन की फोटो किसी भी ज्यादा मेगापिक्सल वाले कैमरा से बेहतर होगी.
इन सब क्वालिटी के अलावा बेहतर फोटो-वीडियो हासिल करने के लिए लाइट और फोटो क्विक करने की स्किल पर भी डिपेंड करता है. दरअसल की लोगों को फोटो खींचने का सही तरीका नहीं पता है. लाइट के हिसाब से कैमरा की क्या सेटिंग होनी चाहिए अपर्चर-एक्सपोजर और कलर कॉन्ट्रास्ट क्या रखना होगा ये सब पता होना जरूरी है. अगर किसी को ये नहीं पता है तो बढ़िया से बढ़िया कैमरा से भी अच्छा कंटेंट नहीं मिलता है.
फोन लेते टाइम ये चेक करना बेहद जरूरी है कि आप जो फोन ले रहे हैं उसमें कौन सा लैंस लगा है, लेंस क्वालिटी कैसी है, इसमें सेंसर साइज, इमेज प्रोसेसिंग शामिल है या नहीं. अच्छी फोटो के लिए लेंस सबसे जरूरी रोल निभाता है.

आईफोन या एंड्रॉइड का कैमरा
एंड्रॉइड फोन में मिलने वाला 200 मेगापिक्सल का कैमरा वो फोटो क्लिक नहीं कर पाता है जो आईफोन का 48 मेगापिक्सल का कैमरा कर सकता है. कई स्मार्टफोन कंपनियां अपने नए फोन की अपडेट में हर बार कैमरा का मेगापिक्सल बढ़ाने का सोचती है. लेकिन उसकी पिक्चर क्वालिटी, स्मूथ वीडियो ट्रांजिशन क्वालिटी और जूमिंग क्वालिटी को बेहतर नहीं कर रही है, ये सब आईफोन में आसानी से देखने को मिल जाता है.
बढ़ते सोशल मीडिया के ट्रेंड को देखें तो जो यूजर्स इंस्टाग्राम पर रील्स बनाते हैं या किसी भी तरह का कंटेंट क्रिएट करते हैं वो आईफोन या डीएसएलआर का यूज करते दिखते हैं. सोशल मीडिया के हिसाब से देखें तो ज्यादातर फोटो- वीडियो क्रिएटर आईफोन की डिमांड करते हैं.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *