पुरुष भी सजग रहकर टालें रोग के जोखिम

महिलाओं की तरह पुरुषों को भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है लेकिन वे अकसर रोग के शुरुआती लक्षण नजरअंदाज करते हैं। जो प्राय: एडवांस स्टेज पर ही डिटेक्ट होता है। इसी विषय पर मेरठ स्थित कैंसर अस्पताल के डायरेक्टर एंड चीफ सर्जीकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. उमंग मित्तल से रजनी अरोड़ा की बातचीत।

पिछले दिनों फ्लोरिडा के रहने वाले 43 साल के जैक यारब्रो को अपने सीने में एक गांठ महसूस हुई। लेकिन उन्होंने इसे अनदेखा किया। उसका मानना था कि ब्रेस्ट कैंसर तो महिलाओं को होता है। कुछ महीने बाद गांठ का आकार बड़ा होने पर उसने डॉक्टर को कंसल्ट किया। डायग्नोज होने पर पता चला कि कैंसर लिम्फ नोड्स और फेफड़ों तक फैल गया था। उपचार में देरी होने के कारण रेडियल मास्टेक्टॉमी करके उसके सीने, एरिओला मसल्स और लिम्फ नोड को निकालना पड़ा। कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी लेनी पड़ी।

रोग की आशंका

महिला हो या पुरुष- जन्म से ही उनमें छोटे ब्रेस्ट टिश्यू होते हैं। प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजन हार्मोन्स की वजह से महिलाओं में किशोरावस्था से ही यहां टिश्यू विकसित होने लगते हैं। पुरुषों में महिलाओं की तरह टिश्यूज का विकास तो नहीं होता।

लेकिन पुरुषों में ब्रेस्ट टिश्यू होते ही हैं जिनकी वजह से महिलाओं से अपेक्षाकृत कम, लेकिन ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना बनी रहती है। ब्रेस्ट कैंसर सीने की कोशिकाओं का अनियंत्रित विकास और स्वस्थ कोशिकाओं का कैंसरस कोशिकाओं में बदलना है। ज्यादातर पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर की सख्त गांठ निप्पल के पीछे होती है क्योंकि ब्रेस्ट टिश्यू वहीं होता हैं।

चूंकि पुरुषों में ब्रेस्ट टिश्यू बहुत कम होते हैं, जब तक उसकी गांठ का पता चलता है तब तक कैंसर सेल्स काफी फैल चुके होते हैं या एडवांस स्टेज तक पहुंच जाते हैं। जो जोखिमकारक होता है।

 

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