Mirzapur 3: मुन्ना भैया को ही क्यों मिस कर रही जनता? कालीन और गुड्डू पर कैसे भारी पड़ गया फूलचंद त्रिपाठी
चार साल के इंतजार के बाद Amazon Prime Video की सीरीज़ Mirzapur 3 को पिछले महीने सभी के सामने पेश कर दिया गया. लेकिन दर्शकों के सब्र का फल इस बार कुछ खास मीठा नहीं था. गुड्डू पंडित और कालीन भैया के होने के बाद भी हर किसी ने इस सीज़न में Divyenndu के किरदार फूलचंद त्रिपाठी उर्फ मुन्ना भैया को काफी मिस किया. लोगों का साफ-साफ कहना है कि मुन्ना भैया के बिना ‘मिर्ज़ापुर 3’ अधूरी थी.
मेकर्स ने कहानी को गुड्डू, गोलू और कालीन के इर्द गिर्द घुमाने की खूब कोशिश की, लेकिन ये सभी मिलकर भी मुन्ना भैया की कमी को पूरा नहीं कर पाए. हालांकि कहानी अभी खत्म नहीं हुई है. ‘मिर्ज़ापुर 3’ के बाद अब इस सीरीज के चौथे सीज़न को लेकर तरह-तरह की खबरें भी सामने आ रही हैं. फैन्स इस बात का अंदाजा लगा रहे हैं कि जिस तरह का रिस्पॉन्स सीजन 3 को मिला है, उसे देखते हुए ये जरुरी हो गया है कि सीजन 4 में मुन्ना भैया की वापसी करवाई जाए. लोग लगातार मेकर्स को ये सुझाव भी देते हुए नजर आ रहे हैं कि उन्हें अगर मिर्जापुर 4 हिट करवानी है, तो मरे हुए मुन्ना भैया को कैसे भी जिंदा करके लाना ही होगा.
मुन्ना भैया को ही क्यों मिस कर रही जनता?
जब मिर्जापुर 3 आई तो इस सीरीज के वफादार दर्शकों ने गुड्डू पंडित उर्फ अली फजल और कालीन भैया उर्फ पंकज त्रिपाठी का दिल खोलकर स्वागत किया. फिर चाहे उन्हें उनका काम कैसा भी लगा हो. इस सीजन में कुछ चीज़ें बदली गईं, जैसे रसिका दुग्गल और श्वेता त्रिपाठी के किरदारों को पहले से मजबूत दिखाया गया. लेकिन इतने सबके बीच फिर जो याद आया वो था मुन्ना भैया का न होना.
जब मिर्जापुर 2 को मुन्ना भैया की मौत पर खत्म किया गया, तो सभी को एक उम्मीद थी कि मेकर्स कोई न कोई पेंच जोड़कर उन्हें जिंदा कर लेंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. हालांकि मेकर्स भी ये बात बखूबी समझ चुके हैं कि मिर्जपुर अब मुन्ना भैया के बिना अधूरी है. तभी तो दर्शकों की इतनी डिमांड को देखते हुए अब मेकर्स Mirzapur 3 Bonus Episode लेकर आ रहे हैं. जिसमें सभी को मुन्ना भैया जरूर देखने को मिलेंगे.
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कालीन और गुड्डू पर कैसे भारी पड़ गया फूलचंद त्रिपाठी?
मुन्ना भैया का किरदार भले ही खतरनाक और हिंसा से भरपूर था, लेकिन फिर भी उनका मिजाज लोगों को खूब पसंद आया. इंसान के रूप में शैतान होने के बाद भी लोग उन्हें बार-बार देखना चाह रहे थे. हालांकि मिर्जापुर 3 में गुड्डू और कालीन भैया के किरदार की बात की जाए, तो ये इतने भी मजबूत नहीं थे कि इनके दम पर मेकर्स लोगों का ध्यान मुन्ना भैया से हटा पाएं.
गुड्डू पंडित मिर्जापुर 3 में थोड़े ठंडे नजर आए. न तो उनकी बातों में और न ही उनकी ताकत में दम दिखा. वहीं गोलू भी सीरीज की शुरुआत में अपना दिमाग लगाती हुई दिखीं, लेकिन जरूरत से ज्यादा कुछ भी सही नहीं होता, खुद को ज्यादा समझदार समझना गोलू को भारी पड़ा और इसका असर गुड्डू पंडित की सत्ता पर भी पड़ा. ऐसे में जब इन दोनों का ताल-मेल नहीं बैठा तो दर्शकों को लगा अगर मुन्ना भैया होते तो बताते इन्हें.
मिर्जापुर 3 में कालीन भैया के किरदार से खूब उम्मीदें थीं. लोग सोच रहे थे जवान बेटे की मौत का बदला कालीन भैया, गुड्डू और गोलू को खून के आंसू रुलाकर लेंगे. लेकिन कालीन भैया तो खुद किसी और के सहारे सीजन के अंत तक खुद को समेटते दिखे. अखंडानंद त्रिपाठी उर्फ कालीन भैया की टूटती हिम्मत और न जीने की चाहत ने इस सीरीज का शुरुआत में ही दम तोड़ दिया, जिसे देखते हुए दर्शकों को मुन्ना भैया की भारी कमी खली. कुल मिलाकर मुन्ना भैया इस सीरीज की जान थे और मेकर्स ने मिर्जापुर 3 में उन्हें न लेकर इसकी जान ही निकाल दी.