Modi Cabinet UP Minister: मोदी की तीसरी कैबिनेट में उत्तर प्रदेश से बने ये मंत्री, जानिए कैसे साधा गया जातीय और क्षेत्रीय समीकरण

देश में लगातारी तीसरी बार मोदी सरकार बनने जा रही है. मोदी सरकार 2.0 में उत्तर प्रदेश से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 15 मंत्री थे, जिनमें से सात मंत्री चुनाव हार गए हैं. ऐसे में मोदी सरकार 3.0 में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी इस बार घट गई है. सूबे से इस बार मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में कम से कम दस मंत्री जगह पा सकते हैं. मोदी सरकार 3.0 में मंत्रियों के जरिए यूपी के जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कवायद की है, जिसमें सबसे ज्यादा ओबीसी और उसके बाद दलित समुदाय को जगह मिली है.
उत्तर प्रदेश से मोदी कैबिनेट में जिन नेताओं को जगह मिलने की संभावना है, उसमें लखनऊ से लगातार तीसरी बार जीतने वाले राजनाथ सिंह, पीलीभीत से सांसद बने जितिन प्रसाद, महाराजगंज से सांसद पंकज चौधरी, आगरा से सांसद बने एसपी सिंह बघेल, बासगांव से सांसद कमलेश पासवान, गोंडा से सांसद क्रीति वर्धन सिंह और राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा है.
यूपी में बीजेपी के सहयोगी दल के तौर पर आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी और अपना दल (एस)की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को मोदी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. इसके अलावा एक नाम हाथरस से सांसद बने अनूप वाल्मिकी को जगह शामिल किया जा सकता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए हैं, जिसके लिए यूपी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
जातीय समीकरण साधने का प्लान
मोदी सरकार की तीसरी कैबिनेट में सबसे ज्यादा ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है. मोदी कैबिनेट में ओबीसी समुदाय से पांच मंत्रियों को जगह मिल सकती है, जिसमें दो कुर्मी, एक लोध, एक जाट और एक अति पिछड़ा वर्ग. दलित समुदाय से तीन मंत्री केंद्र में बनाए जा रहे हैं और तीनों ही अलग-अलग जाति से हैं. ठाकुर समुदाय से दो मंत्री बनाए जा रहा है, जबकि ब्राह्मण समाज के मंत्री बनाया जा रहा है. इस तरह से बीजेपी ने अपने कोर वोटबैंक ठाकुर और ब्राह्मण को साधे रखते हुए ओबीसी और दलितों समुदाय के अलग-अलग जातियों को जगह देकर एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग बनाने की कवायद की है. पिछड़े और वंचित समाज से ज्यादा प्रतिनिधित्व देकर सियासी समीकरण साधने की कवायद की है.
ओबीसी समुदाय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे बड़े चेहरे हैं, तो तीसरी बार पीएम बनने जा रहे हैं. इसके अलावा कुर्मी समुदाय से अनुप्रिया पटेल और पंकज चौधरी को जगह मिली है. जाट समुदाय से आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी को कैबिनेट में जगह दी जा रही है. ओबीसी के लोध समुदाय से आने वाले बीएल वर्मा को कैबिनेट में जगह दी जा रही है. ब्राह्मण समुदाय से जितिन प्रसाद को कैबिनेट में जगह दी गई. ठाकुर समुदाय से राजनाथ सिंह और क्रीति वर्धन सिंह को कैबिनेट में शामिल किया जा रहा. दलित समुदाय में एसपी सिंह बघेल, जिसमें पासी समाज से आने वाले कमलेश पासवान और वाल्मिकी समुदाय से आने वाले अनूप वाल्मिकी को जगह मिली है.
क्षेत्रीय समीकरण साधने की रणनीति
पीएम मोदी ने यूपी में जातीय समीकरण के साथ-साथ क्षेत्रीय बैलेंस बनाने की दांव चला है. बीजेपी का सबसे बेहतर प्रदर्शन उत्तर प्रदेश ब्रज क्षेत्र और रुहेलखंड क्षेत्र में रहा है. इसी देखते हुए बीजेपी ने जितिन प्रसाद और बीएल वर्मा को जगह दी है. इस क्षेत्र में लोध समुदाय का दबदबा है और बीजेपी का यह कोर वोटर है. बीएल वर्मा के जरिए लोध को साधने की रणनीति है. यूपी में ब्राह्मण समुदाय का वोट अच्छा खासा है, जो बीजेपी का परंपरागत वोट है. जितिन प्रसाद के जरिए रुहेलखंड ही नहीं बल्कि यूपी के ब्राह्मणों को सियासी संदेश देने की कोशिश की है. ब्रज क्षेत्र से अनूप वाल्मिकी भी आते हैं, जो हाथरस सीट से जीते हैं. दलित समाज और ब्रज क्षेत्र दोनों को अनूप वाल्मिकी को सियासी मैसेज दिया है.
पश्चिमी यूपी से सिर्फ जयंत चौधरी को केंद्र में मंत्री बनाया जा रहा है. जाट समुदाय से आते हैं और पश्चिमी यूपी में जाटों की संख्या अच्छी खासी है. जयंत को सहयोगी दल के तौर पर कैबिनेट में जगह मिल रही है, लेकिन उनके जरिए पश्चिम यूपी और जाट दोनों को साधे रखने की स्टैटेजी है. पिछले कार्यकाल में जाट समुदाय से मंत्री रहे संजीव बालियान चुनाव हार गए हैं. ऐसे में जयंत चौधरी को जगह देकर जाटों को जोड़े रखने की कवायद है. ब्रज क्षेत्र से आने वाले डा. एसपी सिंह बघेल को मंत्री बनाकर दलित समुदाय ही नहीं बल्कि पश्चिमी यूपी और ब्रज को साधे रखने की रणनीति मानी जा रही है.
ठाकुर समुदाय से राजनाथ सिंह और क्रीति वर्धन सिंह को मंत्री बनाया जा रहा है, जिसके जरिए ठाकुर समाज को साधे रखने के साथ अवध क्षेत्र को सियासी बैलेंस को बनाए रखनी रणनीति है. इस बार ठाकुर समुदाय की नाराजगी भी लोकसभा चुनाव के दौरान दिखी थी और सूबे में तमाम जगहों पर पंचायत हुईं. इसके चलते ठाकुर समुदाय से दो मंत्री बनाए गए ताकि अवध से लेकर पूर्वांचल तक को सियासी बैलेंस बनाने की रणनीति मानी जा रही है.
पूर्वांचल क्षेत्र से तीन मंत्री इस बार बनाए जा रहा है, जिसमें दो कुर्मी समुदाय से और एक दलित समाज से है. पंकज चौधरी और अनुप्रिया पटेल दोनों कुर्मी समुदाय से हैं और पूर्वांचल से है. पूर्वांचल के इलाके में कुर्मी बड़ी संख्या में है और सपा ने जिस तरह से इस बार कुर्मी समुदाय के वोटबैंक में सेंधमारी की है. पूर्वांचल में बीजेपी को तगड़ा झटका सपा ने दिया है. इसीलिए कुर्मी समुदाय को साधे रखने के लिए भी दो कुर्मी को जगह दी है. इसके अलावा पासी समुदाय का भी साधने की रणनीति के तहत कमलेश पासवान को मंत्री बनाया जा रहा है, जिसके जरिए पासी और पूर्वांचल दोनों ही साधने की स्टैटेजी है.

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