कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को लेकर कुछ बड़ा करने की तैयारी में मोदी सरकार, जानिए क्या है तैयारी
नई दिल्ली । मोदी सरकार सामाजिक सुरक्षा कवरेज को बढ़ाने के लिए सरकारी स्तर कुछ बड़ा करने वाली है। खबर है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत वेतन सीमा को अब 15,000 से बढ़ाकर करीब 21,000 किया जा सकता है।
ऐसा करना सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्राप्त करने की दिशा में एक मजबूत कदम होगा।
पीएफ के लिए वेतन सीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव पिछले कई वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़ा था। अब इस प्रस्ताव पर फिर से विचार हो रहा है। मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, हम सभी विकल्पों का मूल्यांकन कर रहे हैं और इसबारे में निर्णय नई सरकार द्वारा लिया जा सकता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक केंद्र सरकार का मानना है कि भारतीय उद्योग जगत की मजबूत बैलेंस शीट वेतन सीमा में बढ़ोतरी के कारण उद्यमों पर पड़ने वाले अतिरिक्त वित्तीय बोझ को कम करने में मदद करेगी। अधिकारी के अनुसार,वेतन सीमा बढ़ाने से सरकार और निजी क्षेत्र दोनों पर भारी वित्तीय प्रभाव पड़ेगा।
एक अधिकारी ने बताया कि यदि केंद्र सरकार अधिक से अधिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना चाहती है, तब केंद्र सरकार को उस दिशा में आगे बढ़ना होगा। अनुमान है कि बढ़ी हुई वेतन सीमा से लाखों श्रमिकों को लाभ होगा क्योंकि अधिकांश राज्यों में न्यूनतम मजदूरी 18,000 और 25,000 के बीच है। अभी जो वेतन सीमा है, उस वजह से वे किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा से वंचित हो जाते हैं। ईपीएफओ के तहत वेतन सीमा में आखिरी बार साल 2014 में बदलाव हुआ था। तब वेतन सीमा को 6,500 से बढ़ाकर 15,000 कर दिया गया था। हालांकि, इससे उलट कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) में भी वेतन की सीमा इससे ज्यादा है। वहां साल 2017 से ही 21,000 की उच्च वेतन सीमा है और सरकार के भीतर इस पर सहमति है कि दो सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत वेतन सीमा को अलाइन किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि ईपीएफओ और ईएसआईसी दोनों श्रम और रोजगार मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं।
कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के तहत, कर्मचारी और नियोक्ता दोनों ईपीएफ खाते में मूल वेतन, महंगाई भत्ता और प्रतिधारण भत्ता, यदि कोई हो, 12 प्रतिशत का समान योगदान करते हैं। पीएफ खाते में जहां कर्मचारी का पूरा योगदान भविष्य निधि खाते में जमा किया जाता है, वहीं नियोक्ता के योगदान का 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है और शेष 3.67 प्रतिशत पीएफ खाते में जमा किया जाता है।