Money Laundering Case: आखिर गंवानी ही पड़ी हेमंत सोरेन को कुर्सी

डॉ अंजनी कुमार झाः सत्ता में आने के तीन वर्षों के बाद ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे झारखंड मुक्ति मोर्चा ( झामुमो) के नेता और शिबू सोरेन के पुत्र बरहट से विधायक हेमंत सोरेन को बुधवार को मुख्यमंत्री की कुर्सी खोनी पड़ी.

वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए सूबे के दामन में बार-बार दाग लगता है. हेमंत तीसरे कद्दावर नेता हैं जिन्हें जेल की हवा खानी पड़ी. इससे पूर्व उनके पिता और पूर्व सीएम शिबू सोरेन व मधु कोड़ा जेल जा चुके हैं. प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और आयकर विभाग के ताबड़तोड़ छापे और भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत के बाद हेमंत के पास कोई विकल्प नहीं बचा था.

बचाव के कोई उपाय काम नहीं आने पर हथियार डालना ही शेष था. पत्नी कल्पना के नाम पर विरोध हो गया और झामुमो के उपाध्यक्ष व स्वास्थ्य मंत्री 67 वर्षीय चंपई सोरेन के भाग्य का पिटारा खुल गया. कोल्हण के टाइगर को चुनावी चेहरा बनाया जा सकता है. 81 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस की मदद से 2019 में सरकार बनाने वाले हेमंत की मुश्किलें 2022 से ज्यादा बढ़ गई थीं जब भाजपा ने उनके खिलाफ खनन घोटाले में निर्वाचन आयोग में शिकायत की. विपक्ष के तीखे तेवर के कारण सोरेन ने अपने विधायक साथियों के साथ रायपुर के रिसोर्ट में शरण ली.

तब विश्वास मत हासिल करने में कामयाब सोरेन की कुर्सी बच गई थी. झारखंड के साथ ही उसी वर्ष उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ भी अस्तित्व में आया और दोनों प्रगति के पथ पर सरपट दौड़ रहे हैं. अब विधानसभा चुनाव होने में एक साल से भी कम समय बाकी है. ऐसे में मुख्य विपक्षी दल भाजपा को इसका लाभ मिल सकता है.

सोरेन के सहयोगी दलों- कांग्रेस और राजद की असमंजस वाली स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश भाजपा ने शुरू कर दी है. आईएएस पूजा बंसल और सोरेन के सहायक पंकज मिश्र अभी जेल में हैं. अदालत के हस्तक्षेप और केंद्रीय जांच एजेंसियों की सक्रियता के कारण घोटालों की फेहरिस्त परत-दर-परत सामने आ रही है.

जांच एजेंसियों को सहयोग करने के बजाय उन पर एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दायर करने से संघीय ढांचे पर आंच आ रही है. प. बंगाल की ममता और आप के केजरीवाल के रास्ते पर हेमंत सोरेन भी चल निकले हैं.

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