मां चलाती थीं घर का खर्च…पति एंबुलेंस ड्राइवर, महिला ने जज बन लिखी नई इबारत, भावुक कर देगी असीम संघर्ष की कहानी
सफलता किसी की जागीर नहीं होती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है तमिलनाडु की आदिवासी महिला ने. एक बच्चे की मां ने तमिलनाडु लोकसेवा परीक्षा पास कर इतिहास रच दिया है. वह सिविल जज पद के लिए अंतिम रूप से चयनित हो गई हैं. अपने समुदाय की वह महिला हैं, जिन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी वी. श्रीपति को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. बता दें कि तमिलनाडु लोकसेवा आयोग की ओर से ही न्यायिक सेवा की परीक्षा भी ली जाती है. कुछ सौ सीटों के लिए हजारों की संख्या में अभ्यर्थी शामिल होते हैं. राज्य लोकसेवा आयोग की ओर से आयोजित होने वाली परीक्षाओं को सबसे मुश्किल एग्जाम में से एक माना जाता है.
जानकारी के अनुसार, तिरुपत्तुर जिले की 23 वर्षीय वी. श्रीपति ने सफलता की नई इबारत लिखी है. मलयाली ट्राइब से संबंध रखने वाली श्रीपति ने लोकसेवा आयोग की ओर से आयोजित परीक्षा में सफलता हासिल कर सिविल जज बन गई हैं. श्रीपति हाल में ही मां बनी हैं. इसके बावजूद उन्होंने अपनी तैयारियों को जारी रखा था. वह लगातार कठिन मेहनत कर रही थीं, जिसका नतीजा अब सामने आया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिविल जज के लिए चयनित होने के बाद उन्होंने बताया कि लॉ (कानून) की पढ़ाई करने से पहले तक वह येलागिरी हिल्स में ही रहकर स्कूली शिक्षा हासिल की थी. श्रीपति का कहना है कि समुदाय के लोगों को उनके कानूनी अधिकार को लेकर जागरूक करने के उद्देश्य से उन्होंने कानून की पढ़ाई करने की ठानी थी.
मां संभालती थीं घर का खर्च, पति चलाते हैं एंबुलेंस
वी. श्रीपति ने कठिन संघर्ष कर यह सफलता हासिल की है. उनकी मां के. मल्लिगा घर-घर जाकर काम करती थीं, ताकि परिवार का भरण-पोषण अच्चे से हो सके. उनके पिता एस. कलिअप्पन खेती-किसानी करते हैं. अच्छी जिंदगी की तलाश में श्रीपति के माता-पिता वर्षों पहले येलागिरी हिल्स एरिया से अथनावूर गांव में आए थे. श्रीपति के स्कूल की प्रिंसिपल सिस्टर विक्टोरिया अरुलरानी ने बताया कि वह शुरुआत से ही मेधावी छात्रा थीं. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी वह स्कूल जाती थीं और वहां के बच्चों से अपने अनुभव शेयर करती थीं. बाद में श्रीपति की शादी हो गई. उनके पति एंबुलेंस चलाते हैं.