Munawar Faruqui Shayari: बहती हुई वो, रुका हुआ मैं…बेहतरीन हैं मुनव्वर फारूकी की ये शायरियां

Munawar Faruqui Shayari: बहती हुई वो, रुका हुआ मैं...बेहतरीन हैं मुनव्वर फारूकी की ये शायरियां

लाइफ हमेशा एक जैसी नहीं होती। कभी खुशी होती है तो कभी दुख होता है। हालांकि, कई बार ऐसा मौका भी आता है जब मन उदास होता है लेकिन उदासी की वजह समझ में नहीं आती।अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो मन हल्का करने के लिए आप मुनव्वर फारूकी की ये शायरियां पढ़ सकते हैं।

1) सिरहाना खाली मुझे
याद तेरी आ रही है।
भूख मर चुकी है,
फिकर तेरी खा रही है।

2) खुद के मिजाज से खुद को
बरबाद क्या करना,
प्यार को तरसना और
मोहब्बत से डर ना।

3) कुछ रास्ता लिख ​​देगा
कुछ मैं लिख दूंगा,
तुम लिखते जाओ मुश्किल,
मैं मंजिल लिख दूंगा।

4) बाजारों में रौनक लोट आई है,
लगता है वो बेपर्दा बाजार आई है।

5)सुनो तुम ख्वाब देखो,
में पूरा करके आता हूं।

6) झूलम करने वाले एक दिन जरूर डूबेंगे,
मेरा यकीन समंदर से भी गहरा है।

7) जल रहे है वो मुझे खुश देख कर,
कोई उन्हें मेरा दुख बता कर खुश करदो।

8) बहती हुई वो, रुका हुआ मैं,
मुकम्मल सी वो, टूटा हुआ मैं।

9) कोई ठोकर खाके बैठा था, कोई गम में डूबा था,
किसी ने बड़े दर्द सहे थे तो कोई बरबाद हुआ था।

10) कहना शायद मुश्किल होगा, तुझे कितना चाहता हूं,
तुझे आने वाली हिचकियों से माफी चाहता हूं।

11) हंसा कर चेहरों को खूब रोशन किया है मैंने,
मेरे अंदर के अंधेरे, मुझसे बड़ी शिकायतें करते हैं।

12) आंखों का सुकून तो, किसी के दिल की ठंडक हो गया,
एहसास न हुआ मुझे, मैं तो पिघलता हुआ बर्फ़ हो गया।

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