Munjya Review : डर के आगे मुंज्या है….कैसी है शरवरी वाघ की ये फिल्म

मुंबई से गोवा की तरफ चल पड़ो, तो रास्ते में आपको भूतों और काले जादू के कई किस्से सुनने को मिलेंगे. कोंकण में रहने वाले हर इंसान के पास आपको मुंज्या, हडळ और देवचर की कई ऐसी कहानियां मिलेंगी, जो उन्होंने अपनी दादी या नानी से सुनी थीं. सालों से ये कहानियां आने वाली पीढ़ियों को सुनाई जा रही हैं. ‘तुंबाड’ उन्हीं कहानियों में से एक थी. आज भी जब हम गांव जाते हैं, तब मां कहती हैं,”शाम को बाहर मत जाना, मुंज्या आजाएगा.” जी हां कोंकण में भूतों का भी एक टाइमिंग और जगह होती है.
कुछ भूत दोपहर को अवेलेबल रहते हैं, कुछ शाम को, तो कुछ रात 12 – 4 बजे तक, और कुछ ऐसे भी होते हैं जो एक खास इलाके में रहना पसंद करते हैं, वो भूत अपने इलाके से बाहर जाने में खास कंफर्टेबल नहीं होते. आज भी गांव में पीपल के कई पेड़ों को दिखाकर जब गांव के बुजुर्ग बड़े ही आत्मविश्वास के साथ कहते हैं कि इस पेड़ पर मुंज्या बंधा हुआ है, तब आपको ठंडी हवा में भी पसीना आ जाता है. ‘मुंज्या’ का ट्रेलर रिलीज हुआ, तब ये फिल्म हिंदी में कैसे बनेगी, ये जानने की उत्सुकता थी. और इस उत्सुकता के खातिर फिल्म देख डाली. फिल्म मजेदार है. और हॉरर कॉमेडी जॉनर को जस्टिफाई भी करती है.
कहानी
अगर कोई ब्राह्मण लड़का मुंज उपनयन संस्कार माने जनेऊ होने के बाद 10 दिन के अंदर मर जाता है, तब वो ब्रह्मराक्षस बनता है. इस ब्रह्मराक्षस को ‘मुंज्या’ भी कहते हैं. ये मुंज्या अपनी अधूरी इच्छाएं पूरी करने के लिए अपने किसी रिश्तेदार के पीछे पड़ जाता है. साल 1952 में कोंकण में रहने वाला एक बच्चा अपनी उम्र से बड़ी मुन्नी से शादी करने की जिद पर अड़ जाता है. अपनी इच्छा पूरी करने के लिए वो अपनी बहन की बलि चढ़ाने से भी पीछे नहीं हटता, लेकिन इस दौरान उसकी बहन तो बच जाती है. लेकिन ये बच्चा मर जाता है. फिर वो बच्चा ‘मुंज्या’ बन जाता है. अब ये ‘मुंज्या’ कैसे अपनी बहन से बदला लेता है, क्या उसकी अधूरी इच्छा पूरी हो जाती है? बिट्टू (अभय) और बेला (शरवरी वाघ) से ये ‘मुंज्या’ कैसे टकराता है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर ‘मुंज्या’ देखनी होगी.
आदित्य सरपोतदार की ‘मुंज्या’ एक हॉरर-सुपर नेचुरल कॉमेडी फिल्म है. ये फिल्म ट्रेडिशनल डरावनी फिल्मों से पूरी तरह से अलग है. ये फिल्म आपको डराती भी है. और खूब हंसाती भी है. क्योंकि भले ही मुंज्या को ब्रह्मराक्षस कहा गया को, लेकिन बुद्धि से वो एक बच्चा ही होता है. एक ऐसा बच्चा जो बिगड़ैल है, शरारती है और दूसरों को परेशान करता रहता है. और उसकी ये आदतें ही ऑडियंस का मनोरंजन करती है.
उदाहरण के तौर पर बात की जाए तो एक तरफ ये मुंज्या, बिट्टू के कुछ करीबी लोगों की जान लेता है, तो दूसरी तरफ उसकी बहन को उसका काम न करने पर टकली करने की यानी गंजा करने की धमकी देता है. कई बार वो एक ही बात बार-बार कहकर सामने वाले को इस कदर तंग कर देता है, कि हम कह देते हैं, ‘अब बस कर यार.’ इस फिल्म में ड्रामा, कॉमेडी, रोमांस और अपनापन सब कुछ है. मैडॉक फिल्म के ‘स्त्री’ और ‘भेड़िया’ की तरह ये फिल्म भी आपका खूब मनोरंजन करती है.

निर्देशन और राइटिंग
आदित्य सरपोतदार इससे पहले मराठी में ‘झोंबिवली’ नाम की हॉरर कॉमेडी बना चुके हैं. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की थी. शुरुआत से लेकर आखिरतक दर्शकों को अपने साथ कैसे जोड़कर रखना है, ये आदित्य को अब अच्छी तरह से आता है. और अपने इस टैलेंट का उन्होंने फिल्म ‘मुंज्या’ में सही इस्तेमाल किया है. सीजीआई किरदार के साथ एक फीचर फिल्म बनाना, आसान तो नहीं था. लेकिन ये चैलेंज आदित्य सरपोतदार, और फिल्म के राइटर नीरेन भट्ट और योगेश चांदेकर ने बखूबी निभाया है. भले ही ये फिल्म नेशनल ऑडियंस के लिए बनी हो, लेकिन आदित्य ने इसकी डिटेलिंग पर कमाल का काम किया है.
इस फिल्म की ओपनिंग में एक सीन है, जहां गांव में चल रहे उत्सव के दौरान ‘संकासुर’ (एक मास्क पहना हुआ किरदार जिसे बच्चे डरते हैं) को दिखाया गया है, आमतौर पर इस तरह से भूत जैसे दिखने वाले काले कपड़े पहने हुए किरदार से बच्चे डर जाते हैं. लेकिन वो छोटा बच्चा नहीं डरता, जो आगे चलकर मुंज्या बन जाता है. वो उस संकासुर पर इस तरह से गुर्राता है, जिसे देख वो असुर बना इंसान दो कदम पीछे चला जाता है. इस तरह के कई छोटे-छोटे सीन में निर्देशक ने शानदार कैरेक्टर बिल्डिंग की है. कलाकारों ने भी उनका पूरा साथ दिया है.
एक्टिंग
शरवरी वाघ, मोना सिंह और अभय वर्मा ‘मुंज्या’ में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. लेकिन कहानी का सुपरहीरो तो मुंज्या ही है. अभय वर्मा भी अपनी भूमिका को पूरी तरह से न्याय देते हैं. अभय इससे पहले संदीप सिंह की फिल्म ‘सफेद’ में अपने टैलेंट की झलक दिखा चुके हैं. उनकी एक्टिंग देखकर कहा जा सकता है कि ये तो बस शुरुआत है. मोना सिंह मराठी बिट्टू की पंजाबी मां बनी हैं. उनका किरदार भी मजेदार है. शरवरी ने भी फिल्म में अच्छी एक्टिंग की है. फिल्म में कई थिएटर एक्टर्स को कास्ट किया गया है, जिन्होंने अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाई है. बाहुबली वाले ‘कटप्पा’ सत्यराज इस फिल्म में मजेदार ट्विस्ट लेकर आए हैं.
सीजीआई, सिनेमैटोग्राफी और म्यूजिक
हमारे देश में बनी हॉरर फिल्मों के इतिहास में पहली बार एक सीजीआई किरदार को ‘मुंज्या’ में बतौर विलेन पेश किया गया है. और जिस तरह से इस किरदार ने एक्टिंग की है, इस प्रयोग को एक सफल प्रयोग कहा जा सकता है. अब आने वाले समय में इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए और क्या कमाल देखने मिलता है, ये जानने की उत्सुकता रहेगी. जब भी फिल्मों में समुद्र तट दिखाना हो, तब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री एक तो गोवा जाती है, या फिर देश के बाहर. लेकिन कोंकण और गुजरात के समुद्र तट पर भी कई कमाल की लोकेशंस और वर्जिन बीचेस है, जहां मालदीव और मॉरीशस की तरह प्रकृति का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है. कोंकण इलाके को टी ‘इंडिया का कैलिफोर्निया’ भी कहते हैं. ‘मुंज्या’ में सिनेमेटोग्राफर सौरभ गोस्वामी ने अपने बेमिसाल कैमरा वर्क से कोंकण की ये खूबसूरती, वहां के घरों की ट्रेडिशनल रचना ऑडियंस के सामने पेश की है.
हॉरर फिल्म में सबसे महत्वपूर्ण होता है म्यूजिक, अगर सही म्यूजिक न हो, तो हॉरर फिल्म एक मजाक बनकर रह जाती है. लेकिन मुंज्या’ में सचिन-जिगर अपने म्यूजिक से डर का माहौल पैदा करने का काम शिद्दत के साथ करते हैं.
देखे या न देखें
आपको हार्डकोर हॉरर फिल्में पसंद हैं, तो ये फिल्म आपके लिए नहीं है. ये फिल्म पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाने वाले कहानियों में से एक कहानी पर बनी है. इसलिए इसमें अगर आप लॉजिक ढूंढ़ने जाते हो, तो आपको वो नहीं मिलेगा. लेकिन एक नए सिनेमैटिक एक्सपीरियंस के लिए ये फिल्म जरूर देखें. इस गेम चेंजर सुपरनैचुरल हॉरर कॉमेडी को दिनेश विजन और अमर कौशिक ने मैडॉक फिल्म्स के बैनर तले प्रोड्यूस किया है. यह फिल्म एक परफेक्ट फैमिली एंटरटेनर है, जिसे कतई मिस नहीं करना चाहिए. सिर्फ बड़े ही नहीं बच्चे भी इस फिल्म को खूब एंजॉय कर सकते हैं. क्योंकि नील गैमन नाम के एक अमेरिकी महापुरुष ने कहा है कि परीकथाएं बच्चों को ये नहीं बतातीं कि ड्रैगन मौजूद हैं. बच्चों को पहले से ही पता है कि ड्रैगन असल में होते हैं. लेकिन परीकथाएं बच्चों को ये आत्मविश्वास दिलाती है कि ड्रेगन को मारा भी जा सकता है.
फिल्म : मुंज्या
निर्देशक : आदित्य सरपोतदार
एक्टर्स : अभय वर्मा, मोना सिंह, शरवरी वाघ
रेटिंग : *** 1/2

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