मशरूम की खेती ने बना दिया किसान को मालामाल, हर महीने कमा रहा लाखों रुपये
जिले के बिजवाड़ नरूका गांव में हजारीलाल सैनी बटन मशरूम की खेती कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। इनसे खेती करने की जानकारी हासिल करने के लिए दूर-दूर से किसान आते हैं।
यहां तक कि शहर के लोग भी अपने खाली पड़े प्लॉट पर इस प्रकार की व्यवस्था कर मशरूम की खेती करने का मानस बनाने लगे हैं। सैनी ने कभी किराए का मकान लेकर खेती शुरू की थी, जहां आज वह खुद करोड़ों रुपए के मकान का मालिक बन गया है। कड़ी मेहनत से दिन-रात इसी खेती में लगने से यह मुकाम हासिल किया है।
प्रति रेक 25000 रुपए बचत
सैनी ने बताया, वह 20 बाई सात के चार बड़े-बड़े हॉल में 64 रेक पर मशरूम की खेती कर रहा है। एक रेक से लगभग चार क्विंटल उत्पादन हो जाता है।
इस पर लागत 15 हजार रुपए आती है और 100 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक्री हो जाती है। इस तरह प्रति रेक 25 हजार रुपए की बचत हो जाती है।
नए भूसे से बनाएं कम्पोस्ट
सैनी गेहूं का तुड़ा, मुर्गी की बीट, गोवंश का गोबर, चोकर, जिप्सम, सेरा, पोटाश तथा डीएपी खाद मिलाकर खाद तैयार करते हैं। इसमें थोड़ा सा यूरिया तथा गोमूत्र भी मिलाते हैं। किसान ने बताया, कम्पोस्ट बनाने के लिए नया भूसा ही प्रयोग करें।
धान की पराली अथवा गेहूं के भूसे के स्थान पर सरसों का भूसा भी काम में ले सकते हैं, लेकिन सरसों के भूसे के साथ मुर्गी की बीट का प्रयोग जरूर करें। कम्पोस्ट में नाइट्रोजन की मात्रा लगभग 1.5-2.5 प्रतिशत होनी चाहिए।
ऐसे करें शुरुआत
किसान ने बताया, मशरूम की खेती के लिए बहुत अधिक जमीन की जरूरत नहीं होती है, 10 बाई 10 के तीन- चार कमरों से भी शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा बांस व धान की पुआल से बने अस्थाई शेड अथवा झोपड़ी बनाकर भी इसकी खेती की शुरुआत कर सकते हैं।
भूसे की लगभग एक फीट मोटी कंपोस्ट की तह बना लें। उसे लगभग एक से दो दिन तक गिला रखें ताकि उपयुक्त नमी बनी रहे। इससे मशरूम का अंकुरण अच्छा होगा। अच्छी पैदावार के लिए 13 से 18 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।