राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने कहा, 2023-24 में 7.3 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था

चालू वित्त वर्ष यानी 2023-24 के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अग्रिम अनुमान की गणना में 2.59 लाख करोड़ रुपये की विसंगतियां रही हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने यह जानकारी दी है।

इससे पहले 2022-23 में जीडीपी गणना में 3.80 लाख करोड़ और 2021-22 में 4.47 लाख करोड़ रुपये की विसंगति रही थी।

एनएसओ ने बीते शुक्रवार को राष्ट्रीय खातों का अपना पहला अग्रिम अनुमान जारी किया था। इसमें बताया गया था कि 2023-24 में अर्थव्यवस्था 7.3 फीसदी की दर से बढ़ेगी। 2022-23 में वृदि्ध दर 7.2 फीसदी रही थी। जीडीपी आंकड़ों में विसंगति उत्पादन और खर्च पद्धति के तहत राष्ट्रीय आय में अंतर को बताती है।

सूचना में देरी राष्ट्रीय खातों में गड़बड़ी की वजह

विशेषज्ञों का कहना है कि राज्यों और विभिन्न एजेंसियों की सूचना देने में देरी से राष्ट्रीय खातों में हमेशा कुछ विसंगतियां रहेंगी। चालू वित्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय खातों के आंकड़ों में उच्च स्तर की विसंगतियों पर विशेषज्ञों ने कहा, आंकड़ों को यथासंभव सटीक रूप से दिखाने के लिए विसंगतियों को दर्शाया जाता है। हालांकि, सरकार इसे कम करने का हरसंभव प्रयास करती है।

जीवीए 6.9 फीसदी रहने का अनुमान

चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राष्ट्रीय खातों के

एनएसओ के पहले अनुमान से यह भी पता चला है कि देश का सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2023-24 के दौरान 6.9 फीसदी की दर से बढ़ेगा, जो 2022-23 के 7 फीसदी से कम है। हालांकि, इस वित्त वर्ष में घरेलू जीडीपी की वृद्धि दर 7.3 फीसदी रहने का अनुमान है, जो 2022-23 में 7.2 फीसदी रही थी। जीडीपी जीवीए और करों का शुद्ध योग है। देश में साक्ष्य आधारित नीति निर्माण की दृष्टि से राष्ट्रीय खातों की गणना महत्वपूर्ण हो जाती है।

 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *