NEET केस: मद्रास IIT की रिपोर्ट पर सवाल, NTA ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, आज सुनवाई
नीट-यूजी मामले में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने सुप्रीम कोर्ट में नया फलफनामा दाखिल किया है, जिस पर आज सुनवाई है. इस नए हलफनामे में NTA ने IIT मद्रास के निदेशक के खिलाफ हितों के टकराव के आरोपों का खंडन किया है.
रविवार देर रात दायर एनटीए के हलफनामे में कहा गया कि आईआईटी-मद्रास के निदेशक, जो 2024 में जेईई एडवांस्ड आयोजित करने की जिम्मेदारी रखते हैं, वो एनटीए गवर्निंग बॉडी के पदेन सदस्य हैं. हालांकि, हलफनामे में इस बात पर जोर दिया गया कि एनटीए के मुख्य कार्यों को इसकी प्रबंध समिति द्वारा निष्पादित किया जाता है, जबकि गवर्निंग बॉडी केवल नीतिगत मामलों को संभालती है.
हलफनामे में आगे कहा गया है कि IIT मद्रास के निदेशक ने गवर्निंग बॉडी की बैठकों में भाग लेने के लिए एक अन्य प्रोफेसर को नामित किया था. नामित व्यक्ति ने दिसंबर 2023 में आखिरी बैठक में भाग लिया था. निदेशक ने खुद दिसंबर 2022 के बाद से एनटीए की किसी भी आम सभा की बैठक में भाग नहीं लिया है. दरअसल, पिछली सुनवाई में आईआईटी-मद्रास के निदेशक की रिपोर्ट पर सवाल उठे थे.
18 जुलाई को सुनवाई के दौरान दोबारा परीक्षा की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं ने हितों के टकराव का मुद्दा उठाया था और तर्क दिया था कि आईआईटी मद्रास के निदेशक को एनटीए गवर्निंग बॉडी में उनकी स्थिति के कारण रिपोर्ट तैयार नहीं करनी चाहिए थी.
सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने इस तर्क का विरोध करते हुए कहा कि पदेन सदस्य के रूप में निदेशक की भूमिका पूरी तरह से जेईई एडवांस्ड परीक्षा आयोजित करने के उद्देश्य से थी. उन्होंने यह भी कहा कि निदेशक ने एनटीए बैठकों में भाग लेने के लिए एक अन्य प्रोफेसर को नियुक्त किया था. कोर्ट इसी मामले पर आज सुनवाई करेगा.
NTA पर अधूरी रिपोर्ट दाखिल करने का आरोप
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल कर कहा था कि एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट में IIT मद्रास की अधूरी रिपोर्ट दाखिल की है. याचिकाकर्ताओं एनटीए ने अधूरे डेटा और विश्लेषण को सही बताने के लिए आईआईटी मद्रास की अधूरी रिपोर्ट दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की है. यह रिपोर्ट सही नहीं है. टॉप 100 छात्रों में से 67 छात्रों को 720/720 अंक मिले लेकिन रिपोर्ट में कोई असामान्यता नहीं दिखती है.