NEET: कोई सेटिंग बैठाने तो कोई बॉक्स खोलने में माहिर… पेपर लीक के 5 बड़े गुनहगार
देश में यदि हम यूपीएससी की को छोड़ दे तो ऐसी कोई भी परीक्षा नहीं बची है, जिसके बारे में आप दावे से कह सकते हैं कि इसका पेपर लीक नहीं होगा. परीक्षाएं हो रही हैं, लेकिन पेपर पहले लीक हो जा रहे हैं. 18 जून को यूजीसी नेट की परीक्षा हुई, वह भी लीक थी. फरवरी महीने में यूपीएससी में 60000 सिपाहियों की बहाली के लिए आरक्षी भर्ती परीक्षा हुई, जिसमें 48 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए, उसके भी पेपर लीक थे. बिहार में बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा हुई, उसके पेपर भी लीक हुए. नीट को लेकर सीबीआई की जांच बिहार और झारखंड पहुंच गई है, ऐसे में यह कहना भी गलत नहीं होगा कि बिहार पेपर लीक गिरोह के सरगना का कैपिटल बन गया है.
बिहार के नालंदा जिल में जहां कभी नालंदा विश्वविद्यालय हुआ करता था, वह इस गिरोह के सरगना का हेड क्वार्टर है. इसकी शुरुआत आज से कोई तीन दशक पहले एक डॉन ने की थी, जिसकी गिरफ्तारी भी सीबीआई ने की थी. लेकिन पूरे देश में नंबर एक पर पेपर लीक गिरोह के सरगना का नाम नालंदा के संजीव मुखिया का है, जिसका असली नाम संजीव कुमार है और इसे संजीव मुखिया उर्फ लूटन भी कहते हैं. इस गिरोह को ऐसे भी पहचाना जाता है कि यह बाप-बेटे का गिरोह है और यह नालंदा का गिरोह है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि नालंदा गैंग देश का सबसे बड़ा गैंग है और इसका किंगपिन संजीव मुखिया फरार चल रहा है. संजीव मुखिया की गिरफ्तारी के लिए बहुत सारी कोशिशें हो रही है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है. उसका बेटा डॉक्टर है, वह भी जेल में बंद है. बिहार ईओयू इकोनॉमिक ऑफेंस यूनिट भी पेपर लीक में संजीव मुखिया की इस मामले में संलिप्ता को प्रमाणित कर चुका है.
सबसे बड़ा किरदार संजीव मुखिया
संजीव मुखिया पहले चपरासी था और यह आज नूर सराई उद्यान महाविद्यालय गार्डन कॉलेज में क्लर्क है. यह बिहार के नालंदा जिले के नगरनौसा के बुधई खार गांव का रहने वाला है. जब भी कभी देश में किसी परीक्षा का पेपर लीक होता है तो पुलिस इस गांव में जरूर पहुंचती है. इसके पिता का नाम जनक किशोर प्रसाद हैं और पत्नी का नाम ममता देवी है. वह हरनौत से 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन जेडीयू ने टिकट नहीं दिया तो लोजपा पार्टी में शामिल हो गई थी और चुनाव लड़ी. ममता को 38000 वोट आए थे और वह दूसरे नंबर पर रही थी. संजीव मुखिया देशभर में फैले पेपर लीग गिरोह का सबसे बड़ा सरगना है. यह गिरोह 10 वर्षों से पेपर लीक करा रहा है. जब बिहार में बीएसएससी पेपर लीक हुआ था और तब के बीएसएससी के चेयरमैन सुधीर प्रसाद को भी जेल जाना पड़ा था, तब भी संजीव मुखिया का नाम आया था.
संजीव मुखिया के बेटा का डॉक्टर शिवकुमार है, जोकि अभी पटना के बेऊर जेल में बंद है और यह बीपीएससी शिक्षक भर्ती घोटाले में शामिल रहा है. 2017 में पटना के पत्रकार नगर थाने में भी इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी. 2024 में बीपीएससी शिक्षा भर्ती परीक्षा के पेपर लीक के दौरान वह भूमिगत हो गया था, लेकिन बिहार की पुलिस ने उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन में 21 अप्रैल 2024 को चार सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किया था. संजीव मुखिया और डॉक्टर शिवकुमार का देशभर में नेटवर्क है. अभी नीट मामले में ईओयू ने वालदेव उर्फ पिंटू हिलसा (जो नालंदा का रहने वाला है) खास माना जाता है. इसके पास ही नीट पेपर लीक का पीडीएफ सबसे पहले मोबाइल पर आया था. इस मामले में दूसरा आरोपी चिंटू है, जो हिलसा का रहने वाला है.
दूसरा किरदार रवि अत्री
पेपर लीक गैंग का दूसरा सबसे प्रमुख नाम रवि अत्री है. यह संजीव मुखिया से मिला हुआ है और आज यह उत्तर प्रदेश में मेरठ की जेल में बंद है. उत्तर प्रदेश में सिपाही भर्ती परीक्षा पेपर लीक में यह मास्टर माइंड था और नीट में भी इसकी बड़ी भूमिका बताई जा रही है. जेल में रहते हुए रवि अत्री और संजीव मुखिया दोनों ने मिलकर नीट का पेपर लीक कराया. रवि अत्री ग्रेटर नोएडा के नीमका जेवर गांव का रहने वाला है. रवि अत्री 2007 में जब छात्र था और डॉक्टर बनने की हसरत रखता था. यह मेडिकल परीक्षा की तैयारी करने राजस्थान के लिए कोटा गया था और वहां के एलन कोचिंग इंस्टिट्यूट में दाखिला लिया था, लेकिन यह पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया और वही उसे इस गोरख धंधे में शामिल होने का मौका मिल गया. पांच वर्षों के बाद जब यह प्री मेडिकल टेस्ट पास कर गया और हरियाणा के रोहतक में पीजीआई कॉलेज में इसने दाखिला लिया. रवि अत्री की संजीव मुखिया के बेटे डॉक्टर शिव से ज्यादा पटती है और यह दोनों जेल में है, लेकिन वहां पर रहकर यह परीक्षाओं का पर्चा लीक कराते हैं.
तीसरा किरदार अभिषेक शुक्ला
नीट स्कैम.
अभिषेक शुक्ला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का रहने वाला है. जब वह इस धंधे में शामिल हुआ तो पेपर लीक किया जाना और ज्यादा आसान हो गया. वह ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में पहले काम करता था और वहीं से इसने पूरा जाल बुना. उसे पता चल गया था कि जो गुजरात में प्रिंटिंग प्रेसेस हैं, जहां प्रश्न पत्रों की छपाई होती है, वहां से कब, कैसे और कहां के लिए प्रश्न पत्र आते हैं. प्रश्न पत्र तो प्रिंटिंग प्रेस में छपते हैं, लेकिन उसे सेंटर्स तक भेजने के लिए किसी ना किसी कुरियर एजेंसी का सहारा लेना होता है. जब वह इस धंधे में शामिल हुआ तो उसने नौकरी छोड़ दी, लेकिन उसके कई सहयोगी यहां पहले से तैनात थे और जो नए आ रहे थे वह भी दोस्त बन जा रहे थे.
अभिषेक शुक्ला के दोस्त जो दूसरी कुरियर एजेंसियों में काम कर रहे थे, जब वहां प्रश्न पत्र पहुंचता है तो वह उसकी जानकारी अभिषेक शुक्ला को दे देते हैं. इसने जितने भी लोगों को रखा हुआ है, उनको मंथली बेसिस पर पेमेंट करता है. वह लोग इसे प्रश्न पत्र आने पर सिर्फ जानकारी देते हैं. जब यूपी सिपाही भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र फरवरी के पहले हफ्ते में गुजरात के प्रिंटिंग प्रेस से टीसीआई के गोदाम में पहुंचा तो वहां काम कर रहे इसके दो दोस्त शिवम गिरी और रोहित पांडे ने इसको खबर कर दी. एक फरवरी को शिवम ने अभिषेक शुक्ला को 1 फरवरी 2024 को व्हाट्अस कॉल किया कि यूपी पुलिस का माल आया है. जिस लोहे के ट्रंक में प्रश्न पत्र थे, उसकी तस्वीरें भी खींचकर भेजी और इसके बाद अभिषेक शुक्ला सक्रिय हो गया. उसने आगे के काम के लिए रवि अत्री को फोन किया.
फिर रवि अत्री समेत गिरोह के दूसरे लोग अहमदाबाद में एक होटल में पहुंचे. भोपाल से राजीव नयन मिश्रा को बुला लिया गया और शिवम गिरी व रोहित पांडे को सूचना देने के बदले में 5 लाख दिए गए, लेकिन संजीव मुखिया, रवि अत्री और अभिषेक शुक्ला के लिए यह संभव नहीं था कि वह उस ट्रंग को बिना खोले उसके भीतर से प्रश्न पत्र निकाल और उसकी तस्वीरें खींच ले. हालांकि इसमें भी महारत हासिल किया हुआ एक व्यक्ति है और उसका नाम डॉक्टर शुभम मंडल है.
चौथा किरदार शुभम मंडल
नीट पेपर पर एक्शन
डॉक्टर शुभम मंडल पटना का रहने वाला है और कटिहार में डॉक्टर है. इसने 2021 में एनएमसीएस से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की. डॉक्टर शुभम मंडल को रवि अत्री और अभिषेक शुक्ला ने कॉल किया कि तुरंत फ्लाइट पकड़ो और अहमदाबाद पहुंचो. इसके बाद डॉक्टर शुभम मंडल अहमदाबाद पहुंचा. यह भी पहले पेपर लीक मामले में पटना में गिरफ्तार होकर जेल जा चुका है. शुभम मंडल ने अपने एक दोस्त बिट्टू से सेफ्टी बॉक्स को बिना छेड़े खोलना सीखा. सील बंद कंटेनर में प्रश्न पत्र सात लेयर में बंद होते हैं, लेकिन इसको ऐसी महारत ऐसा हासिल है कि यह उसे भी खोलता है और फिर बंद कर देता है.
शुभम मंडल जब अभिषेक शुक्ला और रवि अत्री के बुलावे पर वहां पहुंचा तो शिवम गिरी और रोहित पांडे ने तब-तक यह व्यवस्था कर ली कि टीसीआई गोदाम में प्रश्न पत्र रखे हुए कंटेनर को वहां पर ले गए, जहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे. फिर 5 फरवरी को रात के 11:30 बजे अभिषेक शुक्ला, रवि अत्री और शुभम मंडल वहां पहुंचे. शुभम मंडल ने ट्रंक खोला, उस सील बंद लिफाफे को खोला जिसमें प्रश्न पत्र बंद थे और फिर बाहर निकालकर आईफोन से उसकी तस्वीरें खींच ली. दूसरे सेट का ऑपरेशन 8 फरवरी को किया गया.
पांचवां किरदार अतुल वत्स
इस गिरोह में पांचवां किरदार पहले सॉल्वर गैंग का ही सरगना था और अब वह सीधे तौर पर पेपल लीक गिरोह में शामिल है. यह अपने तरीके से भी पेपर लीक कराता है और इसका नाम अतुल वत्स है. यह जहानाबाद के बंधुगंज गांव का रहने वाला है. अतुल भी मेडिकल परीक्षा की तैयारी कर रहा था, इसके पिता प्रशासनिक पदाधिकारी रहे हैं और जब दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स हो रहे थे, तब वह डिप्टी डायरेक्टर की भूमिका में थे. कॉमनवेल्थ गेम्स में गड़बड़ियों के बाद सीबीआई की जांच में इसके पिता भी फंसे थे, लेकिन जहानाबाद के गांव बंधुगंज में इस परिवार का वास्ता पिछले 20 वर्षों से नहीं है. अब यह परिवार मुजफ्फरपुर में रहता है. अतुल वत्स को प्रश्न पत्र को सॉल्व करने का काम सौंपा जाता है. अतुल वत्स ने मेडिकल परीक्षा की तैयारी पटना के कोचिंग में क्लास में की थी, वही इसकी एक गर्लफ्रेंड बन गई. यह तो डॉक्टर नहीं बन पाया, लेकिन इसकी गर्लफ्रेंड डॉक्टर बन गई. अतुल वत्स अभी फरार है, जिसकी तलाश में छापेमारी चल रही है.