NEET पेपर लीक: CBI ने पटना में डाला डेरा, गिरफ्तार चिंटू ने खोले कई राज… जानिए कहां तक पहुंची जांच
नीट पेपर लीक से जुड़े पांच केस को सीबीआई ने टेकओवर कर लिए हैं. ये वो केस हैं जो अलग-अलग राज्यों की पुलिस ने दर्ज की है. पेपर लीक को लेकर अब तक 25 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. इसमें बिहार और झारखंड से 18, महाराष्ट्र से 2 और गुजरात से 5 गिरफ्तारियां हुई हैं. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे नीट पेपर लीक से जुड़े अलग-अलग किरदार भी बेनकाब हो रहे हैं. सीबीआई की एक टीम ने पटना और दूसरी टीम ने गुजरात के गोधरा में डेरा डाल दिया है.
सीबीआई बिहार और गुजरात पुलिस से उनके केस की जांच रिपोर्ट ले रही है ताकि पूरे मामले को समझा जा सके. सीबीआई ने शिक्षा मंत्रालय की शिकायत पर नीट एग्जाम पेपर लीक मामले को लेकर IPC की धारा 420, 406 और 120B के तहत एफआईआर दर्ज की है. सोमवार को सीबीआई की टीम सबसे पहले पटना के शास्त्रीनगर थाने पहुंची, जहां मुकदमा दर्ज हुआ था. यहां से वो पुलिस के साथ EOU यानी आर्थिक अपराध इकाई के दफ्तर गई. बिहार में ईओयू ही पेपर लीक की जांच कर रही है.
चार चरणों में हो रही जांच
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, पूरी जांच को चार चरणों में बांटा गया है. सीबीआई का मुख्य उद्देश्य परीक्षा के पेपर तैयार करने, पेपर की छपाई, देश के अलग-अलग हिस्सों में ट्रांसपोर्टेशन और एग्जामिनेशन सेंटर में डिस्ट्रीब्यूशन की प्रक्रिया के बीच की कमी का फायदा उठाकर पेपर लीक करने वालों का पता लगाना है. सूत्रों की मानें तो NTA की पेपर तैयार करने की प्रक्रिया बेहद गोपनीय है. इसके बावजूद किस चरण में खामियां ढूंढकर कुछ लोगों ने जानबूझकर पेपर लीक करवाया गया इसका पता लगाया जाएगा.
CBI के रडार पर NTA के वो अधिकारी भी हैं जिनकी पेपर तैयार करने में सीधी भूमिका होती है. इनकी जिम्मेदारी पेपरों को राज्यों तक पहुंचाने और परीक्षा होने तक सुरक्षित रखने की होती है. CBI के पास ऐसे 1,000 फोन नंबर हैं जिनके डेटा की मदद से पेपर लीक करने वालों का पता लगा रही है. इन नंबरों और अभी की जांच में सामने आए मोबाइल नंबरों को डेटा बेस में डालकर पेपर लीक कराने वालों का पता लगाए जाएगा. इसके अलावा 8 मोबाइल फोन जांच के लिए सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब में भेजे गए हैं ताकि डेटा को रिट्रीव कर पेपर लीक का सुराग ढूंढा जाए.
हजारीबाग से खुली पेपर लीक की पोल
NEET पेपर को बैंक के लॉकर तक पहुंचाने में किस तरह लापरवाही बरती गई उसकी पोल हजारीबाग से खुली. हजारीबाग में ई-रिक्शा से नीट के पेपर को एग्जाम सेंटर तक पहुंचाया गया. उस परीक्षा के पेपर जिसे लेकर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा मचा है. हजारीबाग के ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि ब्लू डार्ट कंपनी ने स्टेट बैंक को ई-रिक्शा के जरिए पेपर का बॉक्स भेजा था. शक है कि बैंक के रास्ते में ही पेपर लीक हो चुका था. प्रिंसिपल का दावा है कि उन्हें 5 मई यानी परीक्षा के दिन 15-30 मिनट पहले पेपर मिले थे.
प्रोफेशनल तरीके से छेड़छाड़
कहा जा रहा है कि बंद बक्से के सील पेपर में प्रोफेशनल तरीके से छेड़छाड़ की गई थी. पैकेट को नीचे से टेंपर्ड किया गया और फिर चिपका दिया गया. बिहार ईओयू की टीम ने इस मामले में SBI ब्रांच जाकर भी जांच की थी. हजारीबाग के ओएसिस स्कूल में नीट परीक्षा का केंद्र था. इसलिए हजारीबाग में भी पेपर लीक के आरोप लगे हैं.
सीबीआई से पहले इस पूरे मामले की जांच बिहार की आर्थिक अपराध इकाई कर रही थी. अब ईओयू ने तहकीकात से जुड़े सारे तथ्य सीबीआई के हवाले कर दिए हैं. आर्थिक अपराध इकाई ने ये पता लगाया था कि नीट पेपर लीक कांड में किसने क्या किरदार निभाया था. 5 मई को नीट के कथित पेपर लीक में बिहार पुलिस ने प्रेस रिलीज जारी करके माफिया और उससे जुड़े किरदारों की जानकारी दी. आर्थिक अपराध इकाई को इस केस की जांच 17 मई को मिली जिसके बाद इस मामले में SIT बनाई गई.
एसआईटी का दावा- बरामद प्रश्नपत्र मिलान में सही पाया
एसआईटी का दावा है कि NTA ने जो प्रश्न पत्र मुहैया कराए उसे जब पटना में जले हुए बरामद प्रश्नपत्र से मिलान किया गया तो सही पाया गया और अब इसे फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है. इस जले हुए प्रश्नपत्र का सीरियल कोड हजारीबाग को ओएसिस स्कूल का है. हजारीबाग में प्रश्न पत्र की पैकिंग में छेड़छाड़ की गई थी. अब प्रश्नपत्रों की चेन ऑफ कस्टडी का पता किया जा रहा है. चेन ऑफ कस्टडी का मतलब पेपर शहर में आने से लेकर परीक्षा केंद्र तक पहुंचाने की कड़ी है. इस मामले मे बिहार पुलिस की एसआईटी ने आईपीसी की धारा 407, 408-409 और 120 बी के तहत केस दर्ज किया है.
पेपर लीक को लेकर चिंटू ने खोले राज
नीट कथित पेपर लीक कांड मामले में गिरफ्तार चिंटू कुमार ने पूछताछ में कई खुलासे किए. ये पूछताछ ईओयू की टीम ने की. चिंटू ने बताया कि कैसे प्रश्न पत्र आए, कैसे छात्रों को उत्तर रटवाए गए, छात्रों के लिए क्या क्या इंतजाम किए गए थे? अब इसका राज खुल चुका है. नीट पेपर कांड में गिरफ्तार चिंटू कुमार ने पूछताछ के दौरान ईओयू के सामने कई नाम लिए हैं. उसने सिलसिलेवार तरीके से बताया कि इस नेटवर्क की एक एक कड़ी को खोलकर सामने रख दिया.
चिंटू ने कबूल किया कि सबसे पहले बायोलॉजी का पेपर मिला फिर फिजिक्स और केमेस्ट्री का पेपर आया. रॉकी के जरिए पेपर-उत्तर भेजे गए. संजीव मुखिया के लोगों को भी पेपर दिया. अलग-अलग कंपनियों के 5 सिम खरीदे जो कि फर्जी दस्तावेज दिखाकर लिए गए थे. इसके बाद पटना के लर्न प्ले स्कूल से पेपर के प्रिंट निकाले गए. फिर 35 छात्रों से सवाल-जवाब रटवाए गए.
देवघर से हुई थी चिंटू की गिरफ्तारी
चिंटू की गिरफ्तारी झारखंड के देवघर से हुई थी. उसने बताया कि जब सिकंदर यादवेंदु और अन्य आरोपी पकड़े गये तो सिम कार्ड को तोड़कर पटना के NIT घाट पर फेंक दिया गया था. सोमवार को इसी मामले में सोनू कुमार नाम का नीट अभ्यर्थी अपने पिता के साथ ईओयू के दफ्तर पहुंचा. वो बिहार के सहरसा का रहने वाला है. अब तक इस मामले में कुल नौ अभ्यर्थियों को पूछताछ के लिए बुलाया है.
सिकंदर यादवेंदु के दो मोबाइल भी बरामद
इस बीच ईओयू ने सिकंदर यादवेंदु के दो मोबाइल फोन बरामद कर लिए हैं. माना जा रहा है कि इस फोन में कई राज दफन हैं. जैसे जैसे नीट पेपर लीक मामले की जांच बढ़ रही है. बिहार के अलावा कई दूसरे राज्यों तक इसके तार जुड़ रहे हैं। बिहार-झारखंड और गुजरात के अलावा महाराष्ट्र तक इसका कनेक्शन जुड़ रहा है. महाराष्ट्र एटीएस ने लातूर में केस दर्ज कराया. बीते दिनों एटीएस ने 2 लोगों से पूछताछ की थी और उन्हीं से पेपर लीक को लेकर कुछ जानकारी मिली. उनके फोन में नीट के कुछ छात्रों के हॉल टिकट मिले. पैसों के लेनदेन का सबूत मिला. इसी सूचना के आधार पर 4 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया.
(टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)