‘न कोई मलबा न ही कोई इंसान… ‘ 10 सालों से गायब है यह फ्लाइट, क्या है नियम?

‘शुभ रात्रि! मलेशियाई थ्री सेवन ज़ीरो’ वे छह शब्द मलेशिया एयरलाइंस फ्लाइट 370 के कॉकपिट से आखिरी रेडियो प्रसारण थे. 8 मार्च 2014 को देर रात कुआलालंपुर से बीजिंग के लिए उड़ान भरने के एक घंटे से भी कम समय में यह विमान हवाई-यातायात के रडार स्क्रीन से गायब हो गया.

अमेरिका के मैनहट्टन शहर के एक ब्लॉक इतना लंबा और पांच मंजिला इमारत से भी ऊंचा, 239 यात्रियों के संग विमान आकाश में कहीं गायब हो गया.

मलेशिया एयरलाइंस फ्लाइट 370 को खोजने के लिए गहन अभियान चलाया गया था. ऑस्ट्रेलिया के साथ दुर्गम दक्षिणी हिंद महासागर में कुछ सबसे गहरे समुद्र तलों की तलाशी हुई, लेकिन विमान या किसी भी यात्री और चालक दल का कोई निशान नहीं मिला. बोइंग-777 विमान का एक छोटा सा टुकड़ा पूर्वी अफ्रीकी तट पर बह कर आया था, जो इतने सालों में उस विमान का एकमात्र सबूत है.

इस विमान से बिना किसी Mayday कॉल (Emergency Call), बिना ज्ञात उड़ान पथ और बिना किसी मलबे के, MH370 विमानन क्षेत्र का सबसे बड़ा रहस्य बना हुआ है. 10 वर्षों के बाद यह डिबेट का विषय बना हुआ है कि कॉकपिट पर अंतिम नियंत्रण किसके पास होना चाहिए? इसके बाद कई कानून लाए गए कि अब कोई भी विमान इस तरह से गायब नहीं होने चाहिए.

MH370 विमान के एक भी प्रमाण नहीं मिलने के बाद विमानों की उड़ान के लिए कई तरह के नियम लेकर लाए गए. अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन ने सुरक्षा विनियमन के लिए नए नियम लेकर आए, जिसमें जेट विमानों को कम से कम हर मिनट अपनी स्थिति प्रसारित करनी होगी जब वे मुसीबत में हों. इसका उद्देश्य अधिकारियों को आने वाली आपदा की पूर्व चेतावनी देना था. यदि बाद में विमान नीचे गिरता है, तो बचाव दल को कम से कम दुर्घटनास्थल का पता लगाने का मौका मिलेगा.

यह नियम शुरुआत में जनवरी 2021 में लागू होने वाला था, लेकिन अब यह जनवरी 2025 से प्रभावी होगा. ब्लूमबर्ग न्यूज ने अमेरिका, यूरोप, मध्य पूर्व और एशिया में फैली एक दर्जन से अधिक प्रमुख एयरलाइनों से पूछा कि उनके बेड़े में कितने विमान सुरक्षा मानकों को पूरा कर रहे हैं या उनमें पहले से ही सुरक्षा उपकरण उपलब्ध हैं? एयरलाइनों ने जवाब दिया, बहुत कम विमान नियमों की अनुपालन करती हैं.

एयर फ़्रांस, जिसके पास सितंबर तक 250 से अधिक विमान थे, ने कहा कि सात जेट – सभी एयरबस एसई ए350 – मानक का अनुपालन करते हैं. कोरियन एयरलाइंस कंपनी ने कहा कि उसके 159-मजबूत बेड़े में से सिर्फ तीन में ट्रैकिंग डिवाइस से हैं, जबकि जापान एयरलाइंस कंपनी ने कहा कि उसके 226 विमानों में से दो में यह तकनीक स्थापित है.

वर्षों की देरी के साथ-साथ, ताज़ा ट्रैकिंग मानक केवल नए विमानों पर लागू होता है. पिछले वर्ष की तुलना में सेवा में 20,000 से अधिक पुराने विमानों पर प्रासंगिक तकनीक स्थापित करने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसका मतलब है कि हजारों विमान दशकों तक उड़ान भरेंगे, दुनिया भर में लाखों यात्रियों को ले जाएंगे, बिना उस क्षमता के जिसके वजह से MH370 के गायब होने के बाद पता नहीं लगाया जा सकेगा.

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