शिकागो जैसा होगा नया नोएडा, मास्टर प्लान-2041 को मंजूरी; उद्योग, शिक्षा-सस्ते आवास और क्या-क्या खास
ग्रेटर नोएडा के दादरी और बुलंदशहर के 84 गांवों की जमीन पर नया नोएडा विकसित होगा। इसे अमेरिका के शिकागो शहर की तरह बनाया जाएगा। औद्योगिक विकास आयुक्त और नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन मनोज सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई बोर्ड बैठक में नोएडा के मास्टर प्लान-2041 को मंजूरी दी गई। शासन की मंजूरी मिलते ही जमीन अधिग्रहण का काम शुरू हो जाएगा।
शासन के रिकॉर्ड में इसको दादरी-नोएडा-गाजियाबाद से जोड़ते हुए विशेष निवेश क्षेत्र का नाम दिया गया है। नया नोएडा 20 हजार हेक्टेयर में बसाया जाएगा। इससे खासतौर से औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए बसाया जाएगा। सबसे ज्यादा 41 क्षेत्र उद्योगों के लिए चिह्नित किया गया । 11.5 आवासीय, 17 हरियाली और मनोरंजन, 15.5 सड़क, 9 संस्थागत और 4.5 स्थान व्यावसायिक संपत्ति के प्रयोग के लिए होंगे।
नए नोएडा में कर्मचारियों के लिए आवास की भी सुविधा होगी। शहर की कुल आबादी छह लाख में माइग्रेंट यानी प्रावासियों की संख्या 3.5 लाख की होगी। इनके लिए ईडब्ल्यूएस, एलआईजी, एमआईजी और एचआईजी की यूनिट बनाई जाएंगी।
अलग-अलग चार जोन में बसाया जाएगा : पूरे शहर को एक साथ बसाने के बजाए इसे अलग-अलग चार जोन में बांटकर बसाया जाएगा। मास्टर प्लान तैयार करने वाली एसपीए ने शिकागो और अन्य यूरोपियन देशों की तर्ज पर इसे जोन में बांटकर विकसित करने की योजना तैयार की है।
विशेष निवेश क्षेत्र करीब 210 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बसाया जाएगा। उदाहरण के तौर पर साउथ जोन, ईस्ट जोन, वेस्ट जोन, नार्थ जोन आदि में बांटा जाएगा। प्रत्येक जोन में अलग-अलग इंडस्ट्री का हब होगा। शिकागो इंडस्ट्रियल हब मुख्यत: सड़क, रेलवे और हवाई मार्गों से जुड़ा हुआ है। इससे यहां निवेशकों को बेहतर विकल्प मिलते हैं। नए नोएडा के लिए भी ऐसी ही सुविधाएं होंगी। बुलंदशहर की ओर जाने वाले जीटी रोड और हावड़ा की ओर जाने वाली रेलवे लाइन के मध्य स्थित है। वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर दादरी से मुंबई तक और ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर लुधियाना से कोलकाता तक वाया खुर्जा प्रस्तावित है।
इसलिए जरूरत पड़ी
नोएडा का 95 प्रतिशत से अधिक हिस्सा विकसित हो चुका है। सिर्फ नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे से सटकर कुछ नए सेक्टर विकसित किए जाने हैं। ऐसे में शहर का विस्तार करने के लिए अब यहां जमीन नहीं बची है। सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक ही नोएडा में 45 लाख 26 हजार 464 वर्ग मीटर जमीन पर अतिक्रमण है। इसको कब्जा मुक्त कराने में प्राधिकरण फेल साबित हो रहा है। ऐसे में औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए नया नोएडा बसाने की जरूरत पड़ी। दिल्ली-एनसीआर में आबादी बढ़ रही है। ऐसे में वहां पर कुछ हिस्सा आवासीय के लिए भी आरक्षित किया गया है। गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण और आंतरिक विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये के बजट को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है।