हजार में नौ बच्चों को पैदाइशी दिल की बीमारी, अगर नवजात में असामान्य लक्ष्ण दिखे तो करें यह काम…
कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट (सीएचडी), हृदय से संबंधित जन्मजात विकृति है. यह बच्चे के हृदय की संरचना को प्रभावित करता है. इसका उपचार संभव है, फिर भी हर वर्ष हजारों बच्चे इस बीमारी से मर जाते हैं.
सीएचडी के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करने और जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष 14 फरवरी को वर्ल्ड कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट अवेयरनेस डे मनाया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में हर दिन लगभग 3 लाख 85 हजार बच्चे जन्म लेते हैं, लेकिन सभी सामान्य और स्वस्थ्य नहीं होते. कुल जन्म लेने वाले बच्चों में से लगभग एक प्रतिशत को कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट (जन्मजात हृदय दोष) होता है. सीएचडी भारत में सबसे सामान्य जन्मजात विकृति है. एक अनुमान के अनुसार, अपने देश में प्रति एक हजार में से 9 बच्चे इस बीमारी के साथ जन्म लेते हैं.
क्या है कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट
यह हृदय से संबंधित जन्मजात विकृति है, जिससे हृदय की सामान्यरूप से कार्य करने की क्षमता में गड़बड़ी आ जाती है. सीएचडी जन्म के समय उपस्थित होता है और बच्चे के हृदय की संरचना को प्रभावित करता है.
इसके कारण रक्त का प्रवाह प्रभावित हो सकता है- रक्त हृदय से कैसे बहता है और वहां से पूरे शरीर में. सीएचडी की समस्या मामूली (जैसे हृदय में छोटा-सा छेद) से लेकर गंभीर (जैसे हृदय के किसी भाग का न होना या उसका पूरी तरह से विकसित न होना) हो सकती है. हर 4 में से 1 बच्चे की हृदय की विकृति बहुत गंभीर होती है, जिसे क्रिटिकल कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट कहते हैं. जिन बच्चों को क्रिटिकल कंजेनिटल हार्ट डिफेक्ट होता है. उन्हें जीवन के पहले वर्ष में ही सर्जरी या दूसरी प्रक्रियाओं की जरूरत पड़ती है. सीएचडी 150 प्रकार की होती हैं. इसमें दिल में छेद होना सबसे सामान्य है.
क्या हैं इसके कारण
सीएचडी के कारणों का तो स्पष्ट रूप से पता नहीं है. कुछ बच्चों में इस विकृति का कारण जींस या क्रोमोसोम में परिवर्तन होता है. पर्यावरण व गर्भावस्था के दौरान मां का खान-पान, उसका स्वास्थ्य या वह इस दौरान कौन-सी दवाइयां ले रही हैं आदि कारण हो सकते हैं. गर्भवती महिला के मोटे होने या टाइप-1 या टाइप-2 डायबिटीज से ग्रस्त होने पर भी बच्चे में सीएचडी का खतरा बढ़ जाता है. कुछ निश्चित दवाइयों का सेवन और धूम्रपान भी इसका कारण बन सकते हैं.