NIT मणिपुर से छात्रों के स्थानांतरण पर SC में सुनवाई, CJI बोले- राज्य समायोजित के लिए बाध्य है

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) मणिपुर से छात्रों को स्थानांतरण करने की याचिका पर सुनवाई की. अदालत ने कहा कि जस्टिस गीता मित्तल पैनल मणिपुर के बाहर एनआईटी में स्थानांतरण के लिए छात्रों की याचिका पर विचार कर रहा है. एनआईटी मणिपुर में पढ़ रहे 38 विस्थापित अनुसूचित जनजाति इंजीनियरिंग स्टूडेंट दूसरे संस्थानों में स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बताया गया कि न्यायमूर्ति गीता मित्तल की अध्यक्षता में हाईकोर्ट की तीन पूर्व महिला न्यायाधीशों का एक पैनल एनआईटी मणिपुर के कई छात्रों की याचिका पर विचार कर रहा है. जो छात्र जातीय हिंसा प्रभावित राज्य के बाहर के संस्थानों में स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं. सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि राज्य छात्रों को समायोजित करने के लिए बाध्य है.
CJI सहित तीन जजों ने की सुनवाई
मणिपुर के बाहर एनआईटी में स्थानांतरण के लिए छात्रों की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि राज्य छात्रों को समायोजित करने के लिए बाध्य है. वहीं, पैनल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विभा दत्ता मखीजा ने पीठ को बताया कि जस्टिस (रिटायर्ड) मित्तल एनआईटी, मणिपुर के कई छात्रों के स्थानांतरण अनुरोध के संबंध में विभिन्न अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहे थे.
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कोर्ट में वरिष्ठ वकील ने कहा कि वो छात्रों की ओर से स्थानांतरण के दावों की वास्तविकता की जांच करने की प्रक्रिया में हैं. उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में कुछ वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ सकता है. उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि याचिका को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया जाए. पीठ इस अनुरोध पर सहमत हो गई.
पिछले साल दो समुदायों के बीच भड़की हिंसा के कारण मणिपुर में पढ़ने वाले छात्रों का करियर दांव पर लगा हुआ है. पिछले एक साल से एनआईटी, मणिपुर के कई छात्र राज्य से बाहर किसी संस्थान में ट्रांसफर की मांग कर रहे हैं. इस मामले में कुल 38 विस्थापित अनुसूचित जनजाति इंजीनियरिंग छात्रों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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