नोबल पुरस्कार, पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और अब भारत रत्न, ऐसे थे किसानों के मसीहा स्वामीनाथन

हरित क्रांति के जनक और किसानों के मसीहा कहे जाने वाले मशहूर कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम एस स्वामीनाथन को सरकार ने भारत रत्न देने की घोषणा की गई है. किसानों के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन को यूं ही किसानों का मसीहा नहीं कहा जाता है. आइए जानते हैं कैसे इन्होंने देश के सबसे अहम सेक्टर को अपना योगदान दिया.

कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वामीनाथन का पूरा जीवन किसानों की सेवा के लिए रहा. जब-जब हरित क्रांति का नाम आएगा स्वामीनाथन भी याद किए जाते रहेंगे. एम एस स्वामीनाथन के अलावा पूर्व पीएम वी नरसिम्हा राव और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भी भारत रत्न देने की घोषणा की गई है.

हरित क्रांति के जनक

एम एस स्वामीनाथन ने उस दौर के दो कृषि मंत्रियों जगजीवन राम और सी सुब्रमण्यम के साथ मिलकर देश में हरित क्रांति लाने का काम किया. हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था जिसने कैमिकल-जैविक तकनीक के उपयोग से धान और गेहूं के उत्पादन में भारी इजाफा लाने का मार्ग प्रशस्त किया. देश के किसानों की स्थिति सुधारने के लिए स्वामीनाथ ने सरकार के सामने एक रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट को स्वामीनाथन रिपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है. इस रिपोर्ट में सरकार को किसानों की स्थिति बेहतर करने के कई सुझाव थे.

ऐसे बदली तस्वीर

कांग्रेस सरकार की यूपीए सत्ता में थी, साल था 2004. स्वामीनाथन ने सोचा कि आखिर देश में किसानों की वास्तविक स्थिति है क्या. इसे जानने के लिए उन्होंने सरकार के सामने दो साल में 5 रिपोर्ट सौंपी. आज भी जिस एमएसपी के लिए किसान सड़कों पर उतर आते है. इस समस्या को स्वामीनाथन ने उस समय ही पहचान लिया था. स्वामीनाथन ने किसानों की एमएसपी बढ़ाने को लेकर सरकार को सुझाव दिया था. इस रिपोर्ट में सरकार को सुझाव दिया गया था कि किसानों को उनकी फसल की लागत के 50 फीसदी मुनाफा मिलाकर एमएसपी मिलना चाहिए.

ऐसे बदला खेती का तरीका

डॉ. स्वामीनाथन के विजन की बदौलत देश में सदियों से चले आ रहे खेती के पुराने तरीकों में बदलाव आ सका. उन्होंने खेती में आधुनिक तरीकों को अपनाने की सुझाव दिया. कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन ने एक खास किस्म की संकर फसल बनाई. इसमें देसी और विदेशी अनाजो को शामिल किया गया. इसकी खासियत ये हे कि कम समय में ज्यादा अच्छी फसल पैदा करती थी.

संसद में भी उठाया किसानों मुद्दा

किसानों के मसीहा कहे जाने वाले एम एस स्वामीनाथन ने देश की संसद में भी कई बार किसानों का मुद्दा उठाया. एम एस स्वामीनाथन साल 2007 से लेकर 2013 तक राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं. इस दौरान उन्होंने यहां भी खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे सरकार के सामने रखा. डॉ. एमएस स्वामीनाथन का पूरा नाम मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन है. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था. इनके पिता पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां पार्वती थंगम्मल हाउसवाइफ थी. स्वामीनाथन की पढ़ाई तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज और बाद में कोयंबटूर के कृषि कॉलेज से हुई थी.

कई पुरस्कार से सम्मानित

एम एस स्वामीनाथ को आज भारत रत्न देने की घोषणा की गई है. इससे पहले उन्हें नोबल पुरुस्कार, पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण जैसे सम्मान से भी नवाजा जा चुका है. वे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के डायरेक्टर भी रह चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने आईसीआर के महानिदेशक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव के तौर पर कार्य किया है. ताजुब्ब की बात ये है कि कोई भी सरकार स्वामीनाथन की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू नहीं कर पाई. हर सरकार ने इन सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने की मांग उठती रही है. जानकारों का मानना है कि अगर इन सिफारिशों को पूरी तरह से लागू कर दिया जाए तो देश के किसानों की तकदीर सच में बदल जाएगी.

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