‘Not First Use’ नीति का पालन नहीं करेगा PAK… परमाणु हथियारों के यूज पर पूर्व सैन्य अधिकारी का बेतुका बयान
पाकिस्तान के पूर्व वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर बड़ा बयान दिया है. पूर्व सैन्य अधिकारी ने परमाणु हथियार के इस्तेमाल को लेकर पाकिस्तान का रूख स्पष्ट करते हुए कहा कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों पर “पहले इस्तेमाल नहीं” की नीति का पालन नहीं करता है और देश की निवारक क्षमताएं दुश्मन से सभी खतरों का जवाब दे सकती हैं.
1998 में पाकिस्तान के परमाणु परीक्षणों की 26वीं वर्षगांठ, यौम-ए-तकबीर के उपलक्ष्य पर नेशनल कमांड अथॉरिटी के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) खालिद अहमद किदवई ने सेंटर फॉर इंटरनेशनल स्ट्रैटेजिक स्टडीज (सीआईएसएस) में आयोजित एक सेमिनार के दौरान ये बातें कहीं.
खालिद अहमद किदवई ने स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिवीजन (एसपीडी) के महानिदेशक के रूप में काम किया है, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पास पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति नहीं है और मैं जोर देने के लिए इसे दोहराता हूं. पाकिस्तान के पास पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति नहीं है.
परमाणु नीति को लेकर पाकिस्तान का बड़ा बयान
बता दें कि ‘पहले इस्तेमाल नहीं’ किसी देश के रुख को दर्शाता है और इसे इस बात का आश्वासन माना जाता है कि उसका परमाणु शस्त्रागार परमाणु युद्ध लड़ने के लिए नहीं, बल्कि निवारण के लिए है. इस्लामाबाद ने अपनी एनएफयू नीति के बारे में पारंपरिक रूप से अस्पष्टता बनाए रखी है.
किदवई का कहना है कि भारतीय उत्साही नेतृत्व इस बारे में सोचना पसंद कर सकता है कि किसी के मन में, चाहे वह मित्र हो या शत्रु, कभी भी यह संदेह नहीं होना चाहिए कि पाकिस्तान की परिचालन के लिए तैयार परमाणु क्षमता प्रत्येक पाकिस्तानी नेता को स्वतंत्रता, सम्मान और साहस प्रदान करती है कि वह सीधे भारतीय आंखों में देखे और कभी पलक न झपकाए.
किदवई ने कहा कि पाकिस्तानी सेना के पास उपलब्ध पूर्ण स्पेक्ट्रम निवारण क्षमताएं पारंपरिक और सबसे आधुनिक प्रौद्योगिकी-आधारित हथियारों का संयोजन हैं, जो दुश्मन से सभी खतरों का जवाब देने में सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि पूर्ण स्पेक्ट्रम निवारण ने क्षेत्र में शांति को लागू करने वाले शक्ति के रणनीतिक संतुलन को बहाल करने में मदद की.पिछले कुछ दशकों में, पाकिस्तान की मजबूत परमाणु क्षमता ने क्षेत्र में शांति को लागू किया है.
1998 में पाक ने किए थे छह परमाणु परीक्षण
पाकिस्तान ने 28 मई, 1998 को बलूचिस्तान प्रांत के सुदूर चघी पर्वत में एक गहरी खोदी गई सुरंग के अंदर छह परमाणु परीक्षण किए, जो उसी महीने भारतीय सेना के पोखरण परीक्षण रेंज में भारत द्वारा किए गए परमाणु परीक्षणों के जवाब में किया गया था.
जनरल किदवई ने देश के परमाणु कार्यक्रम को मजबूत करने के लिए उभरती हुई प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने का भी संकेत दिया. उन्होंने कहा कि उभरती हुई प्रौद्योगिकियों सहित प्रौद्योगिकी में प्रगति पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा गणित में उचित रूप से अपना रास्ता बनाती रहेगी और इनसे लाभ उठाकर परमाणु कार्यक्रम मजबूत होगा.है.
उन्होंने कहा कि परमाणु हथियार जमीन पर सेना सामरिक बल कमान, समुद्र में नौसेना सामरिक बल कमान और हवा में वायु सेना सामरिक बल कमान के पास रखे गए थे. लेफ्टिनेंट जनरल किदवई ने आगे कहा कि भारत की गतिशील प्रतिक्रिया रणनीति (डीआरएस) भारत के रणनीतिक और परिचालन विकल्पों पर पाकिस्तान की मजबूत परमाणु क्षमता द्वारा लगाई गई सीमाओं और बाधाओं का स्पष्ट प्रतिबिंब है.