कभी एक वोट से हारा था राज्यसभा चुनाव, अब कांग्रेस ने सौंपी UP की कमान, जानें कौन हैं अविनाश पांडे
तीन राज्यों में मिली करारी शिकस्त के बाद अब कांग्रेस का पूरा फोकस 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर है. इसके लिए पार्टी ने अपने संगठन में बड़ा बदलाव किया है. कांग्रेस ने यूपी की कमान अब अविनाश पांडे को सौंपने का फैसला किया है. यानी लोकसभा चुनाव के दौरान अविनाश पांडे उत्तर प्रदेश के प्रभारी होंगे. इससे पहले ये जिम्मेदारी प्रियंका गांधी संभाल रही थीं.
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य का प्रभारी बनाए जाने के बाद से सभी लोगों के बीच अविनाश पांडे का नाम सुर्खियों में आ गया. अविनाश मूल रूप से महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले हैं, जो पेशे से एक वकील भी हैं. छात्र जीवन से ही उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई थी. स्टूडेंट विंग NSUI और यूथ कांग्रेस में अविनाश कई पदों पर रहे. उनकी मेहनत और लगन ने ही उन्हें आज ये बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है.
2008 में एक वोट से हारे थे राज्यसभा चुनाव
अपने अब तक के राजनीतिक सफर में अविनाश पांडे ने कांग्रेस को मजबूत करने की पुरजोर कोशिश की. उन्होंने राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न पदों पर कार्य किया. साल 2008 में उन्हें महाराष्ट्र से राज्यसभा प्रत्याशी के तौर पर उतारा गया था लेकिन वो उद्योगपति राहुल बजाज से महज एक वोट से हार गए थे. इसके बाद साल 2010 में जब उन्हें दोबारा राज्यसभा का टिकट दिया गया था, इस बार वो निर्विरोध जीतकर सांसद के रूप में चुने गए.
2022 में मिली झारखंड की जिम्मेदारी
इसके साथ ही वो महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य भी रहे. इसके अलावा अविनाथ पांडे महाराष्ट्र में कई प्रशासनिक समितियों के सदस्य भी रह चुके हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में अविनाश पांडे को राजस्थान का चुनाव प्रभारी बनाया गया था. हालांकि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच चल रहे तनाव की वजह से उन्हें हटा दिया गया था. साल 2022 में उन्हें झारखंड कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंपी गई. उन्हें बतौर AICC महासचिव नियुक्त किया गया.
राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं अविनाश
अविनाश पांडे कांग्रेस पार्टी के पुराने और अनुभवी नेताओं में शुमार हैं. उन्हें राहुल गांधी का करीबी और प्रियंका गांधी का पसंदीदा नेता माना जाता है. जिस समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री के यूपी प्रभारी थे, उस समय अविनाश पांडे भी वहां बतौर सह प्रभारी काम कर रहे थे. यही वजह है कि वो उत्तर प्रदेश की राजनीति से काफी अच्छी तरह से वाकिफ है.