OBC-जाट के साथ ब्राह्मण-पंजाबियों को भी टिकट, हरियाणा में BJP ने ऐसे साधा सामाजिक समीकरण
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवार को उतारकर एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग साधने का दांव चला है. बीजेपी ने राज्य की कुल 90 सीटों में से 67 सीटों पर कैंडिडेट के नामों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. पार्टी ने दो बार चुनाव हार चुके उम्मीदवारों पर दांव नहीं खेला और 40 सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए हैं. बीजेपी ने तीन मंत्री सहित 9 विधायकों के टिकट काट दिए हैं, लेकिन कैंडिडेट के चयन में जातीय और सियासी समीकरण को साधने का पूरा ख्याल रखा है.
बीजेपी ने हरियाणा में सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए ओबीसी-जाट-ब्राह्मण-पंजाबी समुदाय पर चुनावी दांव खेला है. बीजेपी ओबीसी-पंजाबी वोटों के सहारे हरियाणा की सियासत में अपनी जड़े जमाने में कामयाब रही है, जिसके चलते 2014 और 2019 में सरकार भी बनाई है. बीजेपी एक बार फिर से उसी फॉर्मूले पर ही कायम है, लेकिन साथ में जाट और ब्राह्मण वोटों को भी साधने का बड़ा दांव चला है. इसलिए बीजेपी ने सूबे के जातीय समीकरण को देखते हुए उम्मीदवारों को उतारा है.
किस जाति को कितना टिकट
हरियाणा में सबसे बड़ी आबादी ओबीसी समुदाय की है, यही वजह है कि बीजेपी ने सबसे ज्यादा उम्मीदवार ओबीसी से उतारे हैं. बीजेपी ने ओबीसी से 16 प्रत्याशी उतारे हैं. इसके बाद 13 टिकट जाट समुदाय के नेताओं को दिए हैं. बीजेपी ने ब्राह्मण समाज की नाराजगी को दूर करने के लिए 9 कैंडिडेट उतारे हैं. बीजेपी ने दलित समुदाय से 13 टिकट दिए हैं, लेकिन सभी आरक्षित सीटों पर ही उतारा है. बीजेपी ने 8 पंजाबी, 5 वैश्य, 2 राजपूत, 1 सिख जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है.
बीजेपी ने ओबीसी पर खेला बड़ा दांव
बीजेपी ओबीसी चेहरे के साथ विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरी है. लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर की जगह मुख्यमंत्री की कुर्सी नायब सिंह सैनी को सौंपी थी, तभी तय हो गया था कि बीजेपी की नजर ओबीसी वोटों पर है. हरियाणा में 56 साल बाद ओबीसी से नायब सैनी के रूप में मुख्यमंत्री मिला है. प्रदेश में पांच दशक से अधिक समय के बाद नायब सैनी अन्य पिछड़ा वर्ग के व्यक्ति के रूप में दूसरे मुख्यमंत्री हैं.
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को आगे करके बीजेपी चुनाव में किस्मत आजमा रही है, जिसके चलते एक कोशिश ओबीसी वोटों को साधने की है. बीजेपी ने उम्मीदवारों के चयन में भी ओबीसी पर बड़ा दांव चला है. बीजेपी ने ओबीसी से 16 प्रत्याशी उतारे हैं, जिसमें गुर्जर, यादव, कश्यप, कुम्हार, कंबोज, राजपूत और सैनी समाज को जगह मिली है. पार्टी ने जगाधरी, लाडवा, कैथल, इंद्री, समालखा, रेवाड़ी, रानिया, अटेली, नांगल चौधरी, कोसली, बादशाहपुर, सोहाना और तिगांव सीट पर ओबीसी उम्मीदवार उतारा है.
गुर्जर और यादव पर भी खेला दांव
बीजेपी ने सबसे ज्यादा गुर्जर और यादव पर दांव खेला है. बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट में पांच गुर्जर चेहरों को मैदान में उतारा है. इनमें मनमोहन भड़ाना के अलावा कंवर पाल गुर्जर, लील राम गुर्जर, तेजपाल तंवर और राजेश नागर शामिल हैं. बीजेपी ने जिन पांच अहीर नेताओं पर दाव लगाया है, उनमें आरती राव, अभय सिंह यादव, अनिल ढहीना, लक्ष्मण सिंह यादव व राव नरबीर सिंह शामिल हैं.
जाट समुदाय पर बीजेपी का भरोसा
हरियणा में जाट समुदाय की सियासी ताकत को देखते हुए बड़ा सियासी दांव चला है. राज्य में जाटों की आबादी करीब 28 से 30 फीसदी है. बीजेपी ने जाट समुदाय से 13 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. पार्टी ने 2019 के विधानसभा चुनाव में हारे ओम प्रकाश धनखड़ और कैप्टन अभिमन्यु जैसे जाट नेताओं को फिर से उतारा है. नारनौंद से कैप्टन अभिमन्यू को टिकट दिया है तो बादली से ओमप्रकाश धनखड़ को प्रत्याशी बनाया है. कैप्टन अभिमन्यु को मात देने वाले जेजेपी विधायक रामकुमार गौतम (ब्राह्मण) को बीजेपी ने जरूर अपने साथ मिलाया लेकिन नारनौंद के बजाय सफीदों से टिकट दिया है.
जाट समुदाय से बीजेपी ने कलायत विधानसभा सीट से कमलेश ढांडा, पानीपत ग्रामीण सीट से महिपाल ढांडा, टोहाना सीट से देवेंद्र सिंह बबली नलवा सीट से रणधीर पनिहार, लोहारू सीट से जेपी दलाल, बाढड़ा सीट से उमेद पातुवास, दादरी सीट से सुनील सांगवान, तोशाम सीट से श्रुति चौधरी, महम सीट से दीपक हुड्डा, गढ़ी सांपला किलोई सीट से मंजू हुड्डा, बादली सीट से ओम प्रकाश धनखड़ और नारनौंद सीट से कैप्टन अभिमन्यु को टिकट दिया है. पार्टी ने जिस तरह जाट समुदाय से प्रत्याशी उतारे हैं, उससे साफ जाहिर है कि बीजेपी हरियाणा में जाट वोटों को इस बार साधने की कवायद में है.
ब्राह्मणों पर बीजेपी का बड़ा दांव
बीजेपी ने हरियाणा में ब्राह्मण समुदाय को साधने के लिए बड़ा सियासी दांव चला है. पार्टी ने ब्राह्मण समुदाय की नाराजगी दूर करने की पूरी कोशिश की है. बीजेपी ने इस बार 9 ब्राह्मण समुदाय को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी ने रोहतक लोकसभा से पूर्व सांसद अरविंद शर्मा को गोहना सीट से उम्मीदवार बनाया है. 2024 के चुनाव में दीपेंद्र हुड्डा से लोकसभा चुनाव हार गए थे और अब उन्हें विधानसभा में उतारा है. इसके अलावा कालका सीट से शक्ति रानी शर्मा को प्रत्याशी बनाया है, जो पूर्व मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी हैं.
जेजेपी छोड़कर बीजेपी में आने वाले रामकुमार गौतम को सफीदों सीट से उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा उचाना कलां से देवेंद्र अत्री, बहादुरगढ़ सीट से दिनेश कौशिक, गुड़गांव सीट से मुकेश शर्मा, पलवल सीट से गौरव गौतम, पृथला सीट से टेकचंद शर्मा, बल्लभगढ़ सीट से मूलचंद शर्मा को प्रत्याशी बनाया है. राज्य में ब्राह्मण वोटर बड़ी संख्या में है, जिसे साधने के लिए ही बीजेपी ने उनकी आबादी से ज्यादा टिकट दिए हैं.
दलित-पंजाबी से बीजेपी ने उतारा कैंडिडेट
बीजेपी ने दलित समुदाय को 13 टिकट दिए हैं, लेकिन सभी सुरक्षित सीटों पर प्रत्याशी बनाए हैं. बीजेपी ने अनुसूचित जाति के जिन नेताओं पर दांव खेला है, उनमें खरखौदा सीट से पवन कुमार, रतिया सीट से सुनीता दुग्गल, कालावली सीट से राजिंदर देसुजोधा, बवानी खेड़ा से कपूर वाल्मीकि, कलानौर से रेनू डाबला, झज्जर से कप्तान बिरधाना और शाहबाद से सुभाष कलसाना को प्रत्याशी बनाया है. बीजेपी ने दलित समुदाय में वाल्मीकि, धानुक, बावरिया और बाजीगर के साथ जाटव समाज को टिकट देकर साधने का दांव चला है.
बीजेपी ने अपने कोर वोटबैंक पंजाबी समुदाय से 8 उम्मीदवार उतारे हैं. राज्य में बीजेपी के साथ पंजाबी मतदाता मजबूती से जुड़ा हुआ है, जिसके चलते उसकी आबादी के लिहाज से टिकट देकर साधने का दांव चला है. बीजेपी ने वैश्य समाज से पांच प्रत्याशी उतारे हैं. वैश्य समुदाय से बीजेपी ने ज्ञानंचद गुप्ता, कमल गुप्ता, विपुल गोयल, घनश्याम सर्राफ और असीम गोयल को टिकट दिया है. इनमें से विपुल गोयल को छोड़कर चारों मौजूदा विधायक भी हैं. बीजेपी ने बिश्नोई समुदाय से दो और राजपूत समुदाय से दो प्रत्याशी दिए हैं. इसके अलावा एक सिख समुदाय को भी उम्मीदवार बीजेपी ने बनाया है. बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों के जरिए एक मजबूत सोशल इंजीनियरिंग बनाने की रणनीति अपनाई है.