OBC-मराठा में शांति या अपने लिए समझौता… क्या फॉर्मूला लेकर शरद पवार के पास गए भुजबल?

विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र की सियासत क्या नई करवट लेती नजर आ रही है. इस बात के पीछे अजित पवार खेमे के दिग्गज ओबीसी नेता छगन भुजबल सोमवार को अचानक पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार से मिलने उनके आवास पर पहुंचे. मुंबई के सिल्वर ओक में दोनों नेताओं के बीच डेढ़ घंटे तक चली मुलाकात ऐसे समय में हुई है, जब विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज है.
लोकसभा चुनाव में मिली सियासी मात के बाद से अजित पवार खेमे के नेताओं में बेचैनी की बात कही जा रही है, क्योंकि एनसीपी सिर्फ एक सीट ही जीत सकी जबकि शरद पवार की पार्टी को 8 सीटें मिली थीं. महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में से 30 सीट इंडिया गठबंधन के खाते में गई तो एनडीए को 17 सीटें ही मिल सकी. ऐसे में शरद पवार से मुलाकात के पीछे छगन भुजबाल का मकसद मराठा और ओबीसी के बीच शांति कराने का है या फिर अपने लिए समझौता का रास्ता तलाश रहे हैं?
छगन भुजबल की शरद पवार से गुजारिश
शरद पवार से मुलाकात के बाद छगन भुजबल ने कहा कि आरक्षण को लेकर मराठा और ओबीसी के बीच बढ़ती दुश्मनी से महाराष्ट्र के हालत बिगड़ते जा रहे हैं. इस तरह का जातीय ध्रुवीकरण ठीक नहीं है. इसके चलते ही शरद पवार से मुलाकात की हैं और उनसे मराठा-ओबीसी के बीच शांति कराने के लिए पहल करने की गुजारिश की है. मराठा समाज के लोग ओबीसी के प्रतिष्ठानों का बहिष्कार कर रहे हैं, जो महाराष्ट्र के कल्याण के लिए खतरनाक है. उन्होंने आगे कहा कि ओबीसी और मराठा समुदाय के मुद्दे पर में किसी से भी मिलने जाऊंगा. जरुरत पड़ी तो मैं राहुल गांधी से भी मिलने को तैयार हूं.
शरद पवार से मुलाकात के पीछे क्या रणनीति
छगन भुजबल अब मराठा और ओबीसी के बीच शांति कराने के लिए शरद पवार के घर पहुंच गए हैं. लेकिन, महाराष्ट्र सरकार ने जब मराठों को आरक्षण देने के लिए कदम उठाया था तो छगन भुजबल ही राज्य भर में घूम-घूम कर ओबीसी के जज्बातों को भड़काने का काम कर रहे थे. इसके चलते बीजेपी और एकनाथ शिंदे ही नहीं बल्कि अजित पवार भी उनसे नाराज थे. ऐसे में अब शरद पवार से दखल अंदाजी करने की बात करके छगन भुजबल एक तीर से कई निशाना साधना चाहते हैं. एक तरफ छगन भुजबल ओबीसी और मराठा के बीच गहरी होती खांई को पाटने की कोशिश में हैं तो दूसरी तरफ शरद पवार के साथ अपने रिश्ते को फिर से कहीं से पटरी पर लाने की रणनीति तो नहीं.
छगन भुजबल के साथ मिलकर बागी हुए थे अजित पवार
अजित पवार ने छगन भुजबल के साथ मिलकर ही शरद पवार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था. एनसीपी के 40 विधायकों को अजित पवार ने अपने साथ मिला लिया था और एनडीए का दामन थाम लिया था. शरद पवार के हाथों से अजित पवार ने पार्टी छीन ली थी. जिसमें छगन भुजबल का भी रोल अहम था. ऐसे में छगन भुजबल जिस उम्मीद और आशा के साथ अजित पवार के साथ गए थे, वो मुकाम उन्हें नहीं मिल सका. लोकसभा चुनाव के बाद से स्थिति बदली है, जिसके चलते भुजबल का मन भी बदल रहा है.
क्या लोकसभा चुनाव के नतीजों से बदल रहा भुजबल का मन?
लोकसभा चुनाव में शरद पवार यह साबित करने में सफल रहे हैं कि असल एनसीपी उनकी ही पार्टी है. राज्य में शरद पवार ने अपने कोटे की 10 में से 8 संसदीय सीटें जीतने में कामयाब रही है. इसके बाद से कहा जा रहा है कि अजीत पवार के खेमे के तमाम विधायक वापसी करने के जुगत में हैं. भुजबल का शरद पवार से मुलाकात को उसी मायने से देखा जा रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छगन भुजबल अपने लिए राज्यसभा सीट मांग रहे थे, लेकिन अजित पवार तैयार नहीं हुए.
पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने लोकसभा चुनाव में खुद को साबित कर दिया है और इंडिया गठबंधन के जिस तरह से नतीजे आए हैं, उसके चलते ही छगन भुजबल अब अपने रिश्ते के सुधारने में लगे हैं. इसी कड़ी में शरद पवार से उनकी मुलाकात को देखा जा रहा है. छगन भुजबल आरक्षण पर मराठा और ओबीसी के बीच शांति के बहाने खुद के समझौता का रास्ता तलाश रहे हैं, क्योंकि वह एनडीए खेमे में खुद को एडजस्ट नहीं कर पा रहे हैं?

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