भारतीय महिला हॉकी टीम के कोर ग्रुप में जगह बनाने पर मरीना लालरामनघाकी ने कहा-मुझे अपनी क्षमताओं पर भरोसा था

ई दिल्ली, 22 अप्रैल (हि.स.)। मिजोरम की युवा और ऊर्जावान मिडफील्डर मरीना लालरामनघाकी ने हाल ही में 33 सदस्यीय भारतीय महिला हॉकी टीम के कोर ग्रुप में जगह बनाई है, जो वर्तमान में बेंगलुरु में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में प्रशिक्षण ले रही है।

 

हॉकी मिजोरम की 22 वर्षीय मिडफील्डर मरीना ने पुणे में 14वीं हॉकी इंडिया सीनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने तीन गोल किए और इस तरह मैदान पर अपनी चपलता और रणनीतिक खेल से सबका ध्यान आकर्षित किया। मरीना ने एफआईएच हॉकी महिला जूनियर विश्व कप 2021 और 2019 में ऑस्ट्रेलिया में अंडर-21 तीन राष्ट्रों के आमंत्रण टूर्नामेंट में देश का प्रतिनिधित्व किया।

अपने चयन पर मरीना ने हॉकी इंडिया के हवाले से कहा, जब मुझे कोर ग्रुप में मेरे चयन की खबर मिली तो मैं खुशी से अभिभूत हो गई। यह मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा क्षण था, और मेरी आँखों में खुशी के आँसू भर आए। मेरी क्षमताओं और सफल परीक्षणों ने मेरे विश्वास की पुष्टि की।

आगामी टूर्नामेंटों पर नजर रखते हुए, मरीना आगे की चुनौतियों के लिए 18 सदस्यीय भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

उन्होंने कहा, मेरा अंतिम लक्ष्य 2026 महिला एफआईएच हॉकी विश्व कप और 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम की सफलता में योगदान देना है। हालांकि, वर्तमान में, मेरा ध्यान भारतीय टीम में जगह बनाना है। मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देने और अपने देश को गौरवान्वित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं।

हॉकी में मरीना का सफर 10 साल की उम्र में स्कूल के दिनों से शुरू हुआ। उनकी प्रतिभा को जल्द ही पहचाना गया, जिससे उनका चयन मिज़ोरम के थेनज़ॉल में साई महिला हॉकी अकादमी में हो गया। वह अपनी प्रेरणा का श्रेय लालरेम्सियामी को देती हैं और भारतीय टीम की मिडफील्डर सुशीला चानू को अपना आदर्श मानती हैं।

मरीना ने कहा, लालरेम्सियामी, जिनकी मिजोरम की यात्रा मेरे साथ गहराई से मेल खाती है, ने मुझे हॉकी में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया, उनके अथक समर्पण और उल्लेखनीय उपलब्धियों ने एक मार्गदर्शक के रूप में काम किया, जिससे मुझमें विश्वास पैदा हुआ। लगन और कड़ी मेहनत से सपनों को हकीकत में बदला जा सकता है।”

उन्होंने आगे कहा, इसके अलावा, मैंने हमेशा भारतीय टीम की मिडफील्डर सुशीला चानू को एक आदर्श के रूप में देखा है। उनके असाधारण कौशल, क्षमताओं और खेल के प्रति प्रतिबद्धता ने मुझ पर एक अमिट छाप छोड़ी है। मैं मैदान पर उनकी सफलता का अनुकरण और भारतीय हॉकी की विरासत में योगदान करने की इच्छा रखती हूं।

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