देश में हर दूसरे दिन मर रहा 1 बाघ, महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मौतें
साल 2023 को बाघों की संख्या में रिकॉर्ड इजाफे के साथ-साथ मौत के बढ़ते आंकड़े के लिए भी याद किया जाएगा। पिछले 11 सालों में इस बार सबसे ज्यादा बाघों की मौत हुई है। आंकड़ों के मुताबिक हर दूसरे दिन एक बाघ की जान गई है।
हालांकि इसमें अधिकांश मौत की वजह आपसी संघर्ष व प्राकृतिक रहा है। अब विशेषज्ञ दीर्घकालीन योजना बनाने पर जोर देने लगे हैं। सामान्य तौर पर एक बाघ 20 से 25 किमी के दायरे में रहता है। लेकिन देश में हर साल बढ़ती संख्या से दायरा सिकुड़ता जा रहा है।
रामनगर कार्बेट नेशनल पार्क में ही इस समय 260 बाघ हैं जबकि पार्क का दायरा 1288 वर्ग किमी है। इस कारण कई जगह बाघों को अपना मूल निवास छोड़ना पड़ रहा है। नये ठिकाने की तलाश में बाघ कुमाऊं के सर्द पहाड़ों तक भी पहुंच रहे हैं। जागेश्वर में बीते दिनों दिखा बाघ इसका उदाहरण है।
महाराष्ट्र में 45, उत्तराखंड में 21 बाघ मारे गए
देश में प्रत्येक 4 साल में होने वाली बाघों की गणना के मुताबकि 2022 में बाघों की संख्या 3682 पहुंच गई है। सबसे ज्यादा 785 बाघ मध्य प्रदेश में हैं। 560 के आंकड़े के साथ तीसरे नंबर पर उत्तराखंड है। 444 बाघों वाला महाराष्ट्र चौथे नंबर पर है।
लेकिन मौत के मामले में शीर्ष पर आता है। महाराष्ट्र में इस साल 45 बाघ की मौत हुई है। इसके अलावा मध्य प्रदेश है 38 और तीसरे नंबर पर उत्तराखंड है। 21 बाघ की मौत हुई है।