Opinion: जब IPL से होगा टेस्ट में चयन तो कोई क्यों खेले रणजी ट्रॉफी? टूर्नामेंट की बदहाली के लिए BCCI भी जिम्मेदार
ऑस्ट्रेलिया में शेफील्ड शील्ड, इंग्लैंड में काउंटी और भारत में रणजी ट्रॉफी… एक समय था जब इंटरनेशनल क्रिकेट टीम बनाने के लिए बोर्ड अपने डोमेस्टिक ढांचे पर निर्भर था। जो भी खिलाड़ी इन सम्मानित टूर्नामेंटों में शानदार प्रदर्शन करता था उसका इंटरनेशनल टीम में टिकट पक्का माना जाता था, लेकिन क्रिकेट के बदलते स्वरूप और रोमांच ने इस डोमेस्टिक ढांचे को खोखला कर दिया है। भारत में अब रणजी ट्रॉफी का प्रदर्शन इंटरनेशनल टीम में एंट्री का इकलौता रास्ता नहीं है। आईपीएल के बढ़ते प्रभाव ने न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर की टीमों को भी प्रभावित किया है। उल्टे-पुल्टे शॉट के रोमांच में पारंपरिक क्रिकेट कहीं खो सा गया है।
डोमेस्टिक क्रिकेट में रनों का अंबार लगा रहे प्रियांक पांचाल वेटिंग लिस्ट में इंतजार करते रहे दूसरी ओर, आईपीएल और टी-20 इंटरनेशनल के दम पर सूर्यकुमार यादव न केवल वनडे वर्ल्ड कप खेल गए, बल्कि टेस्ट में भी मौका मिल गया। यही वजह है कि खिलाड़ियों का फोकस धीरे-धीरे आईपीएल की तरफ शिफ्ट हो गया। टेस्ट टीम तक में आईपीएल के प्रदर्शन को मिलती तवज्जों ने खिलाड़ियों का रणजी ट्रॉफी से मोह भंग कर दिया है। अब ईशान किशन इसके ताजा उदाहरण हैं।
रणजी के प्रदर्शन पर रिवॉर्ड नहीं
प्रियांक पांचाल की तरह ही सरफराज खान कई सालों से रणजी ट्रॉफी में बल्ले से आग लगा रहे हैं। पिछले साल की शुरुआत तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका औसत 80 से ज्यादा का था। उन्होंने ज्यादातर रन रणजी ट्रॉफी में बनाए। सरफराज को अब जाकर टीम इंडिया में जगह मिली है। सरफराज पहले ऐसे नहीं हैं। अंकित बावने हो या फिर शेल्डन जैक्सन, ये खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार लगा रहे हैं लेकिन टीम इंडिया में इन्हें जगह देने के बारे में कोई चर्चा भी नहीं है।