PAK जेल से एक साल बाद छूटे मां-बेटे, कनाडा भेजने के बहाने कबूतरबाज ने था फंसाया

असम के नगांव जिले की रहने वाली वहीदा और उसके बेटे को पिछले साल पाकिस्तान में अवैध रूप से प्रवेश करते हुए पकड़ा गया था. कबूतरबाजों का शिकार हुई महिला और उसके बेटे ने एक साल तक पाकिस्तान में सजा काटी. बुधवार को पाकिस्तान ने दोनों को वाघा बॉर्डर पर बीएसफ को सौंप दिया. दोनों ने बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा की जेल में एक साल बिताया.
वहीदा कहती हैं, उसे एक भारतीय ट्रैवल एजेंट ने धोखा दिया था. इस वजह से वो पाकिस्तान पहुंच गई. उसने पाकिस्तान पुलिस को बताया कि साल 2022 में उसके पति की मौत हो गई थी. इसके बाद उसने अपने बेटे को कनाडा ले जाने का फैसला किया. इसके लिए प्रॉपर्टी बेच दी. फिर एक एजेंट से संपर्क किया और उसे पैसे दिए.
‘उसने धोखा दियाा, पैसे और पासपोर्ट लेकर फरार हो गया’
उसने बताया कि पिछले साल एजेंट उसे अपने साथ दुबई ले गया. वहां से वो अफगानिस्तान लेकर पहुंचा और कहा कि अब उसे और उसके बेटे को कनाडा पहुंचाएगा. मगर, उसने धोखा दियाा और अफगानिस्तान में पैसे और पासपोर्ट लेकर फरार हो गया. महिला ने बताया कि अफगानिस्तान से भारत आने के लिए वो बेटे के साथ चमन सीमा के रास्ते पाकिस्तान पहुंची लेकिन उन्हें पाकिस्तानी सैनिकों ने पकड़ लिया.
‘इतनी लंबी प्रक्रिया के बाद राहत मिली’
इसके बाद राजनयिक मदद मिली. नागरिकता प्रूव करने में महीनों लग गए.वहीदा ने बताया कि पाकिस्तान में उनके वकील ने भारत में उनकी मां को जानकारी दी. फिर परिवार ने दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग और इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग से संपर्क किया. वतन वापसी के लिए मदद मांगी. इतनी लंबी प्रक्रिया के बाद आखिरकार उसे राहत मिली.
वहीदा और उनके बेटे को बुधवार को सजा पूरी होने पर रिहा कर दिया गया. इन दोनों के साथ ही दो अन्य भारतीय नागरिक शब्बीर अहमद और सूरज पाल को बीएसएफ को सौंपा गया है. शब्बीर कराची की मलेर जेल में बंद था. सूरज लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद था.

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