Pakistan से आया है, खुद को क्या समझता है…ऐसा सोचने वाले आनंद बख्शी ने क्यों पकड़ लिए थे नुसरत फतेह अली खान के पैर

पाकस्तानी गायक, संगीतकार और गीतकार नुसरत फतेह अली खान के चाहने वाले आज भी पूरी दुनिया में मौजूद हैं. उनकी गायकी का अंदाज़ ऐसा था कि लोग मदहोश हो जाया करते थे. हिंदुस्तान में भी नुसरत के दीवानों की कभी कोई कमी नहीं रही. उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में गाने गाए. नुसरत ने अजय देवगन और सैफ अली खान की फिल्म ‘कच्चे धागे’ में बतौर संगीतकार और गायक काम किया था. अजय ने ‘औरों में कहां दम था’ फिल्म के प्रमोशन के दौरान नुसरत फतेह अली खान और आनंद बख्शी से जुड़ा एक खूबसूरत किस्सा सुनाया है.
साल 1999 में आई ‘कच्चे धागे’ फिल्म का निर्देशन मिलन लूथरिया ने किया था. इस फिल्म के संगीत के लिए सरहद पार से नुसरत फतेह अली खान को बुलाया गया था. आनंद बख्शी ने इस फिल्म के गाने लिखे थे. ऐसे में उन्हें नुसरत फतेह अली खान के साथ काम करना था. पर वो काम करने का वादा करके पहुंच नहीं रहे थे. फिर उनकी आंखों ने एक ऐसा मंज़र देख लिया कि वो ज़ार ज़ार रोने लगे. क्या था वो मामला और क्यों आनंद बख्शी रोने लगे थे? चलिए बताते हैं.
नुसरत को देख क्यों रोए थे आनंद बख्शी?
अजय देवगन ने खुद ये किस्सा द लल्लनटॉप के एक इंटरव्यू में सुनाया है. उन्होंने कहा, “अब वो दोनों ही इस दुनिया में नहीं हैं. नुसरत साहब आए पाकिस्तान से. म्यूज़िक के लिए उनको साइन किया गया था. उनका वज़न बहुत ज्यादा था. कहीं जा नहीं सकते थे. उनको चार आदमी चाहिए थे. उनकी गाड़ी भी अलग थी, जिसमें वो बैठ सकें. वो आए और फैसला हुआ कि बख्शी साहब आएंगे और हम बैठकर एक सेशन करेंगे. बख्शी साहब नहीं आए.”
अजय देवगन ने बताया कि उनका और आनंद बख्शी का बहुत अच्छा रिश्ता था. उन्होंने कहा कि उनकी उम्र मुझसे बहुत बड़ी थी. लेकिन बहुत अच्छी दोस्ती थी. उन्होंने किस्से को सुनाते हुए कहा, “बख्शी साहब आए नहीं. कैंसल हो गया सेशन. कहा गया कल कर लेते हैं. अगले दिन फिर बख्शी साहब नहीं आएं. ऐसा चार-पांच बार हुआ कि बख्शी साहब नहीं आएं. तो नुसरत साहब को समझ नहीं आया कि हुआ क्या.”
आनंद बख्शी कि बिल्डिंग में लिफ्ट नहीं थी
अजय देवगन ने बताया कि आनंद बख्शी बांद्रा में रहते थे. उनका फ्लैट पहली मंजिल पर था और उसमें लिफ्ट भी नहीं थी. उन्होंने आगे कहा, “नुसरत साहब ने कहा कि बख्शी साहब नहीं आ रहे हैं, चलो मुझे ले चलो वहां पर. उनको लेकर गए, बख्शी साहब ने खिड़की से देखा कि उनकी गाड़ी आई और चार आदमी (उन्हें लेकर आ रहे) और इतनी मुश्किल से वो सीढ़ियां चढ़ रहे हैं. बख्शी साहब ने जो रोना शुरू किया. प्रैक्टिली पैर पकड़ लिए.”
आगे अजय कहते हैं, “बख्शी साहब ने बोला कि मैं एक अलग ईगो में जी रहा था कि एक आदमी आया है दूसरे देश से, वो क्या समझता है वो मेरे पास नहीं आ सकता, मुझे उसके पास आना पड़ेगा. पर प्लीज़ मुझे माफ कर दीजिए. कल से हम आपके यहां आकर करेंगे. और फिर उन्होंने क्या संगीत तैयार किया.” अजय ने बताया कि वो दोनों एक दूसरे की इज्जत बहुत करते थे. पर वो बस ईगो का मामला था कि वो क्यों बुला रहा है, वो आ नहीं सकता क्या? पर वो दिक्कत नहीं जानते थे.

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