Phil Hughes Death: क्रिकेट के मैदान का वो हादसा जिसने सब कुछ बदलकर रख दिया!
क्या आपने जिंदगी में कभी क्रिकेट खेल है? खेल ही होगा. बचपन में ज्यादातर बच्चों का कभी ना कभी ये सपना तो जरूर रहा होगा कि वो एक क्रिकेटर बने. कुछ लोग अपने इस सपने को जी भी पाते हैं. प्रोफेशनली क्रिकेट सीखने लगते हैं. अब पूरा कितनें लोग कर पाते हैं ये इंसान की मेहनत और नसीब पर है. लेकिन क्या हो की आप खेलने जाए और खेल के बीच एक हादसा हो और कुछ अनहोनी हो जाए. सोच कर ही अजीब और हैरान परेशान करने वाली बात लगती है. लेकिन क्रिकेट में ऐसा कई बार हुआ जब कुछ हादसों ने लोगो और खिलाड़ियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. 27 नवंबर एक ऐसा ही दिन है जब क्रिकेटर्स और क्रिकेट चलाने वालों की सोच हमेशा हमेशा के लिए बदल गई.
जब फिल ह्यूज की मैदान पर हुई मौत
आज से ठीक 10 साल पहले क्रिकेट के मैदान पर जो हुआ वो हर खिलाड़ी की ज़हन में बस गया. ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर फ़िल ह्यूज़ के सिर पर गेंद लगने से मौत हो गई थी. इस बात को 10 साल हो गए. फ़िल ह्यूज़ ऑस्ट्रेलिया का एक बेहद प्रतिष्ठित घरेलू टूर्नामेंट शेफील्ड शील्ड खेल रहे थे. गेंदबाज़ थे सीन एबट. बल्लेबाजों के दौरान फ़िल ह्यूज़ को एक बाउंसर आकर सिर पर लगती है. अब वैसे तो ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी बाउंसर को बाकी दुनिया के मुकाबले बेहतर खेलने के लिए जाने जाते हैं लेकिन इसको ह्यूज़ का दुर्भाग्य ही मानेंगे कि गेंद जाकर उनके सिर पर लग गई. कुछ सेकंड वो एकदम हक्के बक्के रह गए. लेकिन इसके पहले वो और मैदान में मौजूद हर खिलाड़ी और अंपायर कुछ समझ पाता वो बेहोश होकर ज़मीन पर गिर पड़े. आंखें ऐसी बंद हुई की फिर कभी खुली ही नहीं. तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है लेकिन फ़िल ह्यूज़ को बचाया नहीं जा सका. इस हादसे ने पूरी क्रिकेट की दुनिया को स्तब्ध करके रख दिया.
इतने बड़े हादसे के बाद आईसीसी भी जग जाती है और बाउंसर को लेकर कुछ नए नियम कानून बनाए जाते हैं. आज की तारीख में हालात ये हैं कि अगर किसी खिलाड़ी को सिर पर गेंद छूकर भी निकलती है तो तुरंत उसका कनकशन टेस्ट किया जाता है. मैच चाहे किसी भी मोड़ पर हो, समय चाहे कितना भी लगे. जबतक ये तय ना ना हो जाए कि खिलाड़ी ठीक है और आगे खेलने में सक्षम है, मैच आगे नहीं बढ़ता. खिलाड़ियों के हेलमेट में भी कुछ तकनीकी बदलाव किए गए.
बदल गई क्रिकेटरों की सोच
इस हादसे ने क्रिकेटरों की सोच को बदल कर रख दिया. इससे पहले हर बल्लेबाज मैदान में जाने से पहले अपनी बल्लेबाज़ी, अपनी फॉर्म, अपनी तकनीक के बारे में शायद जरूर सोचता होगा लेकिन ये कभी नहीं सोचा होगा कि मैदान के अंदर जाकर वो कभी इतना भयंकर चोटिल भी हो सकता है कि उसकी जान चली जाए. सबको यही लगता था कि क्रिकेट में हेलमेट की आने के बाद एक बल्लेबाज़ के तौर पर आप पूरी तरह से सुरक्षित है लेकिन इस हादसे ने इस सोच को भी बदल दिया. ऐसा नहीं है कि इससे पहले ऐसे हादसे क्रिकेट के मैदान पर कभी नहीं हुए. बिलकुल हुए हैं लेकिन तब शायद दुनिया साइंस और टेक्नोलॉजी में इतनी आगे नहीं पहुंची थी. बीते सालों में कई ऐसे खिलाड़ी रहे जिनकी मैदान पर गेंद लगने से मौत हो गई लेकिन तब शायद इतने मॉडर्न और बेहतर क्वालिटी के हेलमेट नहीं हुआ करते थे. आज की हाईटेक दुनिया में फ़िल ह्यूज़ का इस दुनिया से चले जाना खिलाड़ियों के लिए किसी रियलिटी चेक से कम नहीं था.
भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच हुआ स्थगित
ये हादसा 2014 में भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे से ठीक पहले हुआ जिसका नतीजा ये हुआ कि दौरे के पहले मैच को पोस्टपोन कर दिया गया. ये मैच 4 दिसंबर से खेला जाना था. ब्रिसबेन गाबा में होने वाला दूसरा टेस्ट बना पहला मैच जो 9 दिसंबर को खेला गया. सीरीज के शेड्यूल में अंतिम समय में ये निर्णय क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की तरफ से लिया गया ताकि पूरा देश अपने साथी, अपने दोस्त और अपने क्रिकेटर फ़िल ह्यूज़ को अतिंम श्रद्धांजलि दे पाए. BCCI ने भी क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के इस निर्णय का पूरा समर्थन किया. टीम इंडिया इस सीरीज को 2-0 से गंवा देती है. लेकिन ये वही सीरीज थी जब एक नई यंग, अग्रेसिव टीम इंडिया की शुरुआत हुई. यही दौरा एमएस धोनी का टेस्ट क्रिकेट में आखिरी दौरा साबित हुआ. यही वो दौरा था जब विराट कोहली को टीम इंडिया की टेस्ट कप्तानी दी गई और भारतीय क्रिकेट में एक नए युग की शुरुआत हुई.
क्रिकेट तो धीरे-धीरे आगे बढ़ गया. इस हादसे को 10 साल हो गए. लेकिन इस एक हादसे ने ये साबित कर दिया कि इंसान और उसके इमोशन के ऊपर कुछ भी नहीं है, क्रिकेट भी नहीं. ऐसा नहीं है कि इससे पहले ऐसे बड़े हादसे नहीं हुए थे जिन्होंने क्रिकेट की दुनिया को ना बदला हो. उदाहरण के तौर पर श्रीलंका की टीम का पाकिस्तान के दौरे पर जाना और वहां उनकी टीम बस पर 20-25 मिनट तक बीच चौराहे पर लगातार फायरिंग होना, गोलियां चलना जिसमें टीम के कई खिलाड़ी घायल भी हो जाते हैं ये भी एक बहुत बड़ा हादसा था. इस हादसे ने क्रिकेटर्स और क्रिकेट बोर्ड को ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि खिलाड़ियों की सुरक्षा भी एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है और ये आपको सोचना होगा कि एक बोर्ड के तौर पर आप किस देश में अपने खिलाड़ियों को खेलने भेज रहे हैं.