Pink Tax: क्या होता है Pink Tax, आखिर किन चीजों पर लगता है ये टैक्स
हम सभी इनकम टैक्स (Income Tax), जीएसटी और कॉर्पोरेट टैक्स के बारे में जानते हैं. लेकिन क्या आप पिंक टैक्स (Pink Tax ) के बारे में जानते हैं?
इस टैक्स का भुगतान महिलाएं करती हैं, जिसकी उन्हें जानकारी भी नहीं होती. इस टैक्स को सरकार नहीं बल्कि कंपनियां वसूलती हैं. एक बार फिर से ये टैक्स चर्चा में आया है. जानते हैं ये क्या है और इसका भुगतान महिलाएं कैसे कर रहीं.
फिर चर्चा में पिंक टैक्स-
भारतीय बायोफार्मास्युटिकल कंपनी बायोकॉन की संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष, किरण मजूमदार-शॉ ने इसके बारे में बात की. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो शेयर किया.
जिसमें उन उत्पादों के लिए पक्षपाती मूल्य निर्धारण प्रथाओं के बारे में बताया. जिनका दुनिया भर में महिलाएं उपयोग कर रही हैं. इन प्रथाओं की निंदा की और महिलाओं से ऐसे उत्पादों को त्यागने को कहा. मजूमदार-शॉ ने इस बारे में कहा, “पिंक टैक्स! एक शर्मनाक लैंगिक पक्षपात है. ऐसे उत्पादों का त्याग करके महिलाओं ने जवाब देना चाहिए.
किरण मजूमदार-शॉ ने 13 मार्च को डॉ. संजय अरोड़ा का एक वीडियो रीट्वीट किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे ब्रांडों द्वारा “समान आकार और मात्रा” के कुछ उत्पादों के लिए महिलाओं से कहीं अधिक शुल्क लिया जाता है और पुरुषों से कम शुल्क लिया जाता है.
डब्ल्यूईएफ का कहना है कि लिंग आधारित मूल्य असमानताएं कई क्षेत्रों में मौजूद हैं, लेकिन सबसे प्रमुख में से एक व्यक्तिगत देखभाल उत्पाद है. जिसमें साबुन, लोशन, डिओडोरेंट, रेजर ब्लेड हैं.
जो विशेष रूप से महिलाओं या पुरुषों के लिए बेचे गए हैं. उन्होंने अपने वीडियो में यह भी कहा कि महिलाओं के लिए एक लिप बाम की कीमत 250 रुपये है, जबकि पुरुषों के लिए 165 रुपये है, महिलाओं के लिए एक टी-शर्ट की कीमत 50 प्रतिशत ज्यादा है.
क्या होता है पिंक टैक्स ?
ये साधारण टैक्स नहीं होता. इसे जेंडर के आधार पर वसूला जाता है. ऐसे प्रोडक्ट्स जो महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं. उन पर कंपनियां पिंक टैक्स लगाती है. ये अदृश्य लागत है. जिसे सर्विस या सामान पर महिलाएं चुकाती हैं.
महिलाऐं कैसे करती हैं भुगतान-
इस टैक्स का भुगतान महिलाओं से सीधे नहीं बल्कि सामान और सेवा की लागत में जोड़कर वसूला जाता है. जैसे लिपस्टिक, नेल पेंट, सेनिटरी पैड, आर्टिफ़िशियल ज्वेलरी जैसे सामानों पर लगता है. जिनसे इस सामानों के दाम और बढ़ जाते हैं.
ऐसे भी कई उत्पाद हैं जो महिलाओं और पुरुषों के लिए एक ही कंपनी द्वारा बनाए जाते हैं, लेकिन फिर भी महिलाओं को कीमतें ज्यादा चुकानी पड़ती हैं. कई बार एक ही सैलून में बाल कटवाने के लिए पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है. पिंक टैक्स ऐसे ही कई तरीकों से महिलाओं से लिया जाता है.