पीएम मोदी का आदेश, डोभाल ने सम्भाला मोर्चा, ऐसे अपने वतन लौट पाए नौसैनिक

कतर की अदालत ने जब 26 अक्टूबर को भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई तो पूरा देश सन्न रह गया था. भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि हम सदमे में है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक मुकदमे की पूरी कार्रवाई गोपनीय रखी गई थी. उन 8 भारतीयों के खिलाफ आरोप क्या है, उनके खिलाफ कतर की एजेंसियों के पास क्या सबूत है, ये सब कुछ भी नहीं पता था. विदेश मंत्रालय ने जेल में बंद उन आठ भारतीयों के परिजनों को साथ लेकर मुकदमे को अपने हाथ में लिया.

केस की पैरवी के लिए कतर के पूर्व अटॉर्नी जनरल को हायर किया गया. नवंबर में कतर की ऊपरी अदालत में अपील दायर की गई. इस बीच लगातार दोहा स्थित भारतीय दूतावास कतर अधिकारियों के साथ राजनयिक संपर्क बनाए हुए थी. अगस्त 2022 से कतर की जेलों में बंद 8 भारतीय के मामले में सबसे अहम मोड़ तब आया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुबई में विश्व जलवायु सम्मेलन के दौरान कतर के अमीर से मुलाकात कर जेलों में बंद इन भारतीयों के बारे में चर्चा की.

गिरफ्तारी के बारे में नहीं था पता

कतर की सरकार ने काउंसर एक्सेस की मंजूरी दी और भारतीय राजदूत विपुल ने जेल में जाकर उन सभी से मुलाकात की. इस मामले से जुड़े लोगों के मुताबिक दोहरा कंपनी में काम करने वाले इन लोगों को अपने साथियों की गिरफ्तारी के बारे में भी लंबे समय तक पता नहीं था. सभी आठ लोगों को जासूसी के बेबुनियाद आरोप में अलग-अलग गिरफ्तार किये गये थे और उन्हें अलग-अलग सेल में बंद किया गया था. यहां तक की जेल में कई महीनों तक वो आपस में मिल नहीं पाए थे. प्रधानमंत्री मोदी और कतर के अमीर की मुलाकात के बाद इस मामले ने स्पीड पकड़ा.

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल ने कई बार कतर का दौरा किया और इस केस से जुड़े अधिकारियों के साथ लगातार फॉलोअप करते रहे. आखिरकार 28 दिसंबर को कतर की अपील कोर्ट ने इन लोगों की मौत की सजा को बदल दिया. कतर की कोर्ट से इन्हें अलग-अलग अवधि की कारावास की सजा दी गई . इसके बाद इन भारतीयों की सजा माफी के लिए कतर के अमीर के पास दया याचिकाएं दायर की गई. कतर के अमीर साल में दो बार कैदियों की सजाएं माफ करते हैं. एक मौका ईद के अवसर पर होता है जबकि दूसरा मौका कतर के नेशनल डे यानी 18 दिसंबर का होता है.

किसी को भी इसकी नहीं थी भनक

भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने 14-15 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी के कतर दौरे की घोषणा करते हुए बताया कि पिछले एक महीने से अधिक समय से प्रधानमंत्री के दौरे की तैयारी चल रही थी. माना जा रहा है कि कतर के अमीर ने सजा माफी के अपने परंपरा को तोड़ते हुए प्रधानमंत्री मोदी के कतर दौरे से ठीक पहले 8 भारतीयों की रिहाई का हुक्म दिया. रिहाई के दिन तक किसी को भी इसकी भनक तक नहीं थी. जेलों में बंद इन भारतीयों के परिजनों के मुताबिक जेल अधिकारियों ने उन्हें अपना सामान तैयार रखने के लिए कहा था और रविवार की सुबह उन्हें रिहा कर दिया गया. जेल से रिहा होने के तुरंत बाद दोहा स्थित भारतीय दूतावास के सहयोग से 8 में से 7 भारतीय स्वदेश के लिए रवाना हो गए. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक आंठवा व्यक्ति कमांडर पूर्णेंदु तिवारी है जिनका पेपर तैयार होने में कुछ वक्त लग रहा है और जल्द ही वो भी अपने भारत में अपने परिजनों के साथ होगें.

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