Promotion Rule: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बदल गए प्रमोशन के नियम, अब ऐसे मिलेगा लाभ

सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के मुताबिक यह स्कीम उन कर्मचारियों के लिए है जिनका प्रमोशन नहीं होता है। इस स्कीम के तहत कर्मचारी को पूरे करियर में तीन बार फाइनेंशियल अपग्रेडेशन मिलता है।

दरअसल, MACP स्कीम के तहत कर्मचारियों को क्रमशः 10, 20 और 30 वर्ष की सेवा के बाद तीन अनिवार्य फाइनेंशियल अपग्रेडेशन मिलता है।

योजना के तहत जब कभी कोई व्यक्ति एक ही लेवल-वेतन में लगातार काम करता रहता है और इस दौरान प्रमोशन नहीं होता तो उसे 10 वर्ष की अवधि के बाद ऑटौमैटिक फाइनेंशियल अपग्रेडेशन मिल जाता है।

इस फाइनेंशियल अपग्रेडेशन के बाद कर्मचारी को नए ग्रेड वेतन के तहत सैलरी मिलती है, जो प्रमोशन से मिलने वाले वित्तीय लाभ के बराबर ही होता है।

क्या है पात्रता: MACP स्कीम के तहत फाइनेंशियल अपग्रेडेशन का लाभ उसी कर्मचारी को मिलेगा, जिसका आखिरी तीन वर्षों का APAR परफॉर्मेंस न्यूनतम ”बहुत अच्छा” हो। अगर ऐसा नहीं है तो फाइनेंशियल अपग्रेडेशन तब तक होल्ड पर रहेगा

जब तक कि वह इस पात्रता को प्राप्त नहीं करता है। बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में इस पात्रता की शर्त को शामिल किया गया था। इसका मकसद सरकारी कर्मचारियों के परफॉर्मेंस में सुधार लाना है।

उदाहरण से समझें: मान लीजिए कि रमेश को लेवल 2 वेतन के तहत सैलरी मिलती है। अगर रमेश 10 साल तक इसी लेवल में काम करता है और उसका कोई प्रमोशन नहीं हुआ

तो इसके बाद उसे MACP स्कीम के तहत फाइनेंशियल अपग्रेडेशन करके लेवल 3 में अपग्रेड कर दिया जाएगा। रमेश को 15 साल में एक्चुअल प्रमोशन मिल जाता है

तो उसको प्रमोशन का वित्तीय लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि पहले ही 10 साल पूरा होने पर रमेश पहले ही MACP के तहत फाइनेंशियल अपग्रेडेशन का लाभ ले चुका है।

यह स्कीम उन विभागों के कर्मचारियों के लिए बहुत फायदेमंद है, जहां प्रमोशन के लिए अवसर बहुत ही कम हैं। इसके अलावा उन कर्मचारियों को भी फायदा मिलता है

जिनकी नियुक्ति लेवल-6 या लेवल-7 पर सीधी भर्ती के तहत होती है। इस पद पर आने वाले कर्मचारियों के पदोन्नती के अवसर बेहद कम होते हैं।

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