Property Document: घर खरीदने से पहले चेक करे ये जरूरी दस्तावेज, वरना लग जाएगा चूना
आज के समय में महंगाई इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि आम आदमी शहर में घर खरीदने के बारे में सोच भी नहीं सकता। अगर आप खून, पसीने की गाढ़ी कमाई से खुद का घर खरीदने योजना बना रहे हैं.
तो ऐसे में सावधानी जरूर बरतें। क्योंकि जैसे ही प्रॉपर्टी के रेट बढ़े हैं वैसे ही धोखाधड़ी के मामलों में भी बढ़ते ही जा रहे हैं। कई बार बिल्डर सस्ते प्लॉट व घर का झांसा देकर लाखों-करोड़ों रुपये की चपत लगा देते हैं।
दिल्ली-एनसीआर और नोएडा जैसे बड़े शहरों में बड़े पैमाने पर अवैध कॉलोनियां (illegal colonies) का निर्माण हो रहा है और बिना मानचित्र स्वीकृति के अपार्टमेंट, डुपलेक्स से लेकर सस्ते घर बनाए जा रहे हैं।
जिनमें फंस लोग रकम गंवा रहे हैं। अगर आप अपना मकान खरीदने की सोच रहे हैं तो प्रॉपर्टी से जुड़े नियमों और डॉक्यूमेंट के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। चलिए नीचे खबर में जानते हैं-
खेतों में बन रही कॉलोनियां-
खेतों में बन रही कॉलोनियां में 4 से 5 हजार रुपये प्रति वर्ग गज कीमत पर प्लॉट बिक रहे हैं। 15 से 20 लाख रुपये में दो से तीन कमरों के घर बनाए जा रहे हैं।
जिन पर कभी भी आगरा विकास प्राधिकरण (Agra Development Authority) की गाज गिर सकती है। दूसरी तरफ दागी बिल्डरों के प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हुए हैं। जिनमें बुकिंग के बाद 10-10 साल से लोग कब्जे के लिए भटक रहे हैं।
500 से अधिक खरीदारों की डूबी रकम-
रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 से सितंबर 2023 तक 50 अवैध कॉलोनियां (illegal colonies) ध्वस्त हो चुकी हैं। जिनमें 500 से अधिक खरीदारों की रकम डूब गई। कालोनियां अवैध होने के कारण खरीदार कोई दावा भी नहीं कर पा रहे। डूबी रकम को वापस पाने के लिए लोग बिल्डर से लेकर एडीए व पुलिस थानों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
बैंक से कर्ज लेकर फंसे खरीदार
घर खरीदने के लिए बैंक कर्ज दे रहे हैं। अवैध व अनाधिकृत कॉलोनियों में सस्ते प्लॉट, घर व फ्लैट खरीदार बुरे फंस रहे हैं। एक तरफ खरीदी गई प्रोपर्टी पर बुलडोजर चल रहा है। खरीदार हाथ मलते रह जाते हैं। दूसरी तरफ बैंक कर्ज की वसूली ब्याज सहित कर रहे हैं। ऐसी धोखधड़ी का सबसे ज्यादा शिकार सरकारी कर्मचारी हुए हैं
एप्रूव्ड में 25 से 30 हजार रुपये वर्ग गज कीमत
एक तरफ अवैध कॉलोनियों में 4 से 5 हजार रुपये वर्ग गज में प्लॉट बिक रहे हैं, दूसरी तरफ आगरा विकास प्राधिकरण से एप्रूव्ड कॉलोनियों में प्लॉट्स की कीमत 25 से 30 हजार रुपये वर्ग गज है।
क्योकि इन कॉलोनियों में सीवर, पानी, पार्क, सड़क से लेकर सभी सुविधाएं होती हैं। जबकि अवैध कॉलोनियों में जनसुविधाओं के नाम पर खरीदारों को झांसा दिया जा रहा है।
खरीदने से पहले कर लें जांच ये डॉक्यूमेंट
जहां तक डॉक्यूमेंट की जांच की बात है तो उन पर आपको खास तौर पर ध्यान देना है. कौन कौन से दस्तावेज चेक करना जरूरी है. आप जिस भी प्रोजेक्ट में फ्लैट या मकान खरीद रहे हैं, वह रेरा (RERA) में रजिस्टर होना चाहिए.
यह रियल एस्टेट (Real Estate) का एक कानून है, जो भारतीय संसद से पारित है. इसका मकसद रियल एस्टेट सेक्टर में आम जनता के हितों की रक्षा करना और उन्हें धोखाधड़ी से बचाना है.
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले विक्रेता के टाइटल और ओनरशिप का वेरिफिकेशन करना बेहद जरूरी है.
चेनल डाक्यूमेंट: चेनल डाक्यूमेंट को भी चेक करना बेहर जरूरी है. चैनल डाक्यूमेंट का मतलब होता है X ने Y को बेची, Y ने Z को बेची. इस दौरान जो भी डील बनती है उसमें सबका विचारनाम बनता है. यानी किसको कहां से मिली इन सबका हवाला होना चाहिए.
एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट: यह सर्टिफिकेट आपको बताता है कि जिस प्रॉपर्टी को खरीद रहे हैं उस पर कोई मोर्टगेज, बैंक लोन या कोई टैक्स तो बकाया नहीं है. इसके अलावा कोई पेनाल्टी तो नहीं है इसकी जानकारी मिलती है. इसके अलावा रजिस्ट्रार के ऑफिस जाकर आप फॉर्म नंबर 22 भरकर जानकारी जुटा सकते हैं.
ऑक्यूपॅन्सि सर्टिफिकेट: अऑक्यूपॅन्सि सर्टिफिकेट एक अहम दस्तावेज है, जिसे बिल्डर से जरूर लेना चाहिए. अगर वह इसे नहीं देता तो खरीददारों को यह अधिकार है कि वह डिवेलपर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करें.
पजेशन लेटर: डिवेलपर खरीददार के हक में पजेशन लेटर जारी करता है, जिसमें प्रॉपर्टी पर कब्जे की तारीख लिखी होती है. होम लोन पाने के लिए इस दस्तावेज की असली कॉपी को पेश करना जरूरी होता है. जब तक ओसी हासिल नहीं किया जाएगा, तब तक पोजेशन लेटर अकेले प्रॉपर्टी पर कब्जे के लिए काफी नहीं माना जा सकता.
मॉर्गेज : मॉर्गेज (Mortgage) या गिरवी रखना एक प्रकार का ऋण है जिसका उपयोग उधारकर्ता किसी मकान की खरीद या रखरखाव करने के लिए या रियल एस्टेट के अन्य रूपों में करता है. साथ ही समय के साथ इसका भुगतान करने पर सहमति जताता है. प्रॉपर्टी, लोन सिक्योर करने में कोलैटरल के रूप में काम करती है.
टैक्स पेमेंट का स्टेटस चेक करें: प्रॉपर्टी टैक्स नहीं चुकाने से संपत्ति पर शुल्क लगता है, जिससे उसकी मार्केट वैल्यू पर असर पड़ता है. इसलिए खरीददार को स्थानीय म्युनिसिपल अथॉरिटी में जाकर यह देख लेना चाहिए कि विक्रेता ने प्रॉपर्टी टैक्स में कोई डिफॉल्ट तो नहीं किया है.