Property Tax: किराए पर मकान देने वालों को देना पड़ेगा टैक्स, जानिए आयकर कानून की पूरी जानकारी
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) भरा जा रहा है. ऐसे में लोग अलग-अलग तरीकों से टैक्स बचाने की जुगत में लगे हैं. जिन लोगों ने किराये पर घर या कोई प्रॉपर्टी दी हुई है उन्हें भी टैक्स देना होता है.
इसमें घर के अलावा, दुकान, जमीन व शेड आदि भी शामिल हैं. किराये से होने वाली कमाई को फॉर्म-16 में शामिल नहीं किया जाता लेकिन आईटीआर भरते समय आपको इसके बारे में बताना होता है.
आयकर अधिनियम के अनुसार, ‘हाउस प्रॉपर्टी से इनकम’ वाला कानून हर उस व्यक्ति पर लागू होता है जो किराए से कमाई कर रहा है. कई बार तो उन लोगों को भी अपनी प्रॉपर्टी डिस्क्लोज करनी होती है जिन्हें किराया तो नहीं मिल रहा लेकिन उनके पास कई प्रॉपर्टीज हैं.
क्या होती है हाउस प्रॉपर्टी इनकम
अगर आपने किसी को प्रॉपर्टी किराये पर दी है तो उससे होने वाली कमाई हाउस प्रॉपर्टी इनकम के अंतर्गत आएगी. यह केवल मकान या अपार्टमेंट पर लागू नहीं होती. ऑफिस स्पेस, दुकान, बिल्डिंग कॉम्पलेक्स आदि के किराए से होने वाली कमाई भी इसके अंतर्गत आती है.
कैसे होता है कैलकुलेशन
किराये से होने वाली आय को कैलकुलेट करते वक्त आपके द्वारा भरा गया म्युनिसिपल टैक्स, आपको मिलने वाला स्टैंडर्ड डिडक्शन और अगर प्रॉपर्टी पर कोई लोन है तो उसकी रकम को घटा दिया जाता है. रेंट से हो रही कुल कमाई ग्रॉस एनुअल वैल्यू होती है. इस कैलकुलेशन में स्टैंडर्ड डिडक्शन के तौर पर 30 फीसदी घटा दिया जाता है.
कैसे कर सकते हैं बचत
अगर आप रेंट से होने वाली कमाई पर टैक्स बचाना चाहते हैं तो आप होम लोन को आधार बनाकर छूट ले सकते हैं. इसके अलावा अगर प्रॉपर्टी के जॉइंट ओनर्स हों तो टैक्स का बोझ भी बंट जाएगा. इसके अलावा आप स्टैंडर्ड डिडक्शन को क्लेम करके 30 फीसदी तक देनदारी घटा सकते हैं.
बगैर रेंट लिये भी देना हो सकता है टैक्स
आयकर कानून के तहत आप केवल 2 ही प्रॉपर्टीज को अपनी फेवरेट की कैटेगरी में रख सकते हैं. यानी इन प्रॉपर्टी से अगर आपको किराया नहीं मिल रहा तो आपकी टैक्स देनदारी नहीं बनेगी.
लेकिन आपके पास 2 से अधिक प्रॉपर्टीज हैं तो उन्हें किराए पर दी गई प्रॉपर्टी ही माना जाएगा. इस पर आपको अनुमानित किराये के आधार पर टैक्स भरना पड़ सकता है.