Putrada Ekadashi vrat katha: पुत्रदा एकादशी 21 या 22 जनवरी?, पढ़ें पुत्रदा एकादशी सुकेतुमान वाली कहानी

पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस साल 21 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। आपको बता दें कि यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन व्रती एकादशी व्रत रख भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। यह व्रत नि:संतान और नवविवाहित महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत करती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत करने से व्रती को सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है।

पुत्रदा एकादशी की कथा-

कथा के अनुसार कहा गया है कि भद्रावती नाम के राज्य में सुकेतुमान नाम का एक राजा राज्य करता था। उसकी पत्नी के नाम शैव्या था। राजा के पास सबकुछ था, सिर्फ और सिर्फ उसे एक संतान की कमी थी। इस बात से राजा बहुत परेशान था। ऐसे में राजा और रानी उदास और चिंतित रहते थे। राजा को इस बात का डर सताता था कि मरने के बाद उसका अंतिम संस्कार और पिंडदान कौन करेगा। ऐसे में एक दिन राजा ने दुखी होकर आत्महत्या करने का मन बना लिया, हालांकिइस पाप के डर से उसने बाद में यह विचार त्याग दिया। लेकिन इसके बाद से राजा का राजपाठ में मन नहीं लग रहा था, जिसके कारण वह जंगल की ओर चला गया।

राजा को जंगल में पक्षी और जानवर दिखाई दिए। राजा के मन में बुरे विचार आने लगे। इसके बाद राजा दुखी होकर एक तालाब किनारे बैठ गए। तालाब के किनारे ऋषि मुनियों के आश्रम बने हुए थे। राजा आश्रम में गए और ऋषि मुनि राजा को देखकर प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा कि राजन आप अपनी इच्छा बताएं । राजा ने अपने मन की बात मुनियों को बताई। राजा की चिंता सुनकर मुनि ने कहा कि इसका एक समाधान है, इसके लिए आपको एक पुत्रदा एकादशी के व्रत रखना होग। मुनियों ने राजा को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने को कहा। राजा ने भी उसी दिन से इस व्रत को रखा और द्वादशी को इसका विधि-विधान से पारण किया। इसके फल स्वरूप रानी ने कुछ दिनों बाद गर्भ धारण किया और नौ माह बाद राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई।

 

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