राजस्थान में भारत-जापान संयुक्त अभ्यास ‘धर्म गार्जियन’ का शुभारंभ

संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के अंतर्गत अर्ध-शहरी परिस्थितियों में संयुक्त अभियानों को पूरा करने के लिए संयुक्त क्षमताओं में वृद्धि करना है।

भारतीय सेना और जापान ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘धर्म गार्जियन’ का 5वां संस्करण आज (रविवार) राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में शुरू हो गया है। इस अभ्यास का आयोजन 25 फरवरी से 9 मार्च 2024 तक किया जा रहा है।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार अभ्यास ‘धर्म गार्जियन’ एक वार्षिक सैन्य अभ्यास है और इसका वैकल्पिक रूप से आयोजन भारत और जापान में किया जाता है। दोनों देशों की टुकड़ी में 40-40 जवान शामिल हैं। जापानी दल का प्रतिनिधित्व 34वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट के सैनिकों द्वारा और भारतीय सेना दल का प्रतिनिधित्व राजपूताना राइफल्स की एक बटालियन द्वारा किया जा रहा है।

संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के अंतर्गत अर्ध-शहरी परिस्थितियों में संयुक्त अभियानों को पूरा करने के लिए संयुक्त क्षमताओं में वृद्धि करना है। यह अभ्यास उच्च स्तर की शारीरिक फिटनेस, संयुक्त योजना, संयुक्त सामरिक अभ्यास और विशेष हथियार कौशल पर केंद्रित है।

अभ्यास के दौरान किए जाने वाले सामरिक अभ्यास में अस्थायी ऑपरेटिंग बेस की स्थापना, एक इंटेलिजेंस, निगरानी और टोही (आईएसआर) ग्रिड बनाना, मोबाइल वाहन चेक पोस्ट स्थापित करना, एक विरोधी और दुश्मन के क्षेत्र में कॉर्डन और सर्च ऑपरेशन करने, हेलिबोर्न ऑपरेशन और हाउस इंटरवेंशन ड्रिल्स शामिल हैं। अभ्यास के दौरान ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल और देश की बढ़ती रक्षा औद्योगिक क्षमता को दर्शाने वाले हथियारों और उपकरणों का प्रदर्शन किया जाएगा।

‘‘अभ्यास धर्म गार्जियन’’ के आयोजन के अवसर पर जापान ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स, पूर्वी सेना, कमांडिंग जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल तोगाशी युइचीभी भारत का दौरा करेंगे। जनरल ऑफिसर 3 मार्च 2024 को महाजन फील्ड फायरिंग रेंज का दौरा करेंगे और कॉम्बैट शूटिंग प्रदर्शन, स्पेशल हेलिबोर्न ऑपरेशन (एसएचबीओ) और हाउस इंटरवेंशन ड्रिल को देखेंगे।

मंत्रालय के अनुसार अभ्यास ‘धर्म गार्जियन’ दोनों देशों को सामरिक संचालन करने की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में अपने श्रेष्ठ अभ्यासों को साझा करने में सक्षम बनाएगा। इस अभ्यास से दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच अंतर-संचालन क्षमता, सौहार्द्र और सहयोग बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इससे रक्षा सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और दोनों मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध सुदृढ़ होंगे।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *