एक हाथ में राम दरबार, दूसरे में ध्वज. 800 किलोमीटर पैदल चल अयोध्या पहुंचेगा कारसेवक

अयोध्या में रामलला की 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूरे देश भर से राम भक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं. राम नगरी जाने वाले भक्तों को प्रभु की भक्ति में लीन देखा जा रहा है.

अपने आराध्य के दर्शन के लिए एक राम भक्त ऐसा भी है जो 800 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर नागपुर से अयोध्या जा रहा है. यह राम भक्त 1992 में कार सेवक के रूप में अयोध्या पहुंचा था जिसे करीब 10 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था.

यह राम भक्त हैं 55 वर्षीय जबलपुर के गुप्तेश्वर निवासी धनंजय उर्फ राजू पाटमासे. पैदल अयोध्या जाने वाले राजू का नागपुर से लेकर जबलपुर तक रास्ते में भव्य स्वागत किया गया है. राजू को इंतजार है रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का वह इसको लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित हैं. उनका जोश देखते ही बन रहा है. उनका कहना है कि जिस दिन का सालों से इंतजार था वो पूरा होने जा रहा है. उनका सपना साकार हो रहा है. उन्होंने अपनी दास्तान को भी बताया.

10 दिन रहे बांदा जेल, 2 दिन गुजारे अस्थाई जेल में

राजू पाटमासे बताते हैं कि वे मूलतः जबलपुर प्रेम नगर मदन महल के रहने वाले थे. काफी साल पहले वह नागपुर चले गए जहां वह एक होटल में काम करने लगे. वह अपनी पत्नी प्रांजु एवं 14 वर्षीय बेटी अक्षरा के साथ रहते हैं. वहबताते हैं कि वह 1990 के दौर में ही राम मंदिर आंदोलन से जुड़ गए थे. कल्याण सिंह की सरकार के समय में पुणे द्वारा अयोध्या जाने का मौका मिला जहां उन्हें 1992 में गिरफ्तार करके करीब 10 दिनों तक बांदा जेल में रखा गया था. वहां से रिहा हुए तो 2 दिन तक उन्हें नरैनी स्थित स्कूल में बनाई गई अस्थाई जेल में रखा गया था.

 

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