राम मंदिर आंदोलनःकारसेवा करने 2 भाई 1991 में गए थे अयोध्या , फिर कभी नहीं लौटे

जिस घड़ी का लाखों लोगों को इंतजार था. वह अब आ गई है. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को महज चंद घंटे बंचे हैं. साथ ही उन घटनाओं और कुर्बानियों को भी याद कर रहा है, जिनके चलते आज प्रभु श्रीराम के मंदिर के निर्माण का सपना साकार हो रहा है.

ऐसे में हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के उन दो कारसेवकों को भी याद करना जरूरी हो जाता है, जो गए तो कारसेवा करने थे लेकिन आज दिन तक वापिस लौटकर नहीं आ सके.

दरअसल, मंडी निवासी स्व. इंद्र सिंह का पूरा परिवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद की विचारधारा से जुड़ा रहा है. इंद्र सिंह संघ के बड़े प्रचारकों में से थे और अमृतसर, दिल्ली तथा बाम्बे में संघ के लिए कार्य कर चुके थे. इनके 7 पुत्र थे. खुद इंद्र सिंह और इनके बेटे मुनेंद्र पाल, बलवंत पाल और भूपेंद्र पाल कारसेवा के लिए समय-समय पर अयोध्या जाते रहते थे.

दोनों भाइयों ने नहीं की थी शादी

बलवंत पाल और भूपेंद्र पाल ने शादी नहीं की थी और संघ के कार्यों के चलते शिमला और चंबा में रहते थे. कारसेवा कर चुके इनके भाई मुनेंद्र पाल करसोग में रहते हैं. 1991 में बलवंत पाल और भूपेंद्र पाल कारसेवा के लिए अयोध्या गए, लेकिन उसके बाद कभी वापिस लौटकर नहीं आए.68 वर्षीय भाई सुरेंद्र पाल वैद्य बताते हैं कि उनके भाई कारसेवा के लिए अयोध्या जाते रहते थे, लेकिन परिवार को आज दिन तक इस बात का पता नहीं चल सका कि आखिर उनके भाई कहां लापता हो गए. हालांकि इस संदर्भ में उस वक्त ही शिमला और चंबा में एफआईआर भी है

 

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