Ramlala Pran Pratishtha: निर्वाणी अखाड़े के महंत धर्मदास ने किया बड़ा एलान, प्राण प्रतिष्ठा से पहले बढ़ सकती हैं ट्रस्ट की मुश्किलें

रामलला के नाम मुकदमा दायर करने वाले निर्वाणी अखाड़े के महंत धर्मदास ने बड़ा एलान किया है. उनके इस एलान से ट्रस्ट की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. रामलला के नाम मुक़दमा दायर करने वाले निर्वाणी अखाड़े के महंत धर्मदास ने एलान किया है कि रामजन्मभूमि मुकदमे का फैसला जिस 70 साल से चली आ रही जिस रामलला नाम की मूर्ति के हक में आया है. उसी मूर्ति कि स्थापना गर्भगृह में होगी. उसके अलावा किसी मूर्ति की स्थापना गर्भगृह में नहीं हो सकती. अन्यथा ये ग़ैर क़ानूनी होगा और इसके ख़िलाफ़ मैं मुक़दमा करूंगा और बाहर भी संघर्ष होगा.

बता दें राम मंदिर ट्रस्ट ने राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापना के तीन नई प्रतिमाओं का निर्माण कराया था, उसमें एक का चयन हो गया है. अब उसकी प्राण प्रतिष्ठा की विधियां जारी हैं. इसको लेकर विरोध हो रहा है. हालांकि ट्रस्ट पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि मौजूद रामलला विराजमान की प्रतिमा को गर्भगृह में स्थान दिया जाएगा.

इसके अलावा इस मुद्दे पर ज्योतिष्पीठ के शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ महाराज ने श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष को चिट्ठी लिखी है. अपनी चिट्ठी में भी उन्होंने यही मुद्दा उठाया है.

शङ्कराचार्य ने चिट्ठी में लिखा- बीते कल (दिनांक 17 जनवरी 2024 ईसवी) को सायं काल समाचार माध्यमों से ज्ञात हुआ कि रामलला की मूर्ति किसी स्थान विशेष से राम मंदिर परिसर में लाई गई है और उसी की प्रतिष्ठा निर्माणाधीन मन्दिर के गर्भगृह में की जानी है. एक ट्रक भी दिखाया गया जिसमें वह मूर्ति लाई जा रही बताया गया. इससे यह अनुमान होता है कि नवनिर्मित श्री राम मंदिर में किसी नवीन मूर्ति की स्थापना की जाएगी जबकि, श्रीरामलला विराजमान तो पहले से ही परिसर में विराजमान हैं.

उन्होंने लिखा कि यहां प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि यदि नवीन मूर्ति की स्थापना की जाएगी तो श्रीरामलला विराजमान का क्या होगा ? अभी तक राम भक्त यही समझते थे कि यह नया मंदिर श्रीरामलला विराजमान के लिए बनाया जा रहा है पर अब किसी नई मूर्ति के निर्माणाधीन मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठा के लिए लाये जाने पर आशंका प्रकट हो रही है कि कहीं इससे श्रीरामलला विराजमान की उपेक्षा ना हो जाए .

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