Ratan Tata: नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक…रतन टाटा ने जिसपर रखा हाथ वो बन गया सोना!
रतन टाटा…सिर्फ नाम ही काफी है. वो एक ऐसी शख्सियत थे जिनकी तारीफ लफ्जों में बयां नहीं की जा सकती. उद्योग जगत का ये सितारा अब हमारे बीच नहीं रहा. 86 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे, जिसकी वजह से उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.
टाटा ग्रुप को बुलंदियों पर पहुंचाने वाले रतन टाटा ने टाटा संस के चेयरमैन के रूप में मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक टाटा समूह का नेतृत्व किया. विदेश से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह पहली बार टाटा समूह की कंपनी टाटा इंडस्ट्रीज में बतौर असिस्टेंट शामिल हुए थे. इसके बाद उन्होंने कुछ महीनों तक जमशेदपुर में टाटा के प्लांट में ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग पूरी करने के साथ ही उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को संभालना शुरू कर दिया था.
नमक से लेकर हवाई जहाज तक का सफर
रतन टाटा ने घर की किचन में इस्तेमाल होने वाले नमक से लेकर आसमान में उड़ने वाले हवाई जहाजों तक पर राज किया. बिजनेस सेक्टर में नए कीर्तिमान स्थापित कर उन्होंने टाटा समूह को ऊंचाइयों तक पहुंचाया. देश में ऐसे कई काम हैं जिन्हें पहली बार टाटा कंपनी ने किया. फिर चाहे वो स्टील प्लांट की शुरुआत हो या फिर एयरलाइंस की.बिजनेस सेक्टर में उन्होंने नए कीर्तिमान स्थापित कर टाटा समूह को बुलंदियों तक पहुंचाया.
वो टाटा टाटा ग्रुप था जिसने देश में पहली बार आयोडीन वाला नमक का पैकेट बेचने का काम किया. 1983 में बना टाटा नमक आज घर में इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही टाटा कंपनी ने साल 1998 में भारत की पहली स्वदेशी एसयूवी Tata Safari लॉन्च की. वहीं साल 2013 में पहली हाइड्रोजन बस Starbus को लॉन्च किया. इसके अलावा 2018 में 5-स्टार रेटिंग कार Tata Nexon मार्केट में उतारी. वहीं 2021 में पहली सबसे स्लिम मैकेनिकल वॉच भी बनाई.
नैनो कार की लॉन्च
हर आदमी का सपना होता है कि उसके घर में कार हो, लेकिन बजट ज्यादा होने की वजह से कार उसकी पहुंच से बाहर होती है. वहीं रतन टाटा ने इस मुश्किल का भी हल निकाला. साल 2008 में टाटा कंपनी ने दुनिया की सबसे सस्ती कार को लॉन्च किया. टाटा नैनो वो कार थी जो आम आदमी के बजट में आसानी से पहुंच सकती थी. महज एक लाख रुपए की इस कार को लोगों ने काफी पसंद किया. रतन टाटा ने लोगों के सपने को सच कर दिया.
विनम्र व्यवहार और सादगी
अपने विनम्र व्यवहार और सादगी के लिए मशहूर रतन टाटा फिलहाल टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन थे जिसमें सर रतन टाटा ट्रस्ट एवं एलाइड ट्रस्ट के साथ ही सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट एवं एलाइड ट्रस्ट भी शामिल हैं. रतन टाटा का भारत के कारोबारी जगत में काफी अहम योगदान माना जाता है. भारत के ‘रतन’ कहे जाने वाले दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा उन हस्तियों में शामिल हैं, जिनका देश का हर नागरिक दिल से सम्मान करता है. अरबपतियों में शामिल होने के बावजूद अपनी सादगी से हर दिल अजीज बन गए. उन्होंने हमेशा गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद की.
अकेले गुजारी जिंदगी
देश के लोगों के दिलों पर राज करने वाला देश का ये अनमोल रतन अपनी निजी जिंदगी में तन्हा रहा. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी तनहाई में गुजारी. रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की. इसके पीछे एक ऐसा किस्सा है, जिसे सुनकर हर किसी की आंखों में आंसू आ जाएंगे. रसोई में इस्तेमाल होने वाले नमक से लेकर लोगों को आसमान तक की सैर कराने वाले रतन टाटा ने शादी क्यों नहीं की. ये सवाल कई बार उनके सामने से होकर गुजरा है.
रतन टाटा ने अपनी पूरी लाइफ अकेले बिता दी, कभी शादी नहीं की, लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्हें कभी किसी लड़की से प्यार नहीं हुआ. प्यार हुआ और बात शादी तक भी पहुंची, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने कभी शादी न करने का फैसला किया. रतन टाटा ने एक बार अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में बात करते हुए अपनी प्रेम कहानी का जिक्र किया था. टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा जब अमेरिका के लॉस एंजिलिस में पढ़ाई कर रहे थे, तो उस समय उन्हें पहली बार प्यार हुआ था. रतन टाटा ने अपने प्यार के बारे में बताया कि वो काफी अच्छा समय था और मौसम भी काफी खूबसूरत था
भारत-चीन युद्ध बना प्यार का दुश्मन
रतन टाटा ने बताया कि लॉस एंजिलिस में उन्हें एक लड़की से प्यार हो गया था और मन ही मन ये फैसला कर लिया था कि शादी भी उसी लड़की से करेंगे. लेकिन किस्मत को शायद ये मंजूर नहीं था. उन्हें पता चला कि उनकी दादी की तबीयत खराब है, जिसके बाद वो लॉस एंजिलिस से भारत वापस आ गए. रतन टाटा अपनी दादी से करीब 7 साल से नहीं मिले थे, ऐसे में उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया. रतन टाटा ने कहा, ‘मैंने सोचा था कि जिससे मैं शादी करना चाहता हूं वो मेरे साथ भारत आएगी, लेकिन 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध की वजह से उनके (लड़की) माता-पिता इस शादी के लिए राजी नहीं हुए और रिश्ता टूट गया.
अरबपति होने के बावजूद रतन टाटा पूरी जिंदगी कुंवारे रहे और अपने पहले प्यार की याद में अपनी जवानी ‘द टाटा ग्रुप’ को सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचाने में लगा दी. भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से सम्मानित किए जा चुके हैं.