RBI कब कम करेगा आपकी लोन EMI, 6 एक्सपर्ट्स ने की भविष्वाणी
भारतीय रिजर्व बैंक के ब्याज दर में कोई बदलाव ना करते हुए अपने स्टांस को न्यूट्रल कर दिया है. अपने स्टांस में बदलाव करने के फैसले से आरबीआई ने देशभर के सभी जानकारों को सरप्राइज कर दिया. इसका मतलब है कि आने वाले कुछ महीनों में आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को ओपन कर दिया है. आरबीआई के इस फैसले को व्यावहारिक बता रहे हैं. आने वाले महीनों में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है. जानकारों का कहना है कि सेंट्रल बैंक ने भले ही रेपो रेट में कोई बदलाव ना किया हो, लेकिन अपनी अपेक्षाकृत आक्रामक रुख को ‘न्यूट्रल’ कर ब्याज दर में कटौती की दिशा में पहला कदम उठा लिया है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर देश के 6 एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?
6 जानकारों ने ये की भविष्यवाणी
उद्योग मंडल एसोचैम ने आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा को यथार्थवादी और व्यावहारिक बताते हुए कहा कि ‘उदार रुख वापस लेने’ और ‘तटस्थ’ रुख अपनाना संकेत है कि अगली कुछ तिमाहियों में ब्याज दर में गिरावट आएगी. एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि रुख में बदलाव कर ‘तटस्थ’ करने को सकारात्मक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए. यह आरबीआई की मजबूत मौद्रिक नीति की ओर संकेत करता है, जो कि घरेलू और वैश्विक घटनाओं से प्रेरित है.
वित्तीय परामर्श कंपनी डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि हालांकि सितंबर में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत दरों में कटौती के निर्णय से नीतिगत दरों में बदलाव के लिए कुछ गुंजाइश बनी है. हालांकि, आरबीआई के ऐसा निर्णय लेने से पहले मुद्रास्फीति और मुद्रा की गतिविधियों पर नजर रखना समझदारी होगी. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो आरबीआई दिसंबर में ब्याज दर घटा सकता है. त्योहारी महीनों के दौरान कीमतों में उतार-चढ़ाव महत्वपूर्ण होगा.
बंधन बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और शोध प्रमुख सिद्धार्थ सान्याल ने कहा कि रेपो दर पर यथास्थिति कोई आश्चर्य की बात नहीं थी. एमपीसी ने आने वाले महीनों में वैश्विक स्तर पर संकट, महत्वपूर्ण चुनाव परिणाम, जिंसों के मूल्य रुझान और घरेलू वृद्धि-मुद्रास्फीति गतिशीलता से संबंधित महत्वपूर्ण सूचनाओं की प्रतीक्षा करने का सही निर्णय लिया.
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा कि आज की घोषणा ने मौद्रिक नीति निर्माण में घरेलू परिस्थितियों पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि शीर्ष बैंक ने मुद्रास्फीति की दर में टिकाऊ आधार पर कमी की प्रवृत्ति को स्वीकार किया है, हालांकि घरेलू और वैश्विक जोखिमों का जिक्र भी किया है. बरुआ ने कहा कि इसे देखते हुए, अगर आने वाले महीनों में स्थितियां अनुकूल होती हैं, तो दिसंबर में ब्याज दर में कटौती की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टोक ब्रोकर्स के मुख्य अर्थशास्त्री और कार्यकारी निदेशक सुजान हाजरा ने कहा कि नीतिगत दर रेपो को यथावत रखने और रुख को तटस्थ करने के आरबीआई का निर्णय अपेक्षा के अनुरूप है. हाजरा ने कहा कि हमारा मानना है कि अगर अक्टूबर-दिसंबर, तिमाही तक वृहत आर्थिक संकेतक कमजोर बने रहे, तो दिसंबर, 2024 में दरों में कटौती की संभावना बढ़ जाएगी. हालांकि, अगर वृद्धि में तेजी आती है तो आरबीआई फरवरी, 2025 तक इंतजार कर सकता है.
बजाज फिनसर्व एएमसी के वरिष्ठ कोष प्रबंधक सिद्धार्थ चौधरी ने कहा कि उदार रुख वापस लेने से तटस्थ रुख में बदलाव इस तथ्य की स्वीकृति है कि आधार प्रभाव के कारण अगले कुछ महीनों में उछाल को छोड़कर, आने वाली तिमाहियों में मुद्रास्फीति कम होने की उम्मीद है. साथ ही वृद्धि के संकेत देने वाले महत्वपूर्ण आंकड़े धीमे हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि भले ही वृद्धि पूर्वानुमान को नीचे की ओर संशोधित नहीं किया गया है, लेकिन इस बदलाव ने आरबीआई के लिए आगामी नीतियों में दरों में कटौती करने की गुंजाइश बनाई है.