RBI ने कर दिया खुलासा, 15 महीने के निचले स्तर पर क्यों आई GDP?
शुक्रवार यानी 30 जून को देश की पहली तिमाही के जीडीपी के आंकड़ें सामने आ गए. जीडीपी के आंकड़ें 15 महीनों के निचले स्तर पर आ गई है. तब से ये बात चर्चा का विषय बनी हुई है कि आखिर देश की ग्रोथ में गिरावट क्यों देखने को मिली? आखिर ऐसे कौन से कारण है जिसका असर देश की जीडीपी पर देखने को मिला. कई जानकार अपने-अपने तरीके से जीडीपी के कम होने का कारण बता रहे हैं. वहीं शनिवार को देश के बैंकिंग रेगुलेटर आरबीआई के गवर्नर ने बताया है कि आखिर देश की जीडीपी में गिरावट क्यों देखने को मिली है.
आरबीआई गवर्नर ने कही ये बात
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को जानकारी देते हुए कहा कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के मद्देनजर सरकारी खर्च में कमी होने से अप्रैल-जून तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 15 महीने के निचले स्तर 6.7 प्रतिशत पर आ गई. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के लिए 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया था.
दास ने यहां संवाददाताओं से कहा कि रिजर्व बैंक ने पहली तिमाही के लिए 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया था. हालांकि, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के पहले अग्रिम अनुमान के आंकड़ों में वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही. उन्होंने कहा कि जीडीपी वृद्धि के लिए जिम्मेदार घटकों और मुख्य चालकों जैसे उपभोग, निवेश, विनिर्माण, सेवाओं और निर्माण ने सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की है.
क्यों देश की जीडीपी
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि केवल दो पहलुओं ने वृद्धि दर को थोड़ा नीचे खींच दिया है और ये हैं- सरकारी (केंद्र और राज्य दोनों) व्यय तथा कृषि. उन्होंने कहा कि पहली तिमाही के दौरान सरकारी व्यय कम रहा और शायद चुनाव (अप्रैल से जून) तथा आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण ऐसा हुआ. दास ने कहा कि हमें उम्मीद है कि आने वाली तिमाहियों में सरकारी व्यय बढ़ेगा और वृद्धि को आवश्यक समर्थन मिलेगा.
इसी तरह, कृषि क्षेत्र ने अप्रैल से जून की तिमाही में लगभग दो प्रतिशत की न्यूनतम वृद्धि दर दर्ज की है. उन्होंने कहा कि मानसून बहुत अच्छा रहा है और इसलिए कृषि क्षेत्र के बारे में हर कोई आशावादी और सकारात्मक है. गवर्नर ने जोर देकर कहा कि इन हालात में, हमें पूरा विश्वास है कि आरबीआई के अनुमान के मुताबिक 7.2 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर आने वाली तिमाहियों में संभव होगी.