RBI MPC से क्या चाहता है रियल एस्टेट सेक्टर, कम होंगी ब्याज दर?

बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर सरकार के बूस्ट के बाद अब लोगों को आरबीआई से भी सकारात्मक उम्मीद है. भारतीय रिजर्व बैंक लोगों को एक बार फिर राहत दे सकता है. विशेषज्ञों की मानें तो इस तिमाही भी केंद्रीय बैंक की ओर से रेपो रेट में इजाफा नहीं किया जाएगा. आठ अगस्त को भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी रेपो दर की घोषणा करेगी. ऐसे में आम जनता के साथ रियल एस्टेट से से जुडे लोगों और विशेषज्ञों को आरबीआई से काफी उम्मीद है. विशेषज्ञों को उम्मीद है कि रेपो दर स्थिर रहने से घर की खरीद तो बढ़ेगी ही, लोगों की होम लोन की दरें नहीं बढ़ेंगीं. रेपो रेट नहीं बढती है तो निश्चित तौर पर वित्त वर्ष 2024-25 की इस तिमाही में रियल एस्टेट सेक्टर में उछाल देखने को मिलेगा.
विशेषज्ञों की मानें तो, इस सप्ताह हो रही मौद्रिक नीति समीक्षा एक बार फिर नीतिगत दर में बदलाव की संभावना नहीं है. इसका कारण आर्थिक वृद्धि दर को लेकर चिंता दूर होना है. केंद्रीय बैंक का अब और अधिक जोर महंगाई को चार प्रतिशत के लक्ष्य पर लाने पर हो सकता है. साल 2022 और 2023 में रियल एस्टेट सेक्टर में खासा उछाल देखा गया है. हाल ही में आई सभी एजेंसी की रिपोर्ट भी बताती हैं कि लोग अपना घर लेने में रुचि दिखा रहे हैं. ऐसे में घरों की बिक्री सर्वकालिक उच्च स्तर पर हैं.
वहीं डेवलपर फ्लैट, दुकान अथवा ऑफिस पर डिस्काउंट भी दे रहे हैं, वहीं कुछ उपहार देकर लुभा रहे हैं. जानकारों की मानें तो इकोनॉमी को मजबूती देने के लिए आरबीआई इस तिमाही में भी लोगों को राहत देते हुए रेपो रेट को नहीं बढ़ाएगा. यह भी माना जा रहा है कि इस तिमाही ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है. इसका सबसे अधिक लाभ होम लोन लेने वालों को होगा.
चुनावी समय में दर बढ़ने से पड़ेगा प्रभाव
देश में कई राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में चुनाव से पूर्व बैठक के नतीजों का असर चुनावों पर भी हो सकता है. अगर केंद्रीय बैंक की तरफ से रेपो रेट में कटौती पर फैसला लिया गया तो ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है, जिससे लोन के ईएमआई घट सकती है. इसका असर पॉजिटिव हो सकता है, हालांकि, इसका उलटा करके देखा जाए तो नतीजे नेगेटिव भी हो सकते हैं.
नई उंचाइयों तक पहुंचेगी इकोनॉमी
क्रेडाई एनसीआर के अध्यक्ष और गौड़ ग्रुप के चेयरमैन मनोज गौड़ का कहना है कि अर्थव्यवस्था कोविड काल के बाद खासी मजबूत हुई है. खास तौर पर रियल एस्टेट सेक्टर ने इसमें अपना योगदान दिया है. अब आरबीआई इंफ्लेशन को कम कर आर्थिक वृद्धि दर को और मजबूत करना चाहता है. उसकी कोशिश इंफ्लेशन को चार फीसदी पर लाने की है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार भी रेपो रेट में बढ़ोतरी नहीं होगी. हालांकि उम्मीद है कि आरबीआई जल्द ही रेपो रेट में कटौती करेगा जिसका सीधा लाभ घर खरीदारों को होगा और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश में तेजी आएगी.
कायम है आरबीआई का विश्वास
एसकेए ग्रुप के निदेशक संजय शर्मा ने कहा कि आठ बार से आरबीआई ने लगातार रेपो रेट को न बढ़ाते हुए 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला लिया हुआ है. यह आर्थिक परिदृश्य में आरबीआई के विश्वास को दर्शाता है. इस बार भी उम्मीद है कि आरबीआई रेपो रेट को स्थिर रखेगा, इससे संभावित घर खरीदारों को बेहद लाभ होगा. इस बार भी अगर रेपो रेट में बढ़ोतरी नहीं होती है तो यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि रियल एस्टेट क्षेत्र किसी भी वित्तीय चुनौती का सामना किए बिना नई उंचाइयों तक पहुंच सके.
इकोनॉमी को मिल रहे है पॉजिटिव संकेत
ग्रुप 108 के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. अमिष भूटानी का कहना है कि लगातार आठ बार से रेपो रेट का न बढ़ना रियल एस्टेट और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद पॉजिटिव संकेत है. अगर इस बार भी रेपो रेट नहीं बढ़ती तो इसे रिजर्व बैंक का सकारात्मक दृष्टिकोण माना जा सकता है. उच्च ईएमआई और ब्याज दरों से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, यह निर्णय घर खरीदारों और निवेशकों के विश्वास को और अधिक मजबूत करेगा. उम्मीद है कि इस बार भी ब्याज दरें स्थिर रहेंगी और रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास को गति मिलेगी. एनसीआर में रियल एस्टेट की बेहतर परियोजनाओं में निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. ब्याज दरें न बढ़ने से मध्यम आय समूहों का रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश में विश्वास भी बढ़ेगा.
जारी रहेगी विकास की तेज गति
रॉयल एस्टेट ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, पीयूष कंसल का कहना है कि रियल एस्टेट डेवलपर्स का मानना है कि अगर आरबीआई रेपो रेट को इस बार भी स्थिर रखता है तो ये एक अच्छा कदम है, जो घर खरीदारों और उद्योग के लिए जरूरी स्थिरता लाएगा. इससे खरीदारों के लिए ईएमआई आसान होगी और डेवलपर्स को अपने वित्तीय खर्चों का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी. होम लोन की ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना नहीं है, जिससे रियल एस्टेट क्षेत्र को लाभ होगा. इस स्थिरता से डेवलपर्स और खरीदारों दोनों को प्रोत्साहन मिलेगा और उद्योग में सकारात्मक बदलाव आएगा. स्थिर माहौल से वित्तीय स्थिति बेहतर होगी और लग्जरी और एनसीआर आवासीय क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी, जिससे इस क्षेत्र का विकास जारी रहेगा.
बेहतर है रियल एस्टेट का भविष्य
ट्राइसोल रेड के एमडी पवन शर्मा के अनुसार पिछले कुछ समय से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है. लग्जरी हाउसिंग एनसीआर और आस-पास के इलाकों में अच्छा प्रदर्शन कर रही है, जो इस क्षेत्र के उज्जवल भविष्य की ओर इशारा करता है. हमें उम्मीद है कि RBI इसी तरह की गति बनाए रखेगा, जिससे रियल एस्टेट प्रॉपर्टीज की मांग बढ़ेगी.
कम ब्याज दरों का लाभ सभी को मिलेगा
राजदरबार वेंचर्स की डायरेक्टर नंदनी गर्ग ने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि आरबीआई इस बार भी रेपो रेट को स्थिर रखेगा. इससे घर खरीदने वाले लोगों की भावना मजबूत होगी, क्योंकि होम लोन की ब्याज दरें कम रहेंगी. आवास की बढ़ती मांग के बीच, स्थिर ब्याज दरों से घर खरीदने वालों को राहत मिलेगी. वहीं, डेवलपर्स और घर खरीदार दोनों को कर्ज की लागत स्थिर रहने से फायदा होगा, जिससे बाजार में विश्वास और स्थिरता बढ़ेगी. इस स्थिरता से रेजिडेंशियल और कमर्शियल दोनों क्षेत्रों में खरीदारों और डेवलपर्स के लिए अधिक लाभकारी अवसर आएंगे.
दरें स्थिर रहने की है उम्मीद
सनड्रीम ग्रुप के सीईओ, हर्ष गुप्ता का कहना है कि रियल एस्टेट डेवलपर्स को उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक अपने आगामी निर्णय में रेपो रेट को 6.5% पर बनाए रखेगा. आर्थिक विकास के बढ़ते हुए दौर में, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) दरों में कटौती से परहेज़ कर सकती है, जिससे रियल एस्टेट क्षेत्र को समर्थन मिलता रहेगा. इस स्थिरता ने वित्तीय बाजारों को शांत किया है और निवेशकों का विश्वास मजबूत किया है. यहां तक कि रेपो रेट में मामूली कटौती भी डेवलपर्स और खरीदारों को प्रोत्साहन देगी.
पूरी इकोनॉमी को ऑक्सीजन मिलने की उम्मीद
सुषमा ग्रुप के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रतीक मित्तल के अनुसार फरवरी 2023 में आरबीआई ने ब्याज दर बढ़ाना रोक दिया था, जिसके बाद रियल एस्टेट सेक्टर, खासकर प्रीमियम और लग्जरी सेगमेंट में, काफी बढ़ोतरी देखी गई है. अब जब आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है और महंगाई धीरे-धीरे कम हो रही है, तो रेपो रेट को जैसा है वैसा ही रखना भारत के रियल एस्टेट के लिए फायदेमंद होगा. इससे हाउसिंग लोन की दरें और प्रॉपर्टी के दाम स्थिर रहेंगे, जो बिल्डर्स और खरीददारों दोनों के लिए अच्छा है. इससे घर खरीदने वालों के लिए घर लेना आसान हो जाएगा और हाउसिंग मार्केट में अच्छी तेजी बनी रहेगी, जिससे पूरी अर्थव्यवस्था को फायदा होगा.

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