LIC को भारी पड़ा दावा खारिज करना, 80 लाख के साथ खर्चे का करना होगा भुगतान
जिला उपभोक्ता आयोग ने देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम- एलआईसी को कार दुर्घटना में मारे गए एक व्यक्ति के बेटे को 80 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. एलआईसी ने शुरूआत में बीमा क्लेम देने का दावा खारिज कर दिया था.
एलआईसी का तर्क था कि पीड़ित व्यक्ति ने यह खुलासा नहीं किया था कि उसके पास एक से अधिक बीमा पॉलिसियां हैं.
यह मामला हैदराबाद का है. हैदराबाद के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-तृतीय ने 21 वर्षीय सूर्या स्नेहित की याचिका पर विचार करते हुए एलआईसी के खिलाफ यह फैसला सुनाया है.
जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-III, हैदराबाद सूर्या स्नेहित (21) की शिकायत पर विचार कर रहा था। विपरीत पक्ष (ओपी) क्षेत्रीय प्रबंधक, दक्षिण मध्य क्षेत्र कार्यालय, एलआईसी, एलआईसी की निज़ामाबाद शाखा के प्रबंधक और एलआईसी के सिकंदराबाद डिवीजन कार्यालय के मंडल प्रबंधक थे।
जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता सूर्या स्नेहित के पिता के. प्रभाकर राव की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. उनका शव तेलंगाना के थोगुटा की नहर में पाया गया था. शिकायतकर्ता ने बताया कि उनके पिता ने भारतीय जीवन बीमा निगम से 80 लाख रुपये की बीमा योजना एलआईसी अमर पॉलिसी ली थी. पीड़ित के पास अन्य पॉलिसियां भी थीं. अन्य पॉलिसी में सूर्या की बहन को नॉमिनी बनाया गया था, जिनका निपटान कर दिया गया. लेकिन सूर्या द्वारा किए गए अमर पॉलिसी के दावे को एलआईसी ने खारीज कर दिया. इसके पीछे तर्क दिया गया कि पीड़ित व्यक्ति ने यह खुलासा नहीं किया कि उनके पास एसबीआई की भी पॉलिसियां हैं.
साथ में यह तर्क भी दिया गया कि पॉलिसी तीन साल की अवधि तक नहीं चली थी. एलआईसी की ओर से कहा गया कि 2019 में ली गई पॉलिसी की जांच के दौरान यह पाया गया कि पीड़ित ने कहा था कि उसके नाम पर कोई अन्य पॉलिसी नहीं खरीदी गई थी. बीमा कंपनी ने आरोप लगाया कि पीड़ित ने तथ्यों को छुपाया जिसके कारण उसे दावा खारिज करना पड़ा.