Return to Invoice Policy: गाड़ी हुई चोरी या लगी आग? IDV नहीं इंश्योरेंस कंपनी देगी पूरी ऑन-रोड कीमत, समझें कैसे?
चोरों की बुरी नजर से गाड़ी को बचाना बहुत ही मुश्किल है, चोर कब और किस गाड़ी को ले उड़ेंगे कोई नहीं जानता. लाखों रुपये की गाड़ी चोरी होने के बाद Car Insurance कंपनी कार मालिक को IDV यानी इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू थमा देती है लेकिन ऑन-रोड कीमत और IDV वैल्यू के बीच लाखों का अंतर होता है.
इसका मतलब गाड़ी चोरी हो जाए या फिर गाड़ी में आग लग जाए तो इंश्योरेंस कंपनी से पैसा मिलने के बाद भी लाखों का नुकसान होना तो तय है. हम आज आप लोगों को समझाएंगे कि कैसे आप लाखों रुपये के इस नुकसान से बच सकते हैं और इंश्योरेंस कंपनी से IDV Value के बजाय पूरी ऑन-रोड कीमत क्लेम कर सकते हैं?
Return to Invoice Policy क्या है और कैसे मिलेगा पूरा पैसा?
गाड़ी की पूरी ऑन-रोड कीमत कैसे मिलेगी, इस बात को समझने से पहले ये जान लीजिए कि आखिर RTI होता क्या है. आरटीआई यानी रिटर्न टू इनवॉयस, ये एक ऐसी इंश्योरेंस पॉलिसी है जिसमें कंपनी ग्राहकों को वो वैल्यू (ऑन-रोड) देती है जो ग्राहक ने गाड़ी खरीदने के लिए खर्च की है.
कटारिया इंश्योरेंस के मोटर हेड संतोष सहानी से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया अगर किसी भी कार चालक को कंपनी से पूरी ऑन रोड-कीमत चाहिए तो इसके लिए कार चालक को RTI एड-ऑन पॉलिसी को जरूर लेना चाहिए. अगर कार मालिक के पास रिटर्न टू इनवॉयस पॉलिसी है तो कंपनी कार मालिक को गाड़ी चोरी या फिर आग लगने पर पूरी ऑन-रोड कीमत देती है, लेकिन इसके पीछे भी कुछ पेच हैं जिन्हें समझना होगा.
अगर कार चोरी होने के 180 दिनों तक नहीं मिलती तो कंपनी उस गाड़ी को टोटल लॉस डिक्लेयर कर देती है और कार मालिक को क्लेम अमाउंट दे देती है. ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां कार मालिक को केवल गाड़ी की एक्स-शोरूम कीमत ही देती हैं तो वहीं प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियां ग्राहकों को आरटीओ, इंश्योरेंस समेत अन्य खर्चों को जोड़ने के बाद की ऑन-रोड कीमत देती हैं.
Return to Invoice Policy को केवल नई गाड़ी खरीदने के बाद तीन सालों तक ही लिया जा सकता है, लेकिन कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं जो 3 से 5 सालों तक भी रिटर्न टू इनवॉयस पॉलिसी ऑफर करती हैं.
Car Insurance Claim: किस केस में रिजेक्ट हो सकता है क्लेम?
इस बात को भी समझना जरूरी है कि किस कंडीशन में RTI पॉलिसी होने के बाद भी क्लेम रिजेक्ट हो सकता है. उदाहरण: मान लीजिए कि आपकी गाड़ी में कोई पार्ट दो साल बाद खराब हो गया और आपने वो पार्ट कंपनी से लगवाने के बजाय लोकल मार्केट से लगवा लिया और इस लोकल पार्ट की वजह से आग लगी तो RTI पॉलिसी होने के बाद भी आपको इंश्योरेंस कंपनी से पैसा नहीं मिलेगा.