लंग फाइब्रोसिस के जोखिम को कम करते हैं हेल्दी ओमेगा-3 फैट्स, जानें इसके सोर्स
फाइब्रोसिस, फेफड़ों की गंभीर बीमारी है। यह श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। फाइब्रोसिस, फेफड़ों के ऊतकों को खराब कर देता है। यह फेफड़ों के ऊतक और एल्वियोली को प्रभावित करता है। जैसे-जैसे समय बढ़ता है, फाइब्रोसिस की वजह से फेफड़ों को ज्यादा क्षति पहुंचने लगती है। इस स्थिति में व्यक्ति को सांस लेना मुश्किल हो सकता है। यह एक गंभीर बीमारी होती है, इसे ठीक नहीं किया जा सकता है। इस सिर्फ दवाइयों के माध्यम से कंट्रोल में किया जा सकता है। हालांकि, इस बीमारी के जोखिम को कम करने के लिए आपको अपने खान-पान और लाइफस्टाइल पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है। एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि हेल्दी ओमेगा-3 फैट्स लंग फाइब्रोसिस के जोखिम को कम कर सकते हैं। इस बीमारी से बचने के लिए आप भी ओमेगा-3 को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।
लंग फाइब्रोसिस के लक्षण- Lung Fibrosis Symptoms in Hindi
सूखी खांसी आना
थकान और कमजोरी का अनुभव होना
लगातार वजन कम होना
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना
सांस लेने में तकलीफ होना
क्या कहती है स्टडी?
एक अध्ययन के अनुसार हेल्दी ओमेगा-3 फैट्स फाइब्रोसिस के जोखिम को कम कर सकते हैं। जर्नल चेस्ट में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, ओमेगा-3 फैट्स फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं। यह फेफड़ों के ऊतकों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। अध्ययन में पाया गया है कि रक्त में ओमेगा-3 फैटी एसिड का स्तर फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
नट्स और मछली कम करते हैं लंग फाइब्रोसिस का जोखिम
एक स्टडी की मानें तो नट्स और मछली में ओमेगा-3 फैट्स अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। ऐसे में अगर आप नट्स और मछली का सेवन करेंगे, तो इससे लंग फाइब्रोसिस का जोखिम कम होता है। दरअसल, नट्स और मछली में हेल्दी फैट्स होते हैं, जो फेफड़ों को नुकसान होने से बचाते हैं। इनका सेवन करने से फेफड़ों के घावों को भी कम करने में मदद मिलती है। सैल्मन और अलसी के बीजों में ओमेटा-3 फैट्स होते हैं, जो फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।