शेयर मार्केट में शॉर्ट सेलिंग के नियम बदले, रिटेल निवेशकों को भी इजाजत, नेकेड पर बैन
हिंडनबर्ग विवाद के करीब एक साल बाद भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नेकेड शॉर्ट सेलिंग को बैन कर दिया है। इसके साथ ही सेबी ने सभी कैटेगरी के निवेशकों को शॉर्ट सेलिंग में शामिल होने की अनुमति दे दी है। बाजार नियामक ने यह भी कहा कि फ्यूचर एंड ऑप्शन सेग्मेंट में ट्रेड करने वाले सभी स्टॉक शॉर्ट-सेलिंग के लिए पात्र हैं।
क्या है शॉर्ट सेलिंग
सामान्य शॉर्ट सेलिंग एक ऐसी ट्रेडिंग है, जिसमें निवेशकों को उन स्टॉक्स को बेचने की अनुमति मिलती है जो ट्रेडिंग के समय मौजूद नहीं होते हैं। एक सामान्य शॉर्ट सेलिंग में निवेशक पहले सिक्योरिटी को उधार लेता है। इसके बाद स्टॉक की सेलिंग का सौदा करता है। वहीं, नेकेड शॉर्ट सेलिंग में ऐसा नहीं होता है। इस तरह के शॉर्ट सेलिंग में ट्रेडर बिना उधार लिए ट्रेड करता है। आसान भाषा में समझें तो ट्रेडर के पास कोई सिक्योरिटी की उपलब्धता नहीं होती लेकिन वह उन शेयरों को बेच देता है, जो उसने खरीदे भी नहीं थे।
सेबी का सर्कुलर: बाजार नियामक सेबी द्वारा 5 जनवरी को जारी एक सर्कुलर के मुताबिक संस्थागत निवेशकों को ऑर्डर देते समय यह बताने के लिए कहा गया है कि क्या यह ट्रांजैक्शन शॉर्ट सेल है। वहीं, खुदरा निवेशकों को भी ट्रेडिंग डे के अंत तक इसी तरह का डिक्लेरेशन देना होगा। इसके अलावा ब्रोकर्स और स्टॉक एक्सचेंजों से इस जानकारी को एकत्रित करने और इसे अपनी वेबसाइटों के माध्यम से सार्वजनिक कराने के लिए कहा गया है।
सेबी का यह सर्कुलर सुप्रीम कोर्ट की ओर से हिंडनबर्ग मामले में फैसला सुनाए जाने के बाद आया है। शीर्ष अदालत ने हिंडनबर्ग मामले में अडानी समूह के खिलाफ सीबीआई याचिका की खारिज करते हुए सेबी के जांच पर भरोसा जताया। इसके साथ ही सेबी को यह जांच करने के लिए कहा है कि क्या हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद क्या बाजार में अवैध तरीके से शेयरों पर शॉर्ट पोजीशन ली गईं।